चंडीगढ़ । पंजाब में बहुप्रतीक्षित कैबिनेट विस्तार को लेकर सुगबुगाहट फिर से शुरू हो गई है। इसका मुख्य कारण अगले हफ्ते मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की संभावित बैठक है। यह बैठक जनवरी के पहले ही सप्ताह में हो जानी थी, लेकिन कैप्टन की आंखों में इन्फेक्शन की वजह से यह नहीं हो पाई। वहीं, कैबिनेट विस्तार में हो रही लगातार देरी से कांग्रेस में बेचैनी बढ़ती जा रही है।
अगले हफ्ते कैप्टन अमरिंदर सिंह पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मुलाकात कर सकते हैं। इस मुलाकात में कैबिनेट विस्तार ही चर्चा का मुख्य केंद्र रहेगा। हालांकि, कैबिनेट का विस्तार किसी भी सूरत में लुधियाना नगर निगम चुनाव से पहले नहीं हो पाएगा, लेकिन इस बात की पूरी संभावना है कि यह विस्तार पंजाब सरकार के आगामी बजट सत्र से पहले हो जाए। क्योंकि पंजाब में कांग्रेस की सरकार बने हुए पूरे 10 माह का समय बीत चुका है। 10 साल बाद पंजाब में कांग्रेस सरकार बनाने वाले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 9 मंत्रियों के साथ पदभार संभाला था। अभी 8 मंत्री और बनाने की गुंजाइश है।
निगम चुनाव के चलते रुका था मामला
कैबिनेट विस्तार को लेकर कैप्टन दो माह पूर्व राहुल गांधी से मिले थे, लेकिन राज्य में 4 नगर निगम व नगर काउंसिलों के चुनाव को देखते हुए कैबिनेट का विस्तार रुक गया था। पार्टी में बेचैनी के देखते हुए कैप्टन ने नगर निगम चुनाव के बाद कैबिनेट विस्तार की बात कही थी। कांग्रेस ने तीन नगर निगम और नगर काउंसिल के चुनाव भी जीत लिए, लेकिन लुधियाना नगर निगम का चुनाव न होने के कारण कैबिनेट विस्तार की बात रास्ते में ही रह गई।
माना जा रहा है कि संभवत: अगले सप्ताह कैप्टन और राहुल के बीच होने वाली बैठक में यह तय हो जाएगा कि कैबिनेट का विस्तार कब किया जाए। कांग्रेस की परेशानी यह भी है कि दस माह में न तो कैबिनेट का विस्तार हुआ और न ही बोर्ड व कॉरपोरेशन के चेयरमैन लगाए गए। कांग्रेस ने गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव व नगर निगम व नगर काउंसिल के चुनाव तो जीत लिए, लेकिन कैबिनेट विस्तार न होने और चेयरमैनों की खाली पड़ी कुर्सी के कारण इंतजार बढ़ता जा रहा है।
बदलाव भी हो सकता है
महत्वपूर्ण बात यह भी है कि राहुल गांधी कैबिनेट का विस्तार जल्द से जल्द चाहते हैं। इसका मुख्य कारण यह भी है कि उत्तर भारत में पंजाब ही एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां कांग्रेस की सरकार है। ऐसे में कांग्रेस के पास रोल मॉडल के रूप में पेश करने के लिए पंजाब ही एकमात्र ऐसा जरिया है। वहीं, सूत्र बताते हैं कि विस्तार के साथ-साथ कैबिनेट में बदलाव भी किया जा सकता है। क्योंकि कैप्टन सरकार के एक-दो मंत्री लगातार विवादों में घिरे हुए हैं। भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे मंत्री का मुद्दा 2019 के कांग्रेस के मिशन में विघ्न पैदा कर सकती है।