नई दिल्ली. पाकिस्तान और चीन बस सेवा शुरू करने पर विचार कर रहे हैं। यह बस चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) से गुजरेगी। सीपीईसी, पाक के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरेगा। इसलिए भारत ने चीन-पाक के बीच प्रस्तावित इस बस सेवा पर आपत्ति जताई है। सीपीईसी के पीओके से गुजरने के चलते भारत पहले से इसका विरोध जताता रहा है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बुधवार को कहा कि चीन और पाक के बीच शुरू होने वाली बस सेवा भारत की संप्रभुता (सॉवेरीनटी) और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन होगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान के लाहौर से चीन के काशगर तक 13 नवंबर से बस सेवा शुरू होगी।
55 साल पहले चीन-पाक के बीच हुआ समझौता अवैध
रवीश कुमार के मुताबिक, “1963 का तथाकथित चीन-पाकिस्तान सीमा समझौता अवैध और अमान्य है और भारत सरकार द्वारा इसे कभी मान्यता नहीं मिली। अगर पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर से कोई बस सेवा शुरू होगी तो यह भारत की संप्रभुता का उल्लंघन होगा।”
ग्वादर से काशगर तक बन रहा सीपीईसी
पाकिस्तान के ग्वादर से चीन के काशगर तक 50 बिलियन डॉलर (करीब 3 लाख करोड़ रुपए) की लागत से आर्थिक गलियारा बनाया जा रहा है। इसके जरिए चीन की अरब सागर तक पहुंच हो जाएगी। सीपीईसी के तहत चीन सड़क, रेलवे और ऊर्जा प्रोजेक्ट काम कर रहा है।
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