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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस

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विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस

स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार और नियमित व्यायाम ब्रेन ट्यूमर के जोखिम को कम करने में सहायक हो सकते हैं: डॉ. हरमंदीप बराड़

चंडीगढ़, 7 जून 202​5: ब्रेन ट्यूमर हर साल दुनिया भर में कई लोगों को प्रभावित करता है। इस बीमारी और इससे जुड़ी जटिलताओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर वर्ष 8 जून को विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस मनाया जाता है। फोर्टिस अस्पताल मोहाली के न्यूरो सर्जरी विभाग में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. (लेफ्टिनेंट कर्नल) हरमंदीप सिंह बराड़ ने इस अवसर पर ब्रेन ट्यूमर के कारणों, लक्षणों और उपचार विकल्पों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की।

ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क या उसकी आवरण (मेनिंजेस) में कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि है। जानकारी देते हुए डॉ. बराड़ ने कहा कि ब्रेन ट्यूमर कैंसरयुक्त (मैलिग्नेंट) या गैर-कैंसरयुक्त (बेनाइन) हो सकते हैं। लगभग एक-तिहाई (27.9 फीसदी) ब्रेन ट्यूमर मैलिग्नेंट होते हैं। इन्हें प्राथमिक सीएनएस ट्यूमर (जो मस्तिष्क में उत्पन्न होते हैं) या सेकंडरी ट्यूमर (जो शरीर के अन्य हिस्सों में स्थित कैंसर से फैलते हैं) के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि लगभग 5–10 प्रतिशत मामलों में ब्रेन ट्यूमर का पारिवारिक इतिहास होता है। उच्च मात्रा में रेडिएशन के संपर्क में आने से ब्रेन कैंसर का खतरा बढ़ता है। ब्रेन ट्यूमर किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन यह आमतौर पर 50 से 60 वर्ष की उम्र में अधिक देखा जाता है। मैलिग्नेंट ट्यूमर पुरुषों में अधिक होते हैं जबकि बेनाइन ट्यूमर महिलाओं में अधिक पाए जाते हैं।

डॉ. बराड़ ने ज़ोर देते हुए कहा कि ब्रेन ट्यूमर के चेतावनी संकेत उसके आकार, स्थान और प्रकार पर निर्भर करते हैं। उन्होंने बताया कि सबसे आम लक्षणों में बार-बार और तेज़ सिरदर्द शामिल है, जो खासकर सुबह के समय अधिक तीव्र होता है और उल्टी के साथ हो सकता है। इसके अलावा मरीज को दौरे या फिट्स पड़ सकते हैं, हाथों या पैरों में कमजोरी या सुन्नता (पैरालिसिस), बोलने में दिक्कत, देखने और सुनने में समस्या या कानों में आवाज़ (टिनाइटस), निगलने में कठिनाई, चलने में असंतुलन या चक्कर आने की शिकायत भी हो सकती है।

डॉ. बराड़ ने बताया कि ब्रेन ट्यूमर का निदान मुख्यतः सिरदर्द या दौरे जैसे क्लिनिकल लक्षणों की उपस्थिति पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि अन्य संबंधित लक्षणों के साथ-साथ न्यूरोलॉजिकल जांच और रेडियोलॉजिकल जांच जैसे कि सिर का एनसीसीटी (नॉन-कॉन्ट्रास्ट कम्प्यूटेड टोमोग्राफी) और मस्तिष्क का कॉन्ट्रास्ट एमआरआई (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) बीमारी का पता लगाने में मदद कर सकते हैं।

इलाज के विकल्पों की एक विस्तृत श्रृंखला उपलब्ध है, जिसमें सर्जरी, बायोप्सी, ट्यूमर को निकालने के लिए क्रेनियोटॉमी और अत्याधुनिक न्यूरोनैविगेशन आधारित सर्जरी शामिल हैं, जो सामान्य मस्तिष्क ऊतकों को नुकसान पहुँचाए बिना ट्यूमर को सटीकता से निकाल सकती है। ट्यूमर के प्रकार के अनुसार, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी का उपयोग अकेले या सर्जरी के साथ मिलाकर किया जा सकता है।

डॉ. बराड़ ने यह स्पष्ट करते हुए कहा कि हालांकि ब्रेन ट्यूमर को पूरी तरह रोका नहीं जा सकता, उन्होंने आगे कहा कि स्वस्थ जीवनशैली अपनाना, संतुलित आहार लेना, नियमित व्यायाम करना, समय-समय पर स्वास्थ्य जांच कराना और अनावश्यक रेडिएशन जैसे पर्यावरणीय जोखिमों से बचाव करना इसके प्रारंभिक पहचान और उपचार में मददगार साबित हो सकता है।