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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

डॉग्स न बेजुबान होते हैं, न आवारा : विकास लूथरा

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डॉग्स न बेजुबान होते हैं, न आवारा : विकास लूथरा

 

— नरविजय यादव 

विकास लूथरा का न रहना एक बड़ी घटना है। बेसहारा जीव-जंतुओं के इस मसीहा का पिछले कुछ महीनों से पीजीआई चंडीगढ़ में इलाज चल रहा था। उनके दोनों किडनी पहले ही खराब थे। कुछेक माह पूर्व फेफड़ों में भी तकलीफ पैदा हो गयी। उम्मीद थी कि धुन के पक्के और हिम्मत के धनी विकास स्वस्थ होकर लौट आयेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। फरएवर फ्रेंड्स फाउंडेशन के संस्थापक विकास का जीवन बेघर कुत्तों, गायों व अन्य जीव-जंतुओं की सेवा को समर्पित था। उनसे जुड़े सैकड़ों वॉलंटियर अब अकेला महसूस कर रहे हैं। विकास की काया दुबली और कद छोटा जरूर था, लेकिन गज़ब का जज्बा रखता था यह शख्स।

 

सड़क दुर्घटनाओं में घायल बेसहारा डॉग्स, घोड़े, गायों व पक्षियों की चिकित्सा और देखरेख विकास खुद करते थे। उनकी गाड़ी में घायल गायें और सांप तक सफर कर चुके थे। देर रात सूचना मिलती तो भी निकल पड़ते थे रेस्क्यू और मदद पहुंचाने। विकास मुझसे पूछते थे कि “लोग देसी डॉग्स को आवारा क्यों कहते हैं?” डॉग्स तो एक एरिया विशेष में रहते हैं। दूसरे एरिया के डॉग्स अपने यहां किसी बाहरी डॉग को आने तक नहीं देते। आवारा तो मनुष्य होता है, जो यहां से वहां घूमता और यात्राएं करता रहता है। उन्हें इस बात पर भी आपत्ति थी कि “जानवरों को लोग बेजुबान कहते हैं, जबकि जानवर बोलते हैं।” यह तो मनुष्य है, जो जानवरों की बात नहीं समझना चाहता। उनका तर्क था कि यदि चीन का कोई व्यक्ति अपनी भाषा में चींचूं करता है तो उसे भी तो हम नहीं समझ पाते हैं, तो क्या चीनी बेजुबान हैं? फिर जानवर बेजुबान कैसे हुए?

 

एक हाउसिंग सोसायटी में कम्युनिटी डॉग्स के साथ क्रूरता होने पर, सोशल मीडिया के जरिये हम विकास से मिले थे। फिर तो एक सिलसिला बन गया मुलाकातों का। प्रकृति प्रेमी होने के नाते हम एक-दूसरे का संबल बने। बेघर डॉग्स की समस्याओं पर हम विचार-विमर्श करते और योजनाओं को अमली जामा पहनाते। उनके द्वारा बचाये गये कई नवजात डॉग्स को हमने अपने घर रखा और देखरेख की। सोसायटी की तीन मादा डॉग्स की नसबंदी करवायी। कुछ जागरूकता अभियान भी चलाये। विकास कहते थे कि “सड़क के डॉग को कोई एक नाम दे दीजिए, बाकी सब अपने आप हो जायेगा। नाम रखने से एक रिश्ता बनता है और लोग खुद ब खुद उसका ख्याल रखने लगते हैं।” जानवरों के इस मसीहा को हमारा शत-शत नमन एवं श्रृद्धांजलि।

 

नरविजय यादव एक वरिष्ठ पत्रकार एवं जन-संचार विशेषज्ञ हैं।

narvijayindia@gmail.com