रोहतक.भारतीय जीव-जंतु कल्याण बोर्ड ने सभी राज्यों औरकेंद्र शासित प्रदेशों को पत्र जारी कर अलर्ट किया है कि बिल्लियों की तेजी से बढ़ती संख्या मानव जीवन के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकती है। इसलिए एक माह के अंदर नसबंदी के उपाय किए जाएं। साथ हीबोर्ड ने बिल्लियों की नस्ल और उनके नर और मादा की अलग-अलग गणना कर रिकॉर्ड भी मांगा है।
16 अक्टूबर को पत्र जारी कर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन काम करने वाले भारतीय जीव-जंतु कल्याण बोर्ड की सचिव नीलम बाला ने कहा है कि बिल्लियां बढ़ रही हैं तो उन पर अत्याचार बढ़ रहा है। इससे समाज में बीमारियां फैलने और अस्वस्थ माहौल का खतरा बढ़ गया है।
स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी थी कि एक महीने में काम पूरा करने के बाद एक्शन टेकन रिपोर्ट जमा करवाई जाए। एक माह में किसी भी राज्य सरकार ने न तो एक्शन टेकन रिपोर्ट जमा करवाई और न ही यह बताया कि उनके यहां कितनी बिल्लियां हैं। अब बोर्ड के मास्टर ट्रेनर नरेश कादयान ने व्यक्तिगत तौर पर रोहतक की जिला अदालत में याचिका लगाकर एडवाइजरी की अनिवार्य तौर पर पालना करवाने को कहा है। मामले में 15 फरवरी 2019 को पहली सुनवाई तय की गई है।
बिल्लियांउठा ले जाती हैं बच्चे
भिवानी में 13 सितंबर को एक बिल्ली नंदराम कटला हालु बाजार में एक माह के बच्चे को उठा ले गई थी। बच्चे को बिल्ली के पास देखकर उसका चाचा तीसरी मंजिल से बचाने के लिए कूद गया। बच्चा तो बच गया, लेकिन चाचा को गंभीर चोटें आईं। सितंबर, 2017 में पीजीआई रोहतक से बच्चा चोरी हो गया था। इसका आरोप भी एक बिल्ली पर लगाया गया। प्रबंधन ने कहा कि पीजीआई में बिल्लियां ज्यादा हो गई हैं। हो सकता है कि बच्चा बिल्ली ले गई है।
हर 3 माह में 4-5 बच्चे पैदा करती है बिल्ली
बोर्ड ने कहा कि बिल्लियां हर तीन महीने में चार से पांच बच्चे पैदा करती हैं। ज्यादातर भूख, बीमारी या चोट लगने से मर जाती हैं। इनके बच्चे सड़कों पर वाहनों के नीचे आने या पानी के पाइप में फंसकर मर जाते हैं। वहीं, बिल्लियों के काटने से फैलने वाली बीमारियां रैबीज, कीड़े पड़ना आदि के उपचार के उपाय नहीं हैं।
बोर्ड की ओर से जारी की गई एडवाइजरी में कहा गया है कि हरियाणा में ही करीब पौने दो लाख देसी बिल्लियां हैं। बिल्लियों से लोगों की धार्मिक भावनाएं भी जुड़ी हैं। इसे मारना भी अशुभ माना जाता है, इसका रोना भी अशुभ है। ऐसे में नसबंदी और इनका इलाज करना जरूरी है। -नरेश कादयान, मास्टर ट्रेनर, भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड
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