मोहाली। वर्ष 2002 के बहुचर्चित नौकरी घोटाले में पंजाब पब्लिक सर्विस कमीशन (पीपीएससी) के पूर्व चेयरमैन रविंद्रपाल सिंह रवि सिद्धू को मोहाली के एडीशनल जिला सेशन जज की अदालत ने सात साल कैद व 75 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। सिद्धू को बुधवार को दोषी करार दिया गया था। अदालत ने इस मामले में नामजद अन्य आरोपियों रणधीर सिंह गिल, प्रेम सागर, परमजीत सिंह, सुरिंदर कौर व गुरदीप सिंह को सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।
सिद्धू पर नौकरी लगवाने के लिए मोटी रकम लेने, हवाला के जरिए राशि विदेश भेजने व जाली वसीयत बनाने का दोष सिद्ध हुआ। विजिलेंस के अनुसार सिद्धू ने पंजाब पब्लिक सर्विस कमीशन का चेयरमैन रहते हुए अपने साथी आरोपियों की मिलीभगत से आबकारी विभाग में इंस्पेक्टर भर्ती के बदले मोटी रकम ली थी। अमृतपाल सिंह से गुरजीत सिंह नाम के व्यक्ति को डीएसपी भर्ती करवाने व बिक्रमजीत सिंह को डीएसपी भर्ती करवाने के बदले लाखों रुपये की राशि ली गई।
उसने 1.36 करोड़ रुपये की राशि हवाला के जरिए साथी आरोपियों की मदद से विदेश भेजी। अवतार सिंह सेखों की मौत के बाद उसकी हिमाचल स्थित प्रॉपर्टी की जाली वसीयत बनाकर इस्तेमाल किया। विजिलेंस ने कुल 8,30,40,500 रुपये बरामद कर थाना मोहाली में 25 मार्च 2002 में मामला दर्ज किया था।
पांच लाख रिश्वत लेते पकड़ा था, 32 को पैसे लेकर दी थी नौकरी व पद
रविंदर पाल सिंह सिद्धू पर पैसे लेकर नौकरी देने के मामले में पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने साल 2002 के मार्च महीने की 25 तारीख को केस दर्ज किया था। एक्साइज एंड टैक्सेशन इंस्पेक्टर भूपजीत सिंह से 5 लाख रुपये रिश्वत ली और विजिलेंस ने उन्हें रंगे हाथ पकड़ा था। विजिलेंस ने जब आगे जांच शुरू की तो उनके लॉकरों से 8 करोड़ रुपये से ज्यादा नकदी निकली।
विजिलेंस ने खुलासा किया था कि जब उन्होंने रवि सिद्धू के भाई रीतेंद्र सिंह, भाभी अजिंदर कौर, माता प्रितपाल कौर, आयोग के सेक्रेटरी प्रितपाल सिंह, पीएस सोढी, परमजीत सिंह पम्मी, रंधीर सिंह धीरा, जगमान सिंह, शमशेर सिंह और प्रेम सागर को गिरफ्तार किया, तो इनमें उन्होंने बताया कि परीक्षा पेपर पहले से ही उन लोगों तक पहुंच जाते थे, जिन्होंने पीसीएस या डीएसपी या कोई भी और पद पाने के लिए तय फीस दी होती थी।
हाईकोर्ट ने रद कर दी थी नियुक्तियां
हाईकोर्ट ने पीसीएस समेत कई पदों पर हुई नियुक्तियों को रद कर दिया। विजिलेंस ब्यूरो ने 32 ऐसे अधिकारियों की सूची जारी की थी, जिन्होंने पैसे देकर नौकरी हासिल की थी। इनमें से आठ पीसीएस (ज्यूडिशियल) व 21 अन्य पीसीएस थे।
2015 में हुई थी 7 साल की सजा
6 अप्रैल 2015 को उन्हें और उनके समेत तीन लोगों को पटियाला के एडीश्नल सेशन जज ने सात साल की सजा सुनाई। साथ ही एक करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया। उनके अलावा सजा पाने वालों में प्रितपाल सिंह, परमजीत सिंह और पीएस सोढी शामिल हैं। 25 मई 2015 को रवि सिद्धू ने अपनी इस सजा के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी।
हाई कोर्ट ने दी थी जमानत
हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी करके इसे रेगुलर सुनवाई के लिए रख लिया 27 अगस्त 2015 को हाईकोर्ट ने निचली अदालत की ओर से दी गई सजा पर रोक लगा दी और रवि सिद्धू को जमानत दे दी। गत बुधवार को जिस केस में रवि सिद्धू को दोषी करार दिया गया है, वह भी पैसे लेकर नौकरी देने, जमीन हड़पने और आय से अधिक संपत्ति बनाने को लेकर था। आज मामले में सजा सुना दी गई है।