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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारतीय लोकतंत्र का यह काला अध्याय ‘आपातकाल’ के नाम से जाना जाता है, यह बात आज हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने आपातकाल विषय पर भाजपा कार्यालय में आपातकाल (इमरजेंसी ) के विषय पर संगोष्ठी में कही।

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जब सभी संस्थाएँ निरस्त हो चुकी थीं, और आम जनता अपने मूल अधिकार खो चुकी थी। सरकार के विरोध में उठने वाले हर स्वर और प्रयास को नाकाम कर उन व्यक्तियों को जेल में डाल दिया जाता था।अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मारी जा चुकी थी और सत्ता की लोभी प्रधानमंत्री एक तानाशाह बन चुकी थीं। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारतीय लोकतंत्र का यह काला अध्याय ‘आपातकाल’ के नाम से जाना जाता है, यह बात आज हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने आपातकाल विषय पर भाजपा कार्यालय में आपातकाल (इमरजेंसी ) के विषय पर संगोष्ठी में कही।

पंचकुला 25 जून: आज भाजपा पंचकूला द्वारा भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय आपातकाल इमरजेंसी के विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। 46 वर्ष पूर्व 25 जून 1975 को अहंकार वश तानाशाही रवैया अपनाते हुए इंदिरा कांग्रेस ने सत्ता की चाहत में जिस तरह भारतीय लोकतंत्र का गला घोट कर आपातकाल लगाया था। उस आपातकाल को देश के लोकतंत्र में काले अध्याय के तौर पर आज भी याद किया जाता है। आज भाजपा कार्यालय में हुए कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता, मुख्य वक्ता राम अवतार जी, विशिष्ट अतिथि पंचकूला से महापौर कुलभूषण गोयल तथा विशेष तौर पर राष्ट्रीय महिला मोर्चा की कोषाध्यक्ष लतिका शर्मा ,जिला अध्यक्ष अजय शर्मा महामंत्री विरेंद्र राना व परमजीत कौर उपस्थित रहे। आज की युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के उस काले अध्याय आपातकाल के विषय में विस्तारपूर्वक बताने को रखी गई थी।

विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा जब सभी संस्थाएँ निरस्त हो चुकी थीं, और आम जनता अपने मूल अधिकार खो चुकी थी। सरकार के विरोध में उठने वाले हर स्वर और प्रयास को नाकाम कर उन व्यक्तियों को जेल में डाल दिया जाता था।अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मारी जा चुकी थी और सत्ता की लोभी प्रधानमंत्री एक तानाशाह बन चुकी थीं। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारतीय लोकतंत्र का यह काला अध्याय ‘आपातकाल’ के नाम से जाना जाता है,
( आपातकाल क्युं लगा )
विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा सन 1975 इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनके चुनाव अभियान के लिए सरकारी तंत्र के दूरी उपयोग के आरोप में दोषी पाते हुए उनका चुनाव अमान्य घोषित किया।
अदालत ने उनके चुनाव को अमान्य घोषित करते हुए उनके लोकसभा की सदस्यता निरस्त कर दी थी। तब इंदिरा गांधी ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी मगर वहाँ उन्हें ।सफलता नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि इंदिरा गांधी को मिलने वाले सभी विशेषाधिकार छीन लिया जाए, मगर फैसला होने तक उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में बने रहने की अनुमति दे दी गई थी।
ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सत्ता की चाहत में 25 जून 1975 को तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करवाई। यह आपातकाल 21 महीने यानी 21 मार्च 1977 तक चला। उन्होंने कहा इस दौरान इंदिरा गांधी ने अपने सभी राजनीतिक विरोधियों को जेल में डाल दिया और प्रेस पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। उन्होंने बताया कि जेल में बंद नेताओं को थर्ड डिग्री का उत्पीड़न किया जाता था इंदिरा गांधी ने RSS पर प्रतिबंध लगा दिया था। किसी भी नेता या व्यक्ति को विरोध करने का कोई हक नहीं था और ना ही वह न्यायालय में चुनौती दे सकता था। ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा संगठन के आदेश अनुसार मैं जेल नहीं गया था। हम बाहर रहकर जेल में गए लोगों के परिवारों का ख्याल रख रहे थे। संगठन का आदेश था कि अगर सभी जेल चले गए तो उनके परिवारों का ख्याल कौन रखेगा।
प्रेस वार्ता के दौरान लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रामअवतार जी ने कहां 1975 की रात्रि को इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया था। वह चुनाव हार गई थी इसलिए इस दिन को कहते हैं काला दिवस जिस दिन लोकतंत्र की हत्या हुई थी । उस समय बहुत परिवर्तन हुए थे। इंदिरा गांधी का प्रयास था कि लोकसभा 5 वर्ष की बजाय 6 वर्ष की हो,फैमिली प्लानिंग शुरू किया गया था। लोगों की जबरदस्ती नसबंदी की गई थी। उन्होंने कहा उस समय 18 अट्ठारह वर्ष के बच्चों की नसबंदी कर दी गई थी।प्रेस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था। उस समय जितने भी प्रश्न थी उन सब की बिजली काट दी गई थी।
उन्होंने बताया आपातकाल में 175751 लोग देश में गिरफ्तार हुए थे तथा वर्तमान में आज 382 लोग जीवित हैं हरियाणा प्रदेश में।उन्होंने कहा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगने के बावजूद भी पूरा संगठन खड़ा था।जो लोग जेलों में चले गए थे उनके परिवार वालों के लिए खाने की दवाइयों की व्यवस्था बाहर रहने वाले लोग किया करते थे।
आज इस अवसर पर लोकतंत्र सेनानी संघ के सदस्यों अशोक जी पंचकूला से (लोकतंत्र सेनानी संघ) पृथ्वी जी, राम रतन जी डॉ सुदर्शन वर्मा ,श्रीमती संतोष जी, श्री बृज मोहन जी के सुपुत्र श्रीमान नरेश जी ,माननीय शिव प्रसाद जी के पुत्र प्रवीण जी कालका का तुलसी के पोधे देकर सम्मान किया गया।