ट्रांसपोर्ट महकमे की ओर से ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वाले आवेदकों से यूजर चार्ज के तौर पर 50 से 100 रुपए तो वसूले जा रहे हैं, लेकिन सुविधाएं आधी अधूरी दी जा रही हैं। दरअसल, ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर लाइसेंस बनवाने के लिए आने वाले लोगों के लिए हेल्प डेस्क होना जरूरी है। इसके बावजूद 32 माह बाद भी हेल्प डेस्क नहीं खोली जा सकी है। हेल्प डेस्क पर तैनात कर्मचारी ने ही डीएल बनवाने वालेे आवेदकों को अपॉइंटमेंट लेकर देना होता है। हेल्प डेस्क न होने से डीएल बनवाने के लिए आने वाले लोगों को अपॉइंटमेंट के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गौर हो कि अप्रैल 2016 को बनाए गए ड्राइविंग ट्रैक पर औसतन रोजाना 500 लोग डीएल बनवाने के लिए आवेदन करते हैं और महकमा इनसे प्रतिदिन 50 से 100 रुपए के हिसाब से रोजाना 25 से 50 हजार रुपए यूजर चार्ज के तौर पर वसूल रहा है। इसके बावजूद लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
आरटीए के ट्रैक पर 300, एसडीएम के ट्रैक पर 200 लोग रोजाना बनवाते हैं डीएल
आरटीए के अधीन आते एससीडी कॉलेज में बने ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर रोजाना 300 लोग ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने आते हैं। इसमें लर्निंग,पक्का, डुप्लीकेट व कॉमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस आते हैं। वहीं, एसडीएम के अधीन आते ड्राइविंग ट्रैक पर कॉमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बनते जिस कारण वहां पर रोजाना 200 के करीब ही लोग लाइसेंस बनवाने आते हैं।
गलत दस्तावेज अपलोड होने पर अर्जी रद्द
लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस हो या फिर पक्का ड्राइविंग लाइसेंस दोनों के लिए ही ऑनलाइन फॉर्म भरते वक्त अपने दस्तावेज सॉफ्टवेयर में अपलोड करने पड़ते हैं। इन दस्तावेजों को अपलोड किए बिना आवेदक को अपॉइंटमेंट नहीं मिल सकती। अगर गलत दस्तावेज अपलोड किए जाते हैं तो स्क्रूटनिंग के समय उसके लाइसेंस की अर्जी रद्द कर दी जाती है। इसके बाद आवेदक को दोबारा अपॉइंटमेंट लेनी पड़ती है।
मेडिकल की सुविधा जरूरी, डॉक्टर ही नहीं
ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वाला आवेदक अगर 50 साल से ज्यादा की उम्र का है तो उसका मेडिकल सर्टिफिकेट अनिवार्य है। ऐसे लोगों का मेडिकल करने लिए ड्राइविंग ट्रैक पर डॉक्टरों की तैनाती होनी अनिवार्य है पर आरटीए व एसडीएम ट्रैक पर कोई भी डॉक्टर ही तैनात नहीं है। कुछ समय पहले सोसाइटी ने ट्रैक पर डॉक्टर तैनात किए थे जोकि अब नही हैं।
<img src=\"images/p2.png\"हमारे पास पहले ही मुलाजिमों की कमी है। जैसे-तैसे काम चलाया जा रहा है। हेल्प डेस्क पर तैनात करने के लिए मुलाजिम ही नहीं हैं। इसके चलते इसे नहीं चलाया जा रहा। मुलाजिमों की कमी पूरी होने पर हेल्प डेस्क शुरू कर दिया जाएगा। -लवजीत कलसी, आरटीए
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