करोना टाइम में प्रकृति से जुडऩे का अवसर मिला जो बहुत अच्छा लगा: वामीका गब्बी
वायोपिक, हिस्टोरिकल थीम पर काम करना पहली पसंद: मैंडी तखर
साहित्य और संगीत दोनों प्रिय है: गोवर्धन गब्बी
गोवर्धन गब्बी की दो हिन्दी किताबों के अनावरण में वामीका गब्बीऔर मैंडी तखर ने शिरकत की
चंडीगढ़,सुनीता शास्त्री। साहित्य पर आधारित फिल्में ज्यादा लोक प्रिय होती हैं। गोवर्धन गब्बी पंजाबी साहित्य के क्षेत्र में बहु आयामी प्रसिद्ध व्यक्तित्व हैं आज अपनी दो पुस्तकें पूरनकथा व बिंब प्रतिविंव का हिन्दी अनुवाद का अनावरण के मौके पर पत्रकारों से रूबरू हुए । इस अवसर पर उनकी बेटी हिंदी सिनेमा की जानी-मानी अभिनेत्री वामीका गब्बीऔर मैंडी तखर ने शिरकत की। बेटा हार्दिक गब्बी अभिनय और संगीत की दुनिया में खुद को स्थापित करने के लिए प्रयास रत है। गोवर्धन गब्बी लेखक के साथ सिनेमा से जुड़े एक जिम्मेदार,गंभीर दर्शक / रचनात्मक सोच के आलोचक भी हैं। पंजाबी साहित्य के क्षेत्र में एक नया चलन हो रहा है आज गोवर्धन गब्बी की दो किताबें पूरन कथा और बिंब – प्रतिबिम्ब फिल्म अभिनेताओं द्वारा जारी की जारी की गई। फिल्म स्टार बेटी वामिका गब्बी ने बताया कि पिछले करोना लॉक डाउन के समय में एक्टिंग नहीं की, हार्स स्टार, जार फिल्म के कार्यक्रम में लखनऊ गर्ह । बहुत अच्छा लगा । पेंटिंग की ,किचिंन गार्डन कीऔर डोगी पाले। वामिका गब्बी ने बताया कि करोना टाइम में प्रकृति से जुडऩे का अवसर मिला जो बहुत अच्छा लगा।मैंडी तखर ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि वह अपना प्रोडक्शन शुरू करने जा रही हें जो मूलत: महिलाओं पर आधारित होगा इसके अलावा वह वायोपिक, हिस्टोरिकल थीम को करना पसंद करेंगी। उनके हर प्रोजेक् ट में वामीका गब्बी हमेशा साथ रहेगी। इंहें भी डॉगी बहुत पसंद हैं । गोवर्धन गब्बी ने अपनी लेखन यात्रा और अपनी पुस्तकों से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य भी साझा करते हुए कहा कि पुस्तक पुरण कथा उनके पिता की संघर्षपूर्ण जीवनी की गाथा है, जिसका हिंदी में प्रसिद्ध लेखक मीनाक्षी मनहर ने अनुवाद किया है। यह पुस्तक फौजी पिता के जीवन संघर्ष को दशा्र्रती हुई पाठकों संदेश देती है – कि मुश्किल भरे जीवन से घबराना नहीं चाहिए। दृणता से सामना करना चाहिए। संघर्षमयी जीवन ही नई दिशा दृष्टि देता है। दूसरी पुस्तक बिंब-प्रतिबिम्ब’उन चुनिंदा कहानियों का संग्रह है जिसमें गब्बी ने कहानियो में किस्सागोई नहीं वरन सामाजिक विसंगतियो पर बेबाक लेखनी से स्त्री- पुरूष के चेतन -अवचेन सोच को उजागर किया है। जिनका हिंदी में प्रसिद्ध लेखक सुभाष नीरव ने अनुवाद किया है। एक लेखक होने के अलावा, गोवर्धन गब्बी एक मधुर गायक भी हैं। उन्होंने बताया कि गायन उनका प्राथमिक शौक रहा है जिसके लिए वह हाल ही मे फिर से सक्रिय हुए हैं।इस अवसर पर एक गीत भी गाकर सुनाया।