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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

अब सरकारी अस्पतालों में ही मरीजों को मिलेगी हर तरह की दवाएंं, केमिस्ट के पास नहीं जाना पड़ेगा

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  • सेहत विभाग ने सिविल सर्जनों से सभी दवाओं की लिस्ट मांगी, इसके बाद शुरू होगी खरीद
  • 100 तरह की दवाएं उपलब्ध, 236 तरह की दवा की होगी खरीद

Dainik Bhaskar

Jul 22, 2019, 07:04 AM IST

चंडीगढ़. सेहत विभाग सूबे के सभी सरकारी अस्पतालों में दवाओं का टोटा खत्म करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए सभी सिविल सर्जनों से अस्पतालों में जरूरी दवाओं  की लिस्ट मंगवाई गई है। इस लिस्ट में दवाओं को फाइनल किए जाने के बाद दवाओं की खरीद की प्रकिया शुरू कर दी जाएगी।

विभाग के अधिकारी चाहते है कि सूबे के सरकारी अस्पतालों में उपचार के लिए जाने वाले मरीजों को बेसिक दवाएं बाहर से नहीं खरीदनी पड़े। इसके अलावा अस्पतालों के लिए क्या मशीनरी चाहिए इसकी भी सूची तैयार की जा रही है। दवाओं और मशीनरी की सूची फाइनल होने के बाद इसकी खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। विभाग के अधिकारी एवं मंत्री भी इस बात को अच्छे से समझते हैं कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को जरूरी और बेसिक दवाएं मुहैया करवाना जरूरी है। मौजूदा समय में सूबे के कई सरकारी अस्पतालों में कई प्रकार की दवाएं मिलती ही नहीं है। 
 

सरकारी अस्पतालों में  मरीजों को 236 तरह की जरूरी दवाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। जबकि मौजूदा समय में लगभग 100 ही तरह दवाएं उपलब्ध हो रही है। यानि कि कई सरकारी अस्पताल अभी भी 136 तरह की दवाओं से महरूम हैं। ऐसे में मरीजों को कैमिस्टों के पास जाकर दवाएं खरीद कर अपनी जेबे ढीली करनी पड़ रही हैं। इन सभी दवाओं के उपलब्ध होने के बाद मरीजों को बाहर से केवल कुछ ही दवाओं को लेने की जरूरत पड़ेेगी।
 

हरियाणा पैट्रन को अपनाने की तैयारी : 

पंजाब के पड़ोसी राज्य हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में मरीजों को कई प्रकार की दवाएं निशुल्क दी जाती हंै। इसके लिए अब पंजाब का हेल्थ विभाग भी पड़ोसी राज्य की इस नीति को अपनाने के बारे में विचार कर रहा है। ताकि ज्यादा से ज्यादा मरीजों तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाया जा सके। इसके अलावा अस्पताल के लिए जरूरी मशीनरी खरीदने की भी तैयारी है।
 

जन औषधि केंद्र की दवाएं ही लिखें डॉक्टर :
स्वास्थ्य विभाग इस बात की भी तैयारी कर रहा है कि अगर डॉक्टर को मरीज को बाहर की दवाएं लिखने की जरूरत पड़े तो वह वही दवाएं लिखे जोकि जन औषधि केंद्र में उपलब्ध हों। क्योंकि निजी कैमिस्टों और जन औषधि केंद्रों में मिलने वाली दवाओं के रेट में काफी अंतर है। इससे भी मरीजों को काफी फायदा पहुंचेगा और उनकी जेब पर कम असर पडेगा।