रेवाड़ी (हरियाणा)। फिल्म थ्री इडियट्स का रणछोड़दास तो आपको याद होगा, जो जुगाड़ से कई तरह की मशीनें बनाता है। हमारे देश में भी ऐसी प्रतिभाओं की कमी नहीं है। लेकिन ये प्रतिभाएं अपने अविष्कारके चलते सुर्खियों में आती हैं और फिर गुमनामी में खो जाती हैं। ऐसे टैलेंटेड लोगों की कहानी बताने के लिए लाए हैं देसी जुगाड़ सीरीज। इस सीरीज में आप फोटो और वीडियो के माध्यम से इन लोगों के इनोवेशन और अब उनकी जिंदगी में क्या बदलाव आए हैं ये जान सकेंगे। पेश है पहली स्टोरी….
बस 3 महीने में बना दी 'फार्मूला वनकार'
– रेवाड़ी के रहने वाले 21 साल के निशांत वशिष्ट ने पिछले साल अक्टूबर में देसी जुगाड़ से मात्र 60 हजार रुपए की लागत में 'फार्मूला वनकार' बना डाली थी। इसे बनाने में उन्हें तीन महीने लगे थे।
– निशांत बताते हैं कि उन्होंने बचपन में ऐसीकारबनाने का सपना देखा था। इसके लिए ही वे सहारनवास स्थित माता राज कौर इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे।
– निशांत की बनाईकार70 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है। जबकि इसका माइलेज 30-40 किमी. प्रति लीटर है। पेट्रोल से चलने वाली इसकारमें 5 गियर हैं।
– लोहे के एंगल और स्टील की शीट को जोड़कर वेस्ट मटेरियल से बनी इसकारमें पल्सर बाइक का 150cc इंजन लगा है।
– ये ऑटो रिक्शा के डिफरेंशियल सिस्टम की तर्ज पर रियर व्हील ड्राइव करती है। यानि पीछे के पहियों के घूमने पर चलती है, ताकि टर्निंग में प्रॉब्लम न हो।
पिता के निधन के बाद छोड़ दी पढ़ाई
– निशांत कीकारबनकर तैयार होने के दो महीने बाद दिसंबर 2018 में बीमारी के चलते पिता अशोक वशिष्ट का निधन हो गया था। इसके बाद निशांत ने घर की जिम्मेदारी संभालने के लिए पढ़ाई छोड़ दी। फिलहाल गुड़गांव की एक निजी कंपनी में जॉब करते हैं।
– उनकी फैमिली में मां सीमा वशिष्ट, जो हाउसवाइफ हैं। बहन इशिता वशिष्ट हैं, जो डिस्टेंस लर्निंग से पुणे के सिम्ब्वॉयसिस कॉलेज से MBA कर रही हैं। वे भी गुडगांव की एक कंपनी में जॉब करती हैं। निशांत ने रेवाड़ी के कैंब्रिज स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की थी।
इनोवेशन करना नहीं छोड़ूंगा बस…
– निशांत कहते हैं कि फॉर्मूला वनकारबनाने के लिए उन्होंने अपनी सेविंग्स से रुपए खर्च किए थे। लेकिन अब घर की जिम्मेदारियां उठाते हुए सेविंग्स खत्म हो चुकी हैं। अब मेरा सपनाकारको मॉडिफाई कर एडवांस फीचर्स वाली इलेक्ट्रिककारबनाना है।
– निशांत बताते हैं किकारके अलावा कुछ ऐसे ही दूसरे प्रोजेक्ट करना चाहते हैं। वे कहते हैं कि उनके पास और भी इनोवेटिव आइडिया हैं। लेकिन पैसों की कमी के चलते फिलहाल ब्रेक लिया है। कहीं से कोई मदद मिली तो इस पर आगे बढ़ूंगा।
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