चंडीगढ़। पंजाब में नगर निगम और स्थानीय निकाय चुनाव में दिलचस्प नजारा दिख रहा है। इसके साथ ही नामांकन के अंतिम दिन हुए टकराव से इसके हिंसक हाेेने की संभावना है। सभी दल इसे बेहद गंभीरता से यह चुनाव लड़ रहे हैं अौर उन्होंने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
नगर निगम व नगर काउंसिल चुनाव का आगाज हिंसा और दबंगई के साथ हुआ है। दस साल बाद इतिहास अपने आप को दोहरा रहा है। कहने के भले ही यह चुनाव स्थानीय स्तर पर हों और इसके मुद्दे भी स्थानीय हों, लेकिन कोई भी राजनीतिक दल इस चुनाव को हलके में नहीं ले रहा। कांग्रेस, भाजपा, अकाली दल और आम आदमी पार्टी ने तीन नगर निगम और 32 म्युनिसिपल काउंसिल व नगर पंचायतों के चुनाव में अपना सबकुछ झोंकने की रणनीति तैयार कर ली है।
कांग्रेस के लिए साख का सवाल बने स्थानीय निकाय चुनाव, शिअद ने कहा- हम डरने वाले नहीं
फिरोजपुर और बाघापुराना में जिस प्रकार से कांग्र्रेस ने हिंसक रूप दिखाया, उससे स्पष्ट हो गया है कि विपक्ष के प्रत्याशियों के लिए 17 दिसंबर को होने वाला चुनाव आसान नहीं होगा। वहीं, विपक्ष भी इस बात को समझ रहा है और पहले से ही इस बात को लेकर मानसिक रूप से तैयार है।
अकाली दल के उपाध्यक्ष डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा, ‘कांग्रेस ओछी व गुंडागर्दी की हद तक पहुंच गई है। अकाली प्रत्याशियों को एनओसी नहीं जारी किए गए, हाथापाई की गई। कांग्र्रेस अगर यह सोच रही है कि अकाली दल डर जाएगा, तो ऐसा नहीं है। हम पूरी मजबूती के साथ चुनाव जीतने के लिए चुनाव लड़ेंगे।’
आप और भाजपा भी पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरीं
वहीं, सरकार भी अच्छी तरह से समझ रही है कि निगम चुनाव कांग्रेस की साख के लिए कितना महत्वपूर्ण है। कांग्रेस ‘साम-दंड-भेद’ की नीति को अपनाने से भी चूकने वाली नहीं है। पार्टी के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ का कहना है, ‘कांग्रेसी कार्यकर्ता उत्साहित हैं। विपक्ष जानबूझ कर दोषारोपण कर रहा है। क्योंकि उन्हें निगम चुनाव में भी विधानसभा के परिणाम की छवि दिखाई दे रही है।’
वहीं, आम आदमी पार्टी भी चुनावी मैदान में डट कर अपनी उपस्थिति को मजबूती से रखने जुट गई है। आप के अमन अरोड़ा कहते हैं, ‘चुनाव को लेकर आप बेहद गंभीर है। स्थानीय स्तर पर मुद्दों को चिन्हित किया जा चुका है। स्थानीय स्तर पर ही नेताओं को प्रमोट किया जाएगा। आप पूरी मजबूती से चुनाव लड़ेगी।’ वहीं, भाजपा भी 2019 को देखते हुए निगम चुनाव को लेकर गंभीर है।
कांग्रेस पर ज्यादा दबाव
सबसे ज्यादा दबाव कांग्रेस पर ही है। दबाव का ही असर था कि कांग्रेस बुधवार को नामांकन प्रक्रिया पूरी होने से महज कुछ घंटे पहले ही अपने सारे प्रत्याशियों के नामों की लिस्ट को पूरा कर पाई। वहीं, लिस्ट फाइनल करने में प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ से लेकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी माथापच्ची करनी पड़ी।
कांग्रेस मान रही है कि 10 साल बाद सत्ता में होने के कारण उस पर निगम चुनाव में अच्छे परिणाम देने का दबाव है। बहरहाल भले ही निगम चुनाव स्थानीय स्तर पर हो, लेकिन दिग्गज से दिग्गज नेता इस चुनाव को लेकर माथापच्ची करने में जुटा हुआ है।