जालंधर/लुधियाना. सीटी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग जालंधर के शाहपुर कैंपस के हॉस्टल से हथियारों व विस्फोटक के साथ पकड़े गए तीन कश्मीरी छात्रों के चौथे साथी मास्टरमाइंड सुहेल को भी पुलिस ने जेएंडके के आवंतीपुरा से अरेस्ट कर लिया है। वह इस कांड की मुख्य कड़ी बताया जा रहा है।
जेएंडके पुलिस अब उसे जालंधर पुलिस को सौंपेगी। पुलिस ने मंगलवार रात को हॉस्टल से तीन कश्मीरी छात्रों यूसुफ रफीक भट्ट, जाहिद गुलजार और मोहम्मद इदरिश शाह को हथियारों के साथ अरेस्ट किया था। पूछताछ में गुलजार ने बताया कि उन्हें तो हथियार संभालकर रखने को ही दिए गए थे।
गुलजार ने बताया कि सुहेल ही टारगेट के बारे में बता सकता है। ऐसे में पुलिस मान रही है कि सुहेल ही बता सकता है कि उनका टारगेट कौन था। सुहेल लांडरां यूनिवर्सिटी में बीटेक कर रहा है। दूसरी तरफ इस मामले में छानबीन करते हुए लुधियाना पुलिस ने भी दो कालेजों से 5 छात्रों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। साथ ही पुलिस ने लुधियाना में कश्मीर से आकर रह रहे लोगों के बारे में भी जानकारी जुटाना शुरू कर दिया है।
आरोपियों से मिलने-जुलने वालों से भी हुई पूछताछ :इनवेस्टीगेशन टीम ने वीरवार को आरोपी तीन स्टूडेंट्स से मिलने-जुलने वाले चार अन्य छात्रों से भी पूछताछ की। इन स्टूडेंट्स ने ये तो माना है कि आरोपी उनके दोस्त हैं, लेकिन इनके पास खतरनाक हथियार हैं, उन्हें नहीं पता था।
भार्गव कैंप से भी दो लोग पूछताछ के लिए कस्टडी में लिए गए थे। वहीं हिरासत में लिए गए व्यापारी और पांच अन्य लोगों के मोबाइल की डिटेल निकलवाई जा रही है, ताकि पता किया जा सके कि इनके तार पकड़े गए स्टूडेंट से तो नहीं जुड़े है। व्यापारी को इंटेलीजेंस की इनपुट पर हिरासत में लिया गया था। पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने खुद स्टूडेंट्स से पूछताछ की।
छात्र बोले- मूसा ने छिपाने को दिए थे हथियार : रिमांड के पहले दिन एनआईए के डीआईजी आशीष चौधरी बिना टीम के सीआईए स्टाफ पहुंचे। यहां उन्होंने तीनाें छात्रों से पूछताछ की। उन्होंने कहा है कि मूसा ने उन्हें हथियार हॉस्टल में छुपा कर रखने को कहा था।
टेलीग्राम मेसेंजर से चैट करते थे आरोपी :अंसार गजवत-उल-हिंद में अवंतीपुरा एरिया के सबसे ज्यादा युवा जुड़े हैं। पूछताछ में आरोपी गुलजार और भट्ट ने माना है कि पकड़े जाने के डर से वे आपस में फोन पर डायरेक्ट बात नहीं करते थे। वे टेलीग्राम मेसेंजर से चैट कर ही एक-दूसरे को संदेश भेजते थे।
मैसेज भेजने के तुरंत बाद डिलीट कर देते थे, ताकि अगर पकड़े भी जाएं तो पुलिस उनके नेटवर्क तक आसानी से पहुंच न सके। पुलिस के आईटी विंग ने इनके मोबाइल खंगाले, लेकिन डिलीट मैसेज सरवर में चले जाते हैं और एक महीने के अंदर सरवर से डेटा खुद-ब-खुद डिलीट हो जाता है।
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