मुंबई। पॉपुलर कॉमेडियन और एक्टर रहे कादर खान (Kader Khan) क्रिटिकल कंडीशन में हॉस्पिटलाइज हैं। उन्हें BiPAP वेंटीलेटर पर रखा गया है। कादर खान(Kader Khan) की हालत के बारे में जानकर अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने ट्विटर पर उनके लिए दुआ मांगते हुए पोस्ट की। अमिताभ ने लिखा- कादर खान… अपार प्रतिभा के धनी एक्टर और राइटर। बीमार हैं और अस्पताल में हैं। उनकी अच्छी सेहत और उसमें जल्दी सुधार के लिए दुआ करता हूं। बता दें कि अमिताभ और कादर खान ने 'दो और दो पांच', 'मुकद्दर का सिकंदर', 'मिस्टर नटवरलाल', 'सुहाग', 'कुली', 'शहंशाह' जैसी फिल्मों में साथ काम किया है। हालांकि कई फिल्मों में अमिताभ के साथ काम करने के बावजूद कादर खान की एक ख्वाहिश आज भी अधूरी है। आखिर क्या है कादर खान की ख्वाहिश जो आज तक न हो सकी पूरी…
अमिताभ बच्चन के साथ कई फिल्मों में काम करने के अलावा कादर खान ने 'अमर अकबर एंथनी', 'सत्ते पे सत्ता', 'मिस्टर नटवरलाल' और 'शराबी' जैसी फिल्मों के डायलॉग भी लिखे। लेकिन कादर खान अमिताभ बच्चन को लेकर खुद एक फिल्म बनाना चाहते थे और उनकी ये तमन्ना अब तक पूरी नहीं हो सकी। एक इंटरव्यू के दौरान कादर खान ने बताया था- "मैं अमिताभ बच्चन, जया प्रदा और अमरीश पुरी को लेकर फिल्म 'जाहिल' बनाना चाहता था। उसका डायरेक्शन भी मैं खुद ही करना चाहता था, लेकिन खुदा को शायद कुछ और ही मंजूर था।" कादर खान के मुताबिक, इसी बीच फिल्म 'कुली' की शूटिंग के दौरान अमिताभ बच्चन को जबरदस्त चोट लग गई और फिर वो महीनों अस्पताल में भर्ती रहे। अमिताभ के अस्पताल से वापस आने के बाद मैं दूसरी फिल्मों में बिजी हो गया और अमिताभ भी राजनीति में चले गए। उसके बाद मेरी और अमिताभ की यह फिल्म हमेशा के लिए ठंडे बस्ते में चली गई।
जब अमिताभ और कादर खान की दोस्ती में आई दरार…
एक वक्त कादर खान और अमिताभ बच्चन में बहुत गहरी दोस्ती थी। लेकिन इनकी दोस्ती में सियासत की वजह से दरार पैदा हो गई थी। एक इंटरव्यू में कादर खान ने कहा था- ''जब से वो एमपी (सांसद) बन गया तब से मैं उससे खुश नहीं हूं। दरअसल, ये सियासत ऐसी चीज है, जो इंसान को पूरी तरह बदल देती है। वो जब राजनीति से लौटा तो मेरा अमिताभ नहीं था। कादर खान इस बात से नाराज थे कि अमिताभ ने उन्हें राजनीति में न जाने की बात कही थी लेकिन खुद ही राजनीति ज्वाइन कर ली थी।''
बेहद गरीबी में बीता कादर खान का बचपन…
बात कादर खान की लाइफ की करें तो उनका बचपन काफी गरीबी में बीता है। एक बार उनकी मां ने उनसे कहा था कि यदि गरीबी मिटाना चाहते हो तो पढ़ाई करो। मां की बात उन्हें इस कदर लगी कि उन्होंने सिर्फ पढ़ाई पर ही फोकस करना शुरू कर दिया। पढ़ाई के साथ ही उन्हें लिखने का शौक भी पैदा हो गया। उन्होंने इस्माइल यूसुफ कॉलेज से इंजीनियरिंग की। वे एमएच सैबू सिद्दिक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर थे।
एक घटना के बाद बदला अपना किरदार…
शुरुआती दौर में कादर खान ने फिल्मों में विलेन का किरदार निभाया। उनकी गिनती बॉलीवुड के फेमस विलेन में होती थी। लेकिन एक दिन एक घटना के बाद उन्होंने फिल्मों में कॉमेडियन का किरदार निभाना शुरू किया। दरअसल, एक दिन उनका बेटा स्कूल में लड़ाई करके घर लौटा। जब उन्होंने पूछा कि लड़ाई क्यों की तो बेटे ने बताया कि स्कूल में सब उसे चिढ़ाते हैं कि उसके पिता बुरे आदमी और विलेन हैं। बेटे की बात सुनकर वे शॉक्ड रह गए और उसी वक्त तय कर लिया था कि अब वे फिल्मों में अच्छे रोल करेंगे।
इन फिल्मों में किया कादर खान ने काम…
कादर खान ने अपने करियर की शुरुआत 1972 में आई फिल्म 'दाग' से की थी। इसके अलावा उन्होंने 'अदालत' (1976), 'परवरिश' (1977), 'दो और दो पांच' (1980), 'याराना' (1981), 'खून का कर्ज' (1991), 'दिल ही तो है' (1992), 'कुली नं. 1' (1995), 'तेरा जादू चल गया' (2000), 'किल दिल' (2014) सहित कई फिल्मों में काम किया है। वे आखिरी बार 2015 में आई फिल्म 'हो गया दिमाग का दही' में नजर आए थे।
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