मौजूदा समय में युवा पीढ़ी पैसा कमाने के चक्कर में अपने माता पिता को इगनोर कर आगे बढऩे की होड़ में व्यस्त है। छोटे शहरों से बड़े शहरों की और कूच करना नई बात नहीं है परंतु अब युवा पीढ़ी विदेश में जाकर बसने के लिए अधिक प्रयास कर रही है। ऐसे में वे अपने माता पिता की इच्छाओं और हसरतों को अनदेखा कर उन्हें अकेले जीवन व्यतीत करने के लिए छोड़ जाती है। ऐसे बहुत से केस हैं, जिनमें बजुर्ग अकेले घर में अपने नौकर व नौकरानी के साथ जीवन यापन करने के लिए मजबूर हैं और अपने बच्चों को देखने के लिए तर्स जाते हैं। एक ऐसी ही शार्ट फिल्म -लुतरो- लेकर आए हैं फोक फिल्म स्टूडियो और सेबी सांझ।
इस शार्ट फिल्म के प्रचार के लिए आज फिल्म की टीम ने चंडीगढ़ प्रेस क्लब में एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया। इस अवसर पर फिल्म में मुख्य भूमिकाएं निभाने वाली अदाकारा तेजी संधू व प्रभजोत रंधावा के साथ प्रोड्यूसर शमशेर कौड़ा व हरमन गिल, डायरेक्टर भगवंत कंग हैं। फिल्म की कहानी जतिन्द्र हांस ने लिखी है इस अवसर पर फिल्म की टीम भी उपस्थित थी।
फिल्म के बारे में बातचीत करते हुए तेजी संधू ने बताया कि इस फिल्म के माध्यम से हम लोगों तक यह संदेश पहुंचाना चाहते हैं कि सिर्फ पैसा ही जीवन अहमीयत नहीं रखता, पैसे के साथ साथ हमें अपने माता पिता का भी ध्यान रखना चाहिए, उनकी इच्छाओं को पूरा करना चाहिए, उनके साथ समय बिताना चाहिए। पूरी फिल्म दो पात्रों पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि असल मेें -लुतरो- शब्द का मतलब है अधिक बोलना। फिल्म सरदारनी (मेरे उपर) व उसकी नौकरानी पर केंद्रित है।
प्रभजोत रंधावा ने कहा कि इस फिल्म में वे एक नौकरानी की भूमिका निभा रहीं हैं, जो अपनी मालकिन के ताने सुनती है, फिर भी उसकी सेवा करती है, उसे अच्छा बुरा भी बताती है और अपने परिवार के बारे में भी बताती है। भगवंत कंग ने कहा कि इस शार्ट फिल्म के जरिए हम समाज में बजुर्गों के बढ़ रहे अकेले पन के कारण पर जोर देकर उनकी व्यथा ब्यान करने की कोशिश कर रहे हैं और यह फिल्म 4 जुलाई को यूट्यूब पर रिलीज की जा चुकी है।