बेवफ़ूक
डेंगू के प्रकोप से न
सास की बीमारी
रे स्वास्थ्य विभाग
का कोई फायदा नहीं है बल्कि इसका
नुकसान
में प्रयोग में लाई जाने वाली दवा
जहरीली
में
आती है
होती हैं
मौसम के परिवर्तन के साथ-साथ डेंगू और मच्छरों का प्रकोप लोगों के लिए असहनीय सा हो जाता
डेंगू मच्छरों के प्रकोप को कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग बड़े-बड़े कदम उठाता है
।
उनमें से एक कदम
का है जिससे डेंगू के मच्छरों का प्रकोप कम होता है
।
लेकिन स्वास्थ्य
विभाग
डिप्टी सीएमओ शशि गर्ग ने फोगिंग
नुकसान इस में प्रयोग की जाने वाली दवाई को जहरीली दवाई बताया है
।
जिससे सांस की बीमारी पैदा होती है
।
उधर प्र
शासन ने भी
से मच्छर
मरने की बात कही है
।
जबकि सरकार लाखों रुपए
पर खर्च कर रही है
।
प्रशासन और सरकार दोनों मिलकर आम जनता को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे हैं
।
सरकार
लाखों रुपए खर्च कर रही है
।
वही सरकार के ही अधिकारी
ने एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि
नहीं है ।
के द्वारा मच्छर
नहीं है
है
।
यह थोड़ी दूर पर जाकर बैठ जाता है और जब
असर खत्म हो जाता है तब मच्छर वापस वही आकर बैठ जाता है
।
इसलिए
का कोई फायदा नहीं है बल्कि इसका नुकसान है
।
स्वास्थ्य विभाग की डिप्टी सीएमओ
ने कहा कि
में प्रयोग में लाई जाने वाली दवा
जहरीली दवाई है जिससे सांस
में दिक्कत आती है
।
जब हमने
पूछा
लाखों रुपए
खर्च
हैं
।
उन्होंने इस पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया
।
पानीपत जिले के उपायुक्त चंद्रशेखर खरे ने भी कहा की
से मच्छर मरता नहीं है
।
लेकिन फिर भी हम जहां
मच्छरों का ज्यादा प्रकोप है वहां
करवाई जा रही है
।
एन
जी
ओ के द्वारा पानीपत
रहे हैं
।
एन
जी
ओ
सदस्य गौरव ने कहा कि हम पिछले 25 दिन से अलग-अलग जगह जाकर पानीपत की अलग अलग कालोनियों में
जब उनसे पूछा गया कि स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि इस
कोई भी लाभ नहीं
उनका कहना था कि अगर
से कोई मच्छर नहीं मरता
लाभ नहीं है तो 2 साल पहले
16
खरीदी गई थी
।
इस बार यह सभी मशीनें निगम के पास चली गई हैं
।
जबकि निगम
नहीं कर रहा है
।
3
मशीन
उन्होंने कहा कि
मच्छर मरता है या नहीं
तो
ही बता सकते हैं
।
लेकिन डेंगू के
प्रकोप
फर्क पड़ता है
।
संस्था के अन्य सदस्य राजू का कहना है कि हमारा
दिन में
2000 के आसपास खर्च आता है
।
जबकि प्रशासन के पास 16
हैं
।
लेबर का खर्चा सब कुछ मिलाकर 4 से 5000 पर एक मशीन पर खर्च आता है
।
।
।
सवाल तो बड़े उठते हैं प्रशासन
स्वास्थ्य विभाग के अलग-अलग अधिकारियों को इस मामले में अलग अलग
दिए जा रहे हैं जिससे कहीं ना कहीं लाखों रुपए का चूना सरकार को