केंद्र सरकार ने ‘पंजाब के अलगाव’ के लिए सक्रिय संगठन खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) पर बैन लगा दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को इससे संबंधित आदेश जारी किया। मंत्रालय ने कहा है कि केएलएफ पर यह बैन गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत लगाया गया है। इस अधिनियम के तहत प्रतिबंधित केएलएफ का नाम 40वें नंबर पर है। इनमें बब्बर खालसा इंटरनेशनल, खालिस्तान कमांडो फोर्स, खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स और इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन भी शामिल हैं।
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केएलएफ खालिस्तान नाम से अलग देश की मांग कर रहा है और आतंकी गतिविधियों में शामिल है। हिंसक अभियान में केएलएफ ने कई हत्याओं, बैंक लूट, बम विस्फोटों और अन्य आतंकी हमलों को अंजाम दिया है। खुफिया एजेंसियों ने हाल ही में केएलएफ के कई ऐसे मॉड्यूल का खुलासा किया था, जो आतंकी गतिविधियों में लिप्त हैं। यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि पंजाब में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने की कोशिशें की जा रही हैं।
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मंत्रालय ने पिछले कुछ समय में पंजाब में आरएसएस समेत छह हिंदू नेताओं की हत्या समेत अन्य आतंकी गतिवििधयों को देखते हुए विदेश में बैठकर साजिश रचने वालों के खिलाफ भी इंटरपोल के जरिये कार्रवाई शुरू की है। आला पुलिस अफसरों ने बताया कि प्रदेश में काफी समय से संबंधित संगठन वारदात को अंजाम देने की कोशिश में हैं। एनआईए ने इसकी रिपोर्ट बनाकर गृह मंत्रालय को सौंपी थी।
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केएलएफ का गठन 1986 में हुआ था। 7 नवंबर 2014 को जालंधर पुलिस ने 4 मैंबर्स को अरेस्ट कर केएलएफ/खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया था। इसके अलावा केएलएफ चीफ हरमिंदर सिंह मिंटू को भी पकड़ा था। मिंटू ने ही 2010 में केएलएफ को फिर जिंदा किया था। मिंटू की कुछ माह पहले मौत हो चुकी है। एनआईए के अनुसार केएलएफ को यूके, यूएई, पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया आदि से फंडिंग होती है।