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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

बाजरे के शोध पर पैसा खर्च कर इस पौष्टिक भोजन को करें प्रोत्साहित: अनिरुद्ध तिवारी

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बाजरे के शोध पर पैसा खर्च कर इस पौष्टिक भोजन को करें प्रोत्साहित: अनिरुद्ध तिवारी

पीजीआई और एमजीएसआईपीए द्वारा संयुक्त रुप से बाजरे के उत्थान पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

चंडीगढ़, फसलों के विविधकरण की दृष्टि से बाजरे की खेती पर भी बल देने की आवश्यकता है। बजरे के प्रति नजरअंदाजी का सबसे बड़ा मुख्य कारण इस फसल पर गेहूं और चावल की तरह शोध के लिये पैसा आंवटित नहीं किया गया है। परन्तु अब समय आ गया है कि इस फसल को प्रोत्साहित कर पौष्टिकता से युक्त बाजरे को अपने आहार का हिस्सा बनाये। यह भाव महात्मा गांधी स्टेट इंस्टीच्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्टेशन (एमजीएसआईपीए) के महानिदेशक अनिरुद्ध तिवारी (आईएएस) ने बाजरे मिलट्स पर अधारित राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठि ‘मिलेट्स फॉर इनकरेजिंग सोयल रिस्टोरेशन एंड हैल्थी फूड एसेसिबिलिटी’ में आये देश भर से आये प्रतिनिधियों के समक्ष प्रकट किये। इस संगोष्ठि का आयोजन एमजीएसआईपीए, पीजीआई स्थित डिपार्टमेंट ऑफ काम्युनिटी मैडिसन एंड स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ (डीसीएम एसपीएच) और इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ मिलेट्स रिसर्च द्वारा सेक्टर 26 स्थित एमजीएसआईपीए परिसर में किया गया था जिसमें इस इस मिलेट्स मूवमेंट से जुड़े शोधकर्ताओं और उद्योगों ने इस फसल के उत्थान के लिये विचारों का आदान प्रदान किया।

अपने स्वागत संबोधन में आयोजक तथा पीजीआई स्थित डीसीए और एसपीएच विभाग में ऐसोसियेट प्रोफेसर ऑफ न्यूट्रिशन पूनम खन्ना ने आयोजन के उद्देश्य पूर्ति के पहलूओं से अवगत करवाया।  उन्होंनें बताया कि भारत की पहल पर आगामी वर्ष 2023 को यूएन ने  इंटरनैश्नल ईयर ऑफ दी मिलेट्स घोषित किया गया है जिसकी कड़ी में यह आयोजन उस अभियान को मजबूती प्रदान करेगा। बाजरे की महत्वता पर बल देते हुये कि वे न केवल की कुपोषण की पूर्ति करते हैं बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता को भी कायम रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।

उन्होंनें बताया यह कार्यक्रम इस रुप से डिजाईन किया गया है कि जिसमें किसान से लेकर, इस दिशा में कार्यरत शोधकर्ता, वैज्ञानिक, रिसर्च संगठन, पोलिसी मेकर्स, शिक्षाविद् और औद्योगिक प्रतिनिधि एक तल पर आकर एकमत निष्कर्ष के माध्यम इसकी खेती को प्रोत्साहित कर सके । उन्होंनें बताया कि बाजरे के उत्थान के लिये पीजीआई सदैव से प्रयासरत रहा है और इसी कड़ी में वे आंगनवाड़ियो वर्कर्स और माताओं के लिये गोष्ठियों और रसोई सत्र आयोजित कर सुपोषण प्रोजेक्ट के अधीन बाजरे से बने खाने की पौष्टिकता को उजागर करती है। उन्होंनें बताया कि उनका प्रयास कृषि विभाग के गठबंधन कर किसानों, लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय से जुड़कर मिलेट की पैकेजिंग और खरीद को समर्थन दें।

एमजीएसआईपीए के निदेशक गिरीश दयालन ने अपने संबोधन में बताया कि भारत विश्व का सर्वाधिक बाजरे की उत्पादन करने वाला देश है । इस रिकार्ड उत्पादन को भुनाने की दृष्टि से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने कार्यक्रम मन की बात के माध्यम से लोगों का ध्यान खींचा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 से नेशनल फूड सिक्योरिटी मिशन ने बाजरे के उत्थान में कई कार्यक्रम शुरू किये हैं।

कार्यक्रम में भाग ले रहे सिटिजंस अवैरनेस ग्रुप के चैयरमेन सुरेन्द्र वर्मा ने अपना मत देते हुये कहा कि बाजरे को किफायती बनाकर इसको लोगों तक पहुंचाना आवश्यक है। इसी के साथ सरकार को किसानों की गेहूं और चावल की खेती की तर्ज पर प्रोत्साहित करना चाहिये। कार्यक्रम के दौरान हैदराबाद स्थित आईआईएमआर के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डा दयाकर राओ, नीति आयोग के सदस्य डॉ राज भंडारी, सोनीपत स्थित एनआईएफटीईएम की चेयर प्रोफेसर दीप्ति गुलाटी सहित अन्य ने भी संबंधित विषय पर अपने विचार व्यक्त किये।