नवाचार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाले मानकों को आकार देने में शिक्षा-उद्योग सहयोग की आवश्यकता: महानिदेशक, भारतीय मानक ब्यूरो
भारतीय मानक ब्यूरो ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में वार्षिक सम्मेलन का आयोजन किया
– यह स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पर केंद्रित पहला सम्मेलन था।
– 28 संस्थानों के लगभग 36 प्रतिभागी उपस्थित थे।
– सम्मेलन का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में मानकीकरण के बारे में जागरूकता पैदा करना है।
– इसका उद्देश्य इस क्षेत्र में भारतीय मानक ब्यूरो की मानकीकरण गतिविधि को मजबूत करने के लिए शिक्षाविदों और अनुसंधान संगठनों के साथ सहयोग के अवसरों की खोज करना भी है।
भारतीय मानक ब्यूरो के महानिदेशक श्री प्रमोद कुमार तिवारी ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पर वार्षिक सम्मेलन के दौरान कहा कि नवाचार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाले मानकों को आकार देने में शिक्षा-उद्योग सहयोग की आवश्यकता है ।
भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के विभाग के अंतर्गत भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने नोएडा स्थित अपने राष्ट्रीय मानकीकरण प्रशिक्षण संस्थान में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में शैक्षणिक संस्थानों और अनुसंधान एवं विकास संगठनों के डीन और विभागाध्यक्षों के लिए वार्षिक सम्मेलन का आयोजन किया। शैक्षणिक और अनुसंधान संगठनों के साथ आयोजित किए जा रहे सम्मेलनों की श्रृंखला में, यह स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पर केंद्रित पहला सम्मेलन था। सम्मेलन में 28 संस्थानों के लगभग 36 प्रतिभागी मौजूद थे, जिनका प्रतिनिधित्व डीन, विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य और अनुसंधान संगठनों के विशेषज्ञ कर रहे थे।
सम्मेलन का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में मानकीकरण के बारे में जागरूकता पैदा करना और इस क्षेत्र में भारतीय मानक ब्यूरो की मानकीकरण गतिविधि को मजबूत करने के लिए शिक्षाविदों और अनुसंधान संगठनों के साथ सहयोग के अवसरों का पता लगाना था। भारतीय मानक ब्यूरो का उद्देश्य भारतीय मानकों की उपयोगिता को मजबूत करना है जो विशेष रूप से उद्योगों या उपभोक्ता समूहों तक सीमित नहीं हो सकते हैं, बल्कि शिक्षाविदों के लिए तकनीकी रुचि के भी साबित हो सकते हैं। संस्थानों के साथ जुड़ने का यह अभ्यास अकादमिक और शोध क्षेत्र के अंतर्गत मानकों के बारे में अधिक जागरूकता के लिए एक पहल है जो उनकी सक्रिय भागीदारी और मानकों को विकसित करने की मांग करता है।
श्री तिवारी ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भारत के विनिर्माण आधार को मजबूत करने के महत्व पर चर्चा की। श्री तिवारी ने उपस्थित लोगों को शैक्षणिक संस्थानों में मानकीकरण के ‘अध्यक्षों’ की नियुक्ति और सहयोग बढ़ाने के लिए समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करने के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने संस्थानों में ओरिएंटेशन कार्यक्रमों और विभिन्न विषयों में वार्षिक सम्मेलनों सहित भारतीय मानक ब्यूरो की पहलों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने विशेषज्ञों से भारतीय मानक ब्यूरो तकनीकी समितियों में सक्रिय रूप से भाग लेने, अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं में शामिल होने और सीखने को बढ़ाने के लिए मानकों को इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में एकीकृत करने का आग्रह किया। उन्होंने सीमित विनिर्माण आधार और सीमित अनुसंधान क्षमताओं की चुनौतियों की पहचान करके निष्कर्ष निकाला, और भारतीय मानकों को वैश्विक मान्यता प्राप्त करने के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के साथ तालमेल बिठाने की आवश्यकता पर बल दिया।
श्री चंदन बहल, वैज्ञानिक-जी और डीडीजी (अंतर्राष्ट्रीय संबंध) ने प्रतिनिधियों का स्वागत किया। अपने संबोधन के दौरान, उन्होंने ऐसे मानक बनाने पर जोर दिया जो न केवल वैज्ञानिक रूप से उन्नत हों, बल्कि जरूरतों के हिसाब से समयोचित भी हों। उन्होंने अकादमिक और शोध संगठनों के महत्व पर भी जोर दिया, जो इस क्षेत्र के नवीनतम तकनीकी ज्ञान वाले एक महत्वपूर्ण हितधारक हैं। उन्होंने सम्मेलन को मानकों के ज्ञान को अनुसंधान समुदायों और विद्वानों तक ले जाने और भविष्य के मानकीकरण में अनुसंधान समुदाय की भागीदारी की शुरुआत के रूप में वर्णित किया।
श्री दीपक अग्रवाल, वैज्ञानिक-एफ और प्रमुख (मानक समन्वय और निगरानी विभाग) ने प्रतिभागियों को भारतीय मानक ब्यूरो के अवलोकन और गतिविधियों, विशेष रूप से मानकीकरण से परिचित कराया। भारतीय मानक ब्यूरो की एससीएमडी टीम ने प्रमुख उपलब्धियों और इसके लिए डिजिटल इंटरफेस पर विषयों की व्याख्या के लिए भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा की गई पहलों को साझा किया।
श्री चिन्मय द्विवेदी, वैज्ञानिक-ई और प्रमुख (चिकित्सा उपकरण और अस्पताल योजना विभाग) ने भारतीय मानक ब्यूरो में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में मानकों के निर्माण की गतिविधियों से दर्शकों को अवगत कराया। एमएचडी के अधिकारियों ने स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण मानकों के बारे में जानकारी दी जो जैव प्रौद्योगिकी और जैव चिकित्सा इंजीनियरिंग के शैक्षणिक क्षेत्रों में तकनीकी अवधारणाओं पर आधारित हैं।
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