ईक्कस/जींद (सुशील भार्गव) .सुबह के 10 बजे हैं। गुनगुनी धूप के बीच जींद के हांसी रोड से गुजरते वक्त साफ दिख गया कि यहां विधानसभा उपचुनाव का प्रचार रफ्तार पकड़ चुका है। सियासी दलों की गाड़ियां सरपट दौड़ रही हैं। तभी हरियाणवी गीत ‘बोल तेरे मिट्ठे-मिट्ठे, बात तेरी साच्ची लागै’ की तर्ज पर चुनावी गाना भी ध्यान खींच लेता है। हांसी रोड पर 6 किलोमीटर दूरी तय करने पर जींद हलके की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाने वाला गांव ईक्कस आ जाता है।
महाभारत में भी इसका जिक्र है। गांव को न्याय युद्ध के लिए जाना जाता है। यहां की महिला सरपंच राजवंती कहती हैं कि दुर्योधन जान बचाने के लिए इसी ढुंडू तालाब में छिप गया था। मान्यता है कि महाभारत का युद्ध खत्म होने के दो दिन बाद 21वें दिन भीम ने दुर्योधन का यहीं से निकाल कर वध किया था। तालाब आज भी गांव में मौजूद है। अब ये ढुंडू तीर्थ के नाम से जाना जाता है। महाभारत काल के इस तालाब में भैंस नहाती हैं। साथ ही खिलाड़ी अभ्यास करते हैं। यहां से करीब 50 खिलाड़ी स्वीमिंग सीख नेशनल खेलकर सेना में जा चुके हैं।
400 लोग सरकारी नौकरी में
गांव के 500 घरों के 400 लोग सरकारी नौकरी में हैं। इनमें 140 अध्यापक हैं। इसलिए इसे मास्टरों का गांव भी कहते हैं। 1927 में चंद जागरूक गांववासियों ने तीसरी कक्षा तक का स्कूल बनाया था, जो 12वीं तक का हो गया है।
गांव की सलाह- पाक साफ और पूरे होने वाले वादे ही करें नेता
गांव में महज 2126 वोटर हैं, लेकिन 140 मास्टर हैं। इनका पूरे जिले में प्रभाव है। इसलिए सियासत के भी गुरु हैं। जींद विधानसभा के 35 गांवों में इनका अपना ही वजूद है। सियासत के खिलाड़ी यहां न केवल वोट मांगने आ रहे हैं, बल्कि इन गुरुओं से जीत के गुर भी सीख रहे हैं। सतबीर कोच की मानें तो सारे नेता यहां आते-जाते हैं, लेकिन वे सभी को यही संदेश दे रहे हैं।
मास्टरों की इन्हें साफ नसीहत है कि जीत-हार किसी की हो। यह मायने नहीं रखती। भाईचारा न बिगड़े। चुनाव का क्या है, ये तो आते-जाते रहेंगे, लेकिन राजनीति साफ सुथरी रखें। ये तो उपचुनाव है। 9 महीने बाद फिर विधानसभा के लिए वोट डाले जाएंगे। एक साल में दो चुनाव लड़ने हैं, जो वादे करो, पाक साफ और पूरे होने वाले चाहिए।
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