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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

आढ़ती बोले- लेबर न होने के कारण गेहूं की संभाल में आ सकती है परेशानी

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  • जिले की मंडियों में 20 अप्रैल से शुरू होगी गेहूं की आमद 4.25 लाख एकड़ रकबे में 8.50 लाख टन हुई पैदावार

दैनिक भास्कर

Apr 11, 2020, 05:37 AM IST

जालंधर. जिले की अलग-अलग दाना मंडियों में गेहूं की आमद 20 अप्रैल से शुरू हो जाएगी। पिछले साल के मुताबिक इस साल गेहूं की पैदावार अधिक हुई। अब कोरोना वायरस के कारण आढ़तियों के आगे जो संकट पैदा हो रहा है, वे है लेबर का। लेबर न होने के कारण गेहूं को संभालेगा कौन और उतारेगा कौन।
इसके साथ ही एग्रीकल्चर अधिकारी नरेश गुलाटी ने बताया कि जिले में 4.25 लाख एकड़ रकबे में गेहूं की फसल की बिजाई की गई। इस साल 8.50 लाख टन गेहूं की पैदावार होने की संभावना है। मंडियों में पिछले साल 5 लाख 30 हजार टन के लगभग गेहूं आई थी। इस साल 5.40 लाख टन के करीब गेहूं मंडियों में आने की उम्मीद है। इस बार फसल बढ़िया हुई है। इतनी फसल को संभालने के लिए जिला प्रशासन ने तो अपनी तरफ से पुख्ता इंतजाम कर लिए हैं, लेकिन आढ़तियों की तरफ से हाथ खड़े किए जा रहे हैं।

संकट : ट्रेनें बंद होने के कारण यूपी-बिहार से नहीं आ पाएगी लेबर
नई दानामंडी के आढ़ती राजिंदर मिगलानी ने कहा कि कोरोना वायरस के कारण मंडियों में लेबर का भारी संकट पैदा हो सकता है। सारी लेबर यूपी-बिहार से आती है और ट्रेनें बंद पड़ी हैं। उनकी पक्की लेबर है, जिसे सारे काम के बारे में जानकारी है। कर्फ्यू लगने से पहले लेबर को जालंधर आने के लिए पैसे तक डाल दिए, लेकिन अब लॉकडाउन चल रहा है तो लेबर कैसे आएगी। प्रशासन को ये जरूर ध्यान देना चाहिए कि अगर मंडियों में गेहूं आती है तो उसको कैसे संभाला जाए।

मंडियों में पेंडिंग पड़ा काम, न मुनीम न अन्य कोई आदमी आ रहा
नई दाना मंडी आढ़ती एसोसिएशन के हरजीत सिंह कालड़ा, कश्मीरी लाल और रिंकू बाहरी ने कहा कि सरकार द्वारा दिन-ब-दिन मंडियों की गिनती तो बढ़ाई जा रही है, लेकिन लेबर कहां से लाएंगे। खरीफ सीजन शुरू हो चुका है। बहुत सारा काम मंडियों में गेहूं आने से पहले करने वाला है, जो पेंडिंग पड़ा है। मुनीम और अन्य कोई लेबर का आदमी मंडी में नहीं आ रहा है। क्योंकि प्रशासन द्वारा पास जारी नहीं किए गए हैं। पिछले साल गेहूं का रेट 1840 रुपए था और इस साल 1925 रुपए है। सरकार को चाहिए कि अगर लॉकडाउन की तारीख बढ़ाई है तो किसानों को कहे कि वे अपने पास गेहूं को स्टॉक कर ले और वहीं पर बेच लें। इससे उनकी किश्तें भी निकल जाएंगी और रेट भी मिल जाएगा। मंडियों में इस समय माल अगर आता भी है तो लेबर नहीं मिलेगी। डीसी को इस सारे मामले को गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि लेबर के बगैर कोई काम नहीं हो सकता है।