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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

18 दिन चली अब तक की सबसे लंबी रोडवेज हड़ताल उच्च न्यायालय के दखल से खत्म, काम पर लौटेंगे कर्मी

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चंडीगढ़/भिवानी/रोहतक.16 अक्टूबर से जारी रोडवेज कर्मियों की हड़ताल आखिरकार 18वें दिन हाईकोर्ट के दखल के बाद खत्म हो गई। शुक्रवार को तीन दौर की सुनवाई के बाद कर्मचारी यूनियन के नेताओं ने कोर्ट को दिन के सवा तीन बजे लिखकर दिया कि सभी कर्मचारी शनिवार को दस बजे काम पर लौट आएंगे।

लेकिन, यूनियन नेता देर रात तक रणनीति बनाते रहे और रात 10 बजे हड़ताल समाप्त करने की घोषणा की। यूनियन के नेताओं को समझाने के लिए कोर्ट को समझाना पड़ा कि चांद मांगने से मिल नहीं जाता और जो दूध गिर गया वो वापिस नहीं आ सकता।

इससे पूर्व चीफ जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने सरकार को आदेश दिए कि कर्मचारियों पर सख्ती न दिखाएं। कोई गिरफ्तारी न हो, जो कर्मी एस्मा के तहत सस्पेंड और बर्खास्त किए गए हैं उन्हें ड्यूटी पर रखा जाए। केस की अगली सुनवाई 14 नवंबर तय की गई है। कोर्ट को लिख कर देने के बावजूद रात तक रोहतक में यूनियनों के नेता बैठक कर आगे की रणनीति बनाते रहे। अंतत: यूनियन ने घोषणा कर दी कि वे काम पर शनिवार को लौट रहे हैं, पर विरोध जारी रहेगा।कोर्ट के आदेश के बाद भिवानी में शुक्रवार की शाम को बस स्टैंड पर कुछ हड़ताली कर्मचारी पहुंचे लेकिन किसी ने ड्यूटी जॉइन नहीं की।

शुक्रवार हाईकोर्ट में तीन दौर की सुनवाई हुई। पहले चीफ जस्टिस की कोर्ट ने यूनियन को 12:30 बजे तक हड़ताल खत्म कर कोर्ट को सूचित करने के लिए आदेश दिया। दो बजे फिर से सुनवाई शुरू हुई। कोर्ट ने यूनियन के पदाधिकारियों को दोपहर 3.15 बजे तक हड़ताल खत्म करने के आदेश दिए। कोर्ट ने कहा है कि लोग परेशान हो रहे हैं, दीपावली अच्छे से मनाने के लिए हड़ताल खत्म करें। कोर्ट में यूनियन के नेता बलवान सिंह के साथ सवाल- जवाब हुए। कोर्ट ने कहा है कि 12 तारीख को यूनियन नेता और सरकार के नुमाइंदे के बीच बैठक करवाकर मामले को हल किया जाएगा।

बता दें कि गुरुवार को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने फैसला लिया था कि रोडवेज से जुड़े सभी मुद्दों की सुनवाई उनकी कोर्ट में होगी। हाईकोर्ट ने रोडवेज यूनियन व अन्य कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों को तलब किया था। इन्हें शुक्रवार को कोर्ट में मौजूद रहने के आदेश दिए गए थे। चीफ जस्टिस ने इसे गंभीर मुद्दा करार देते हुए दोपहर दो बजे सुनवाई तय की और उस दौरान एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन को पेश होने को कहा। मामले में अनुपम गुप्ता को हाईकोर्ट का सहयोग दिए जाने के लिए नियुक्त किया गया था।

चीफ जस्टिस ने इस तरह समझाया-

चांद की मांग : कोर्ट ने समझाया कि अगर आप कहें हम चांद तोड़ कर ला दें तो नहीं होगा। लेकिन हल जरूर निकलेगा। यानी जो जायज मांगें हैं वो ही पूरी हो सकती हैं।

गिरा हुआ दूध : समझाया कि जो दूध गिर गया है, उस पर रोना कैसा। यानी जो काम हो चूका है उसके लिए अब जिद करना ठीक नहीं।

गांधी जी : कहा कि हड़ताल किसके खिलाफ है। गांधी जी ने आंदोलन किया था, तब अंग्रेजों की सत्ता थी। आप किसके खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं, जब सत्ता खुद की है।

लोगों की पीड़ा :

बताया कि ईश्वर न करें पर ऐसी हालात हो, पर सोचें कि आप किसी पिछड़े गांव में हो और बच्चे की तबीयत खराब हो जाए। गांव में कोई अच्छा डॉक्टर न हो और बच्चे को शहर ले जाना पड़े और बसों की हड़ताल हो आप क्या करोगे। यह किसी भी घर में किसी के भी साथ हो सकता है। बुनियादी सुविधाएं बंद नहीं होनी चाहिए। ऐसे में हड़ताल को खत्म करें और अपनी परेशानी कोर्ट को बताएं।-चीफ जस्टिस कृष्ण मुरारी, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट

कोर्ट में किसने क्या कहा-

यूनियन : सुनवाई के दौरान यूनियन महासचिव बलवान सिंह ने कहा कि पुलिस गिरफ्तारियां कर रही है, इसलिए कई पदाधिकारी अंडरग्राउंड हैं। संपर्क नहीं हो रहा। बाद में तीन नेताओं ने कहा कि हम हड़ताल खत्म कर देंगे पर सरकार प्राइवेट बसों की पॉलिसी वापिस ले।

सरकार : सरकार की तरफ से तर्क रखा गया कि वो मीटिंग करके हल निकालने को तैयार हैं और 12 नवंबर को मीटिंग का न्यौता दिया।

कोर्ट : बिना सुने वह सरकार की पॉलिसी को लेकर कोई आदेश नहीं दे सकते। यदि पॉलिसी गलत है तो उसका हल निकाला जाएगा। फिर कोर्ट ने 14 नवंबर को सुनवाई का समय दिया।

तालमेल कमेटी ने स्थगित की कर्मचारियों की 4 नवंबर की रैली :
रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी की रोहतक में मीटिंग में 4 नवंबर की जींद रैली भी स्थगित कर दी गई। कमेटी के प्रधान वीरेंद्र धनखड़ व सदस्य सरबत पूनिया ने बताया कि हम काम पर लौट रहे हैं। अभी 12 नवंबर को एसीएस के साथ मीटिंग है और 14 को कोर्ट में फिर सुनवाई है। इसके बाद कमेटी दोनों निर्णयों को लेकर समीक्षा करेगी, लेकिन सरकार की किलोमीटर स्कीम का विरोध जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि अब सरकार भी कोर्ट के निर्णय को लागू करे। एसीएस के साथ होने वाली मीटिंग में भी सरकार का सकारात्मक रुख रहना चाहिए।

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Haryana roadways strike ends