कहीं सरकार से समझौता न कर लें राजेवाल:नौजवान किसान मजदूर यूनियन को सताने लगा डर, हरदीप सिंह बोले- केद्र के इशारों पर चल रहा आंदोलन
नए कृषि कानून को लेकर लंबे समय से चल रहे आंदोलन को लेकर अब कुछ किसान संगठनों को डर सताने लगा है। जिसे लेकर दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में शामिल किसानों को वहीं पर डटे रहे की अपील भी शुरू हो गई है। किसानों को डर है कि तीनों कानून को रद्द कराने की जगह कहीं बलबीर सिंह राजेवाल अधूरी जीत के साथ ही सरकार से समझौता न कर लें। जिसे लेकर नौजवान किसान मजदूर यूनियन (शहीदों) के सरपरस्त हरदीप सिंह डिबडिबा ने चंडीगढ़ के सेक्टर-27 स्थित प्रेस क्लब में मीडिया से बात की।
मीडिया से बात करते हुए हरदीप ने कहा कि यदि हम चल रहे आंदोलन को देखें तो संयुक्त मोर्चा की लीडरशिप अब कहीं न कहीं सरकार की इच्छा के मुताबिक आंदोलन को चलाने का काम कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि इसका संकेत बीते 26 नवंबर से ही शुरू हो गया था। 26 नवंबर को बैरिकेड तोड़ कर दिल्ली जाने वालों के साथ असहमत हो कर हरियाणा के बॉर्डर पर ही बैठने का आदेश देने वाली किसान मोर्चा ने सरकार से पूछकर रूट तय किया था। जिससे संदेह होता है कि तीनों कानून को रद्द करने की बजाय कुछ शर्तों पर ही किसान मोर्चा सरकार के साथ समझौता न कर ले।
कुलबीर सिंह रंधावा ने कहा कि यदि यह समझौता इस तरीके से किया जाएगा तो दिल्ली के बॉर्डरों पर पिछले लंबे समय से तप कर रहे आंदोलनकारी किसानों के साथ अन्याय होगा। अगर भविष्य में ऐसा होता है तो नौजवान किसान मजदूर यूनियन किसी भी हाल में इस समझौते को स्वीकार नहीं करेगी। साथ ही जत्थेबंदी ने यह ऐलान किया कि यदि तीन कानून रद्द नहीं होते, कुछ शर्तों के साथ समझौता होता है तो जत्थेबंदी उसको नामंजूर करेगी। साथ ही लोगों से अपील भी किया है कि अधूरी जीत वाले समझौते को कोई किसान न माने, बल्कि जत्थेबंदी आंदोलनकारी किसान दिल्ली के बॉर्डरों पर डटी रहे।