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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

एफएसएसएआई की विकास-यात्रा: वर्तमान और भविष्य

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एफएसएसएआई की विकास-यात्रा: वर्तमान और भविष्य

-श्री जे.पी. नड्डा
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री

एनडीए शासन के दौरान दूसरी बार स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री बनने के बाद, पिछले सप्ताह जब मैंने भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) का दौरा किया, तो मुझे 2014 में स्वास्थ्य मंत्री के रूप में अपने शुरुआती कार्यकाल का स्मरण हो आया। यह वह समय था जब FSSAI खुद को देश के खाद्य-सुरक्षा नियामक के रूप में स्थापित कर रहा था और उस पर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी के लिए खाद्य मानक और नीतियाँ तय करने की बड़ी ज़िम्मेदारी थी।

22 अगस्त 2016 को खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम (FSSA), 2006 के एक दशक पूरा होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में जब मैंने पहली बार FSSAI टीम और विभिन्न हितधारकों से मुलाकात की, तो FSSAI का दृष्टिकोण स्पष्ट था। उनका लक्ष्य नीतियों को मज़बूत करना, उभरती चुनौतियों का समाधान करना तथा नागरिकों और खाद्य व्यवसायों के बीच सामाजिक और व्यावहारिक परिवर्तन को बढ़ावा देना था। इन पहलों को ‘ईट राइट इंडिया मूवमेंट’ के तहत ख़ूबसूरती से एकीकृत किया गया है, जिसने सभी भारतीयों के लिए ‘सुरक्षित, स्वस्थ और सतत’ भोजन सुनिश्चित करने के लिए एक समग्र ‘संपूर्ण प्रणाली दृष्टिकोण’ अपनाया है।

स्वास्थ्य मंत्रालय और FSSAI हमारे देश के खाद्य-सुरक्षा परिदृश्य को बेहतर बनाने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। एक मज़बूत खाद्य-सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र केवल मज़बूत खाद्य-नीतियों और मानकों की नींव पर ही बनाया जा सकता है। यह जानकर खुशी होती है कि FSSAI के वैज्ञानिक पैनल और विशेषज्ञ समितियों में काफ़ी विस्तार हुआ है, जिसमें 88 संगठनों के 286 विशेषज्ञ शामिल हैं। इससे वैश्विक मानकों के अनुरूप मानकों और नीतियों के विकास की गति में उल्लेखनीय तेज़ी आई है।

FSSAI की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि मिलेट के मानकों का सृजन है, जिन्हें 2023 में वैश्विक मिलेट (श्री अन्न) सम्मेलन में प्रधानमंत्री द्वारा लॉन्च किया गया था। ये मानक कोडेक्स एलिमेंटेरियस आयोग के साथ साझा किए गए हैं, जिससे मिलेट के वैश्विक मानकों के विकास और भारत को एक अग्रणी देश के रूप में स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

सुरक्षित भोजन सुनिश्चित करने के लिए नीतियों और मानकों के विकास के साथ-साथ उनका प्रवर्तन और परीक्षण भी उतना ही आवश्यक है। पिछले आठ वर्षों में FSSAI के खाद्य-परीक्षण बुनियादी ढाँचे में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। माननीय प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में, कैबिनेट ने राज्य खाद्य-परीक्षण प्रयोगशालाओं को मज़बूत करने के लिए ₹482 करोड़ की मंज़ूरी दी। FSSAI ने “फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स” नाम से मोबाइल फूड लैब उपलब्ध कराकर दूरदराज़ के इलाकों तक पहुँचना शुरू कर दिया है।

इन उपलब्धियों का उत्सव मनाते समय, हमें वैश्विक स्तर पर उभर रहे रुझानों, जैसे कि प्लांट बेस्ड प्रोटीन, प्रयोगशाला में विकसित मांस आदि को भी स्वीकार करना चाहिए। FSSAI ने नई श्रेणियों, जैसे – वीगन खाद्य पदार्थों, जैविक उत्पादों और आयुर्वेदिक आहार के लिए सक्रिय रूप से मानक विकसित किए हैं और यह खाद्य-सुरक्षा के उभरते रुझानों के अनुरूप निरंतर अनुकूलन कर रहा है।

जैसे-जैसे वैश्विक खाद्य व्यापार का विस्तार हो रहा है, FSSAI कोडेक्स जैसे विभिन्न मंचों पर अंतरराष्ट्रीय नियामकों के साथ साझेदारी कर रहा है। इसका उद्देश्य बढ़ती आबादी के लिए सुरक्षित और पौष्टिक भोजन सुनिश्चित करने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना और सामंजस्यपूर्ण दृष्टिकोण विकसित करना है। FSSAI ने 2023 में दिल्ली में पहला वैश्विक खाद्य नियामक शिखर सम्मेलन (GFRS) भी आयोजित किया, जो खाद्य नियामकों के लिए उभरती खाद्य-सुरक्षा चुनौतियों के बारे में मिलने और विचार-विमर्श करने के लिए अपनी तरह का पहला सहयोगी मंच है। FSSAI आने वाले महीनों में GFRS के दूसरे संस्करण के लिए तैयार है।

जब हम खाद्य-सुरक्षा पर बात करते हैं, तो उपभोक्ताओं और नागरिकों को साक्ष्य-आधारित जानकारी के माध्यम से विभिन्न खाद्य-सुरक्षा मुद्दों पर सशक्त बनाना महत्वपूर्ण है। तभी हमारा काम समग्रता से पूर्ण होगा। यहीं पर FSSAI का ‘ईट राइट इंडिया’ अभियान महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, यह सुनिश्चित करके कि उपभोक्ताओं तक हर स्तर पर ज़रूरी जानकारी पहुँचे। इस परिवर्तनकारी कार्यक्रम को हमारे आउटरीच को मज़बूत करने और व्यावहारिक बदलाव को प्रोत्साहित करने के लिए बढ़ाया जा रहा है, जो उपभोक्ताओं को सुरक्षित और स्वस्थ खाद्य विकल्पों की मांग करने के लिए सशक्त बनाता है और खाद्य व्यवसायों को बेहतर विकल्प प्रदान करने के लिए प्रेरित करता है।

FSSA, 2006 खाद्य-उत्पादों के लिए व्यापक मानकों को अनिवार्य बनाता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि वे उपभोग के लिए सुरक्षित हैं। साथ ही, फूड-लेबलिंग के नियम उपभोक्ता को एक सूचित विकल्प (informed choice) बनाने में सशक्त करते हैं। विज्ञापन और दावों के लिए नीतियाँ यह भी सुनिश्चित करती हैं कि खाद्य व्यवसायों द्वारा खाद्य-उत्पादों पर कोई भ्रामक दावा नहीं किया जा रहा है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (CPA) 2019 उपभोक्ताओं को शिकायत दर्ज करने के लिए पर्याप्त तंत्र प्रदान करके उनके सामने आने वाली आधुनिक चुनौतियों का समाधान करने में सहायक रहा है, विशेष रूप से भ्रामक विज्ञापनों, असुरक्षित या घटिया भोजन से संबंधित शिकायतों के सन्दर्भ में ।

खाद्य-सुरक्षा एक सामूहिक प्रयास है, और FSSAI विभिन्न सरकारी विभागों और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर काम कर रहा है। यह सम्पूर्ण सरकार (whole-of-government) और सम्पूर्ण प्रणाली (whole-of-system) दृष्टिकोण को अपना रहा है। FSSAI खाद्य-सुरक्षा और स्वास्थ्य पहलों में उद्योग और अन्य हितधारकों को शामिल करके एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण को सक्रिय रूप से आगे बढ़ा रहा है।

FSSAI ने पिछले दस वर्षों में भारत की खाद्य-सुरक्षा स्थिति को महत्त्वपूर्ण रूप से बदला है। साथ ही, यह उभरती चुनौतियों का समाधान करने और उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने के लिए लगातार काम कर रहा है। FSSAI का लक्ष्य अपनी प्रतिबद्धता और समग्र दृष्टिकोण से भारत को खाद्य-उत्पादन में ही नहीं, बल्कि खाद्य-सुरक्षा और स्थिरता में भी वैश्विक गुरु बनाना है।