Mirror 365 - NEWS THAT MATTERS

Dear Friends, Mirror365 launches new logo animation for its web identity. Please view, LIKE and share. Best Regards www.mirror365.com

Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के कही अनकही विचार मंच की ओर से आज ‘हिंदी शोध की चुनौतियां’ विषय पर वेब – संवाद का आयोजन किया गया।

0
170

Chandigarh October 23, 2020

लीक से हटकर शोध करने की जरूरत, हिंदी विभाग द्वारा हिंदी शोध की चुनौतियां पर वेब – संवाद

चंडीगढ़, 23 अक्टूबर। पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के कही अनकही विचार मंच की ओर से आज ‘हिंदी शोध की चुनौतियां’ विषय पर वेब – संवाद का आयोजन किया गया। इस वेब – संवाद में देश के विभिन्न हिस्सों से शोधार्थियों ने स्वयं अपने अनुभव साझा किए। इनमें आगरा से सदफ इश्त्याक, पटियाला से शगनप्रीत, नई दिल्ली से आरती रानी प्रजापति और कोचीन से श्रीलेखा ने अपने विचार व्यक्त किए।
सभी वक्ताओं ने कहा कि शोध के क्षेत्र में बड़े बदलाव करने की जरूरत है और शोध ऐसा होना चाहिए जो समाज के लिए उपयोगी हो।
सदफ इश्त्याक ने कहा कि हिंदी में जो लोग शोध कर रहे हैं उनको भी अन्य विषयों की जानकारी जरूर होनी चाहिए। तभी वो न्याय कर सकते हैं। उन्होंने हिंदी में ऑनलाइन सामग्री की कमी का मुद्दा भी उठाया।
शगनप्रीत ने बताया कि किसी भी शोधार्थी के लिए सबसे बड़ी चुनौती गुणवत्ता को बढ़ाने और पुनरावृत्ति को रोकने की होती है। उन्होंने कहा कि शोधार्थी की चुनौती विषय चयन से ही शुरू हो जाती है।
आरती रानी प्रजापति ने मध्यकाल के साहित्य पर शोध की चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने यह भी कहा कि इतिहासकारों ने विशेषकर स्त्री साहित्यकारों के साथ न्याय नहीं किया।
श्रीलेखा ने बताया कि जिस क्षेत्र पर हम काम कर रहे हैं। उसकी यात्रा जरूर करनी चाहिए। केवल पुस्तकों या इंटरनेट पर निर्भर होने की बजाय खुद जाकर देखना चाहिए। उन्होंने सोशल मीडिया के सही इस्तेमाल की आवश्यकता पर जोर दिया।
विभागाध्यक्ष डॉ. गुरमीत सिंह ने कहा कि शोधार्थी किसी भी विभाग या संस्थान की रीढ़ की हड्डी की तरह होते हैं और उनकी विभाग की प्रगति में महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। इसी मकसद से आज देश के विभिन्न हिस्सों में हिंदी में शोध कर रहे शोधार्थियों को विभाग के शोधार्थियों के साथ जोड़ने की कोशिश की गई, ताकि वे एक – दूसरे के अनुभव से सीख कर बेहतर कार्य कर सकें।
आज के कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से 40 से अधिक शोधार्थी एवं प्राध्यापकों ने हिस्सा लिया जिनमें विभाग के प्रो. सत्यपाल सहगल, यूएसओएल से डॉ. राजेश जायसवाल, नई दिल्ली से नितिन मिश्रा, प्रयागराज से ज्ञानेन्द्र शुक्ल और डॉ. प्रशांत मिश्रा शामिल रहे। इस वेब – संवाद का संचालन शोधार्थी अलका कल्याण ने किया और धन्यवाद ज्ञापन सेमिनार समिति की संयोजक बोबिजा ने किया।