नई दिल्ली. इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत 2018 में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के जरिए 80,000 करोड़ रुपए वसूलने में मदद मिली है। अगले साल इसके बढ़कर एक लाख करोड़ रुपए से ऊपर जाने की उम्मीद है क्योंकि कर्ज की अदायगी में चूक के कुछ बड़े मामले अभी लंबित हैं। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आईबीसी के दिसंबर 2016 से लागू होने के बाद करीब तीन लाख करोड़ रुपए की वसूली करने में मदद मिली है। इसमें आईबीसी के तहत रेजोल्यूशन प्लान और एनसीएलटी के सामने पेश होने से पहले निपटाए गए मामलों से हुई वसूली शामिल है।
इस साल भूषण स्टील, इलेक्ट्रोस्टील, बिनानी सीमेंट के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। सफल बोलीदाताओं टाटा स्टील, वेदांता ग्रुप और अल्ट्राटेक ने इन कंपनियों का मैनेजमेंट अपने नियंत्रण में ले लिया है।
अधिकारियों के मुताबिक, जजों और बेंचों की संख्या बढ़ाने और पर्याप्त इन्फ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराकर एनसीएलटी को और मजबूत करने की योजना बनाई जा रही है। 2019 में फंसे कर्ज के कई बड़े मामलों का निपटारा होना है। एनसीएलटी अपनी 11 बेंचों के जरिए कई संकटग्रस्त असेट्स की रेजोल्यूशन प्रोसेस को अंतिम रूप देगी। इन मामलों में एस्सार स्टील, भूषण पावर एंड स्टील, वीडियोकॉन समूह, मोनेट इस्पात, एमटेक ऑटो शामिल हैं।
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