जालंधर.आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मंगलवार को प्रचारकों, मुख्य शिक्षक और उससे ऊपर के अधिकारियों को शाखाएं बढ़ाने और अपने-अपने इलाकों में संघ के कार्यक्रम बढ़ाने पर जोर दिया। वे उत्तर भारत के स्वयंसेवकों के साथ अलग-अलग मुद्दों पर बैठकें करने के लिए 3 दिन के दौरे पर शहर आए हुए हैं।
बतौर सरसंघचालक भागवत 7 साल बाद दूसरी बार शहर पहुंचे हैं। गुरु गोबिंद सिंह एवेन्यू स्थित विद्या धाम में उनके कार्यक्रम के पहले दिन मुख्य शिक्षक और उनसे सीनियर अधिकारियों के साथ सुबह से रात तक मीटिंगें कीं। उन्होंने प्रचारकों, मुख्य शिक्षक और उससे ऊपर के अधिकारियों को शाखाएं बढ़ाने और अपने-अपने इलाकों में संघ के कार्यक्रमों को बढ़ाने पर जोर दिया। बुधवार को वे प्रचारकों और वीरवार को नगर संघ चालकों के साथ बैठकें करेंगे।
आत्मीयता का भाव स्वयं सेवक का गुण.एक स्वयं सेवक ने प्रश्न किया कि संघ का स्वयंसेवक कई बार बहुत उपेक्षित महसूस करता है। इतने बड़े संगठन का कार्यकर्ता होने पर भी कई बार लगता है कि उसकी सुनवाई नहीं हो रही। इस पर भागवत ने कहा कि ‘यह तभी होता है जब किसी के मन में अहम का भाव आ जाता है।
स्वयं सेवक तो निस्वार्थ भाव से काम करते हैं।’ एक कार्यकर्ता ने जब पूछा कि संघ के स्वयंसेवक में अगर एक गुण की बात की जाए तो वह क्या हो? इस पर भागवत ने कहा, स्वयंसेवक में आत्मीयता का भाव होना चाहिए।’ उन्होंने केएस सुदर्शन जी का उदाहरण दिया और कहा कि वे खुद को साधारण स्वयं सेवक समझते थे और हमें भी खुद को यही समझना चाहिए।
भागवत बोले- संघ दक्षिणा पर चलता है, उतने पैसों से चैनल चल सकता है क्या? :एक बैठक में स्वयं सेवकों ने उनसे सवाल किया कि संघ इतना ताकतवर है तो अपना न्यूज चैनल क्यों नहीं खोल लेता? इस पर भागवत ने सभा में बैठे लोगों से पूछा कि कोई बता सकता है कि एक राष्ट्रीय चैनल को चलाने के लिए साल में कितना खर्च किया जाता है?
इस पर एक ने कहा कि लगभग 600 करोड़ रुपए। इस पर भागवत ने कहा कि संघ तो कोई डोनेशन लेता नहीं। सारा खर्च साल में एक बार होने वाले गुरु दक्षिणा कार्यक्रम में जमा राशि से होता है। 1928 से लेकर 2018 तक संघ के पास जितनी गुरु दक्षिणा जमा हुई है वह भी इतनी नहीं है।
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