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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

-फिल्मों का परीक्षण और प्रमाणीकरण सीबीएफसी के चंडीगढ़ क्षेत्रीय कार्यालय खुलने से होगा आसान और तीव्र

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-फिल्मों का परीक्षण और प्रमाणीकरण सीबीएफसी के चंडीगढ़ क्षेत्रीय कार्यालय खुलने से होगा आसान और तीव्र

गत दिनों सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर द्वारा चंडीगढ़ में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड – सेंट्रल फिल्म सर्टिफिकेशन बोर्ड (सीबीएफसी) का क्षेत्रीय कार्यालय खोले जाने की घोषणा से आने वाले समय में निश्चित रूप से दृश्य श्रव्य माध्यम के प्रचार प्रसार को उत्तर भारत में और बल मिलेगा। इससे इस क्षेत्र के निर्माता, निर्देशकों व कलाकारों को न केवल व्यवसाय तथा कला के क्षेत्र में आसानी होगी बल्कि फिल्म विधा को अभूतपूर्व गति मिलेगी ।

केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड- का मुंबई में मुख्यालय है तथा दिल्ली, चेन्नई ,कोलकाता , हैदराबाद, बेंगलुरु, तिरुवंतपुरम, कटक और गुवाहाटी में इसके क्षेत्रीय कार्यालय हैं। इस कड़ी में चंडीगढ़ में स्थापित होने वाला फिल्म प्रमाणन बोर्ड का यह
दसवां कार्यालय होगा जिसका सीधा लाभ पंजाब, हरियाणा,जम्मू कश्मीर , हिमाचल प्रदेश व केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ के फिल्म विधा से जुड़े लोगों को सीधे तौर पर मिलेगा।

अभी तक उत्तर भारत के निर्माता, निर्देशकों व वितरकों को फिल्म प्रमाण पत्र के लिए दिल्ली के क्षेत्रीय कार्यालय पर निर्भर होना पड़ता था जहां उत्तर भारत के अन्य प्रदेशों में बन रही फिल्में भी प्रमाण के लिए आती हैं किंतु अब चंडीगढ़ में कार्यालय होने से न केवल भौगोलिक दूरी घटेगी बल्कि प्रमाणन के लिए समय भी कम लगेगा । इससे क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्में समय पर अपने दर्शकों के बीच पहुंचेंगी और स्थानीय निर्देशक , कलाकार आदि इससे लाभान्वित होंगे । स्थानीय भाषा व बोली की फिल्में, दृश्य श्रव्य सामग्री, दीर्घ- लघु फिल्में , कला व व्यावसायिक फिल्में , वृत्त चित्र , रिपोर्टाज आदि दर्शकों के बीच ज्यादा व तुरंत पहुंच सकेंगे।

चलचित्र प्रमाणन बोर्ड के सलाहकार पैनल फिल्म के सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए अनुमति प्रदान करते हैं तथा फिल्म की प्रवृत्ति के अनुसार उसे स्क्रीन कर यू , यूए, ए या एस का प्रमाण पत्र जारी करते हैं । कोई भी फिल्म प्रमाणन से पूर्व जिन चरणों से होकर गुजरती है उस कार्यशैली में उत्तर भारत में तेजी आएगी क्योंकि चंडीगढ़ में स्थापित होने वाले प्रमाणन बोर्ड कार्यालय में सलाहकार पैनल के सदस्य आसानी से, कम समय अंतराल में पूर्व दर्शन यानी स्क्रीनिंग के लिए एकत्रित हो सकेंगे, अपने विचार रख सकेंगे और यदि फिल्म में कांट छांट की अनुशंसा हो तो निर्माता , निर्देशक, वितरक उसे यथाशीघ्र दूर कर प्रमाणन के लिए पुनः बोर्ड के समक्ष रखकर शीघ्र अपनी फिल्म का प्रमाण पत्र ले सकेंगे।

चंडीगढ़ में बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय होने की स्थिति में फिल्म, निर्माता, निर्देशक, वितरक इसके प्रदर्शन हेतु आवश्यक चरणों को आसानी से पूरी कर सकने में समर्थ होंगे। फिल्म की आवश्यक संख्या में प्रतियां, आवेदन व उसकी फीस का समय पर भुगतान, शूटिंग लिपि (स्क्रिप्ट, स्क्रीन प्ले) और फिल्म से जुड़े अन्य विवरण ,अनुवाद की प्रति , फिल्म की शूटिंग के दौरान पशुओं के साथ क्रूरता नहीं की गई इसकी आवश्यक घोषणा, प्रतिलीप्याधिकार / कॉपीराइट से जुड़े अंश आदि बहुत स्पष्टता के साथ कर पाएंगे और समय पर फिल्म का प्रदर्शन करने का प्रमाण पत्र लेकर उसे सिनेमाघर या अन्य माध्यमों से दशकों तक ले जा पाएंगे।

स्क्रीनिंग कमेटी के द्वारा दिए
गए सुझाव ,कट, डायलॉग, तब्दीली से जुड़े संदर्भ आदि लेकर निर्माताओं को दिल्ली , मुंबई नहीं जाना पड़ेगा और चंडीगढ़ के प्रमाणन कार्यालय से ही उन्हें शीघ्र प्रदर्शन हेतु अनुमति मिल सकेगी। पंजाबी, हरियाणवी, हिमाचली भाषा, जम्मू व कश्मीर के विभिन्न बोलियां , डाइलेक्ट, विभाषा में बनी फिल्में लोगों तक आसानी से बोर्ड कार्यालय की आवश्यक औपचारिकता पूरी कर रिलीज हो सकेंगी और इन सभी भाषा, बोलियों के फिल्मों को नया और बड़ा दर्शक समुदाय उपलब्ध हो सकेगा। देश में और विशेष कर उत्तर भारत के इस हिस्से में चंडीगढ़ के आसपास सभी तरह के लोकेशन और सुविधा उपलब्ध हैं जिसे देखकर फिल्म निर्माता यहां का रुख करते हैं। अधिक फिल्में बनने और दर्शकों के बीच उन्हें देखने की चाहत के कारण स्थानीय प्रतिभाओं , कलाकारों, फिल्म तकनीक से जुड़े लोगों को प्री प्रोडक्शन , प्रोडक्शन और पोस्ट प्रोडक्शन से जुड़े सभी चरणों में रोजगार मिलेगा और प्रतिभा दिखाने की संभावना भी बढ़ेगी। इससे न केवल फिल्म उद्योग फलेगा – फूलेगा बल्कि पर्यटन,यातायात, स्थानीय लोगों के आय के साधन भी बढ़ेंगे।

देश आज दृश्य श्रव्य सामग्री उत्पादन का न केवल बड़ा केंद्र है बल्कि जनसंख्या का दायरा और विविधता के चलते बहुत सी नई सामग्री की खपत और बड़े दर्शक वर्ग की गुंजाइश यहां सदैव है जिसे फिल्म या मनोरंजन उद्योग भली भांति गति दे सकता है और चलचित्र प्रमाणन बोर्ड का चंडीगढ़ क्षेत्रीय कार्यालय इस दिशा में उत्प्रेरक का कार्य करेगा ।

भारत में बनी फिल्में और हमारा फिल्म उद्योग विश्व भर में प्रसिद्ध है तथा प्रति वर्ष पूरे विश्व में बनने वाली फिल्मों की संख्या में आधी फिल्में हमारे देश की होती हैं जो बताती है कि यहां का दर्शक इस विधा को 100 साल से भी अधिक समय से हाथों हाथ लेते आया है। फिल्में देखना हमारे समाज का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। पूरे देश में सिनेमा घरों की संख्या भी विश्व के कुल सिनेमा घरों के अनुपात में सर्वाधिक हैं । यहां छोटे बड़े सिंगल स्क्रीन से लेकर मल्टीप्लेक्स तक हर जगह हर फिल्म को पर्याप्त मात्रा में दर्शक मिल ही जाते हैं जो हमेशा अगली फिल्म के रिलीज होने का इंतजार करते हैं। यही संभावना फिल्म उद्योग को हमेशा प्रसार देती आई है जिसे चंडीगढ़ में स्थापित होने वाला फिल्म प्रमाणन बोर्ड का कार्यालय विस्तार देगा।

स्थानीय कलाकारों और फिल्म विधा से जुड़े लोगों को फिल्म का पूरा संसार एक बड़ा बाजार और व्यवसाय के रूप में विस्तृत आकाश देने का द्वारा खोले हुए है । कुछ दिनों या सप्ताह तक चलकर फिल्में अपनी लागत का खर्च निकालकर अच्छी कमाई देती हैं जिसे हर फिल्म कलाकार एक अवसर के रूप में देखता है । फिल्मकार को अपनी प्रतिभा, सोच, कहानी कहने का तरीका , नए मुद्दे व परिवेश दर्शकों को परंपरागत तरीके या लीक से हटकर नया परोसने का अवसर दे रहे हैं और ऐसे में चंडीगढ़ में फिल्म प्रमाणन बोर्ड का कार्यालय खुलने से न केवल समय और साधन की बचत होगी बल्कि फिल्म उद्योग से जुड़े लोग प्रमाणन की औपचारिकताएं तुरंत व सटीक तरीके से निपटा पाएंगे।

2022-23 के आंकड़ों को यदि हम देखें तो पाते हैं की भारत में 18000 से अधिक फिल्में सीबीएफसी से प्रमाणित होकर प्रदर्शित हुई जिसमें भारतीय और विदेशी दीर्घ व लघु फिल्में शामिल हैं । वर्ष 2023 -24 के दौरान रिलीज होने वाली फिल्मों की संख्या 16000 से अधिक रही। उत्तर भारत के दिल्ली क्षेत्रीय कार्यालय से फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने वर्ष 2023 -24 में 1000 से अधिक फिल्मों को सर्टिफिकेट दिया जबकि उससे पहले 2022-23 में 963 फिल्मों को दिल्ली से प्रमाण पत्र दिया गया था । चंडीगढ़ में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड का कार्यालय स्थापित होने से यह संख्या प्रतिवर्ष बढ़ेगी और स्थानीय भाषा व बोलियां में न केवल अच्छी गुणवत्ता वाली फिल्में बनने की संभावना बढ़ेगी बल्कि इनकी संख्या में भी विस्तार होगा ।

फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी हैं जो 2017 से कार्यरत हैं और विभिन्न क्षेत्रीय कार्यालय के सदस्य तथा सलाहकार पैनल परामर्श कर, फिल्मों का परीक्षण कर सर्टिफिकेट देने की प्रक्रिया पूरी करते हैं।
फिल्म निर्माता, वितरक, प्रदर्शक आवेदन के बाद अपेक्षित प्रमाण पत्र न मिलने पर 30 दिन के भीतर अपील कर सकता है तथा इस हेतु उसे निर्धारित फीस जमा करवानी होती है। अपील अधिकरण में अध्यक्ष व अधिक से अधिक चार सदस्य होते हैं और फिल्म की स्क्रीनिंग के बाद आदेश जारी करते हैं । चंडीगढ़ में स्थापित होने वाले केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड कार्यालय में भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी जिससे इस क्षेत्र में बनी फिल्मों के सर्टिफिकेट व सुनवाई का निराकरण जल्द ही संभव हो सकेगा।

यह कार्यालय फिल्म पायरेसी से जुड़े अपराधों पर भी नजर रखेगा। सिनेमैटोग्राफी एक्ट के तहत केंद्रीय प्रमाणन बोर्ड में नोडल अधिकारी की व्यवस्था की गई है जो पायरेसी से जुड़ी शिकायतों पर संज्ञान ले कार्यवाही करते हैं और चंडीगढ़ में स्थापित होने वाला यह कार्यालय उत्तर भारत के इन प्रदेशों में पायरेसी पर लगाम लगाने हेतु सक्रिय होगा । केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने ऑनलाइन आवेदन की भी व्यवस्था कर रखी है जिसके तहत आवेदक अपनी जानकारी , व्यवसाय का स्थान और आवश्यक दस्तावेज ईसिनेमाप्रमाण के जरिए कर सकता है जिसे चंडीगढ़ का यह कार्यालय प्रक्रिया को तेज कर शीघ्र ही सर्टिफिकेट दे सकेगा ।

उत्तर भारत का यह क्षेत्र नामी कलाकारों, निर्देशकों , संगीतज्ञों, लेखकों की धरती है जहां प्रतिभा और सामर्थ्य की कोई कमी नहीं है। फिल्म प्रमाणन बोर्ड कार्यालय की चंडीगढ़ में उपस्थित फिल्मों को प्रोत्साहित करने की सरकार की नीति, सस्ते दरों पर फिल्म निर्माण के लिए। ऋण की उपलब्धता , फिल्म बजट का सदुपयोग व निश्चित समय सीमा के भीतर फिल्म बनने की प्रक्रिया और अंत में इसका प्रमाणीकरण होने की सुलभता निश्चित रूप से इस उद्योग को उत्तर भारत में विशेष कर विस्तार देगा और दर्शकों को नूतन सामग्री मिल सकेगी जो सूचना ज्ञान और सार्थक मनोरंजन से भरपूर होगी।