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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

एसआईटी के हाथ लगी वो बंदूक, जिससे पुलिस की जिप्सी पर गोली चली थी

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फरीदकोट . बहबलकलां गाेलीकांड को लेकर एसआईटी के हाथ 12 बोर की वह बंदूक लग गई है, जिससे पुलिस की जिप्सी पर फायरिंग की गई थी। पुलिस ने बहबलकलां गोलीकांड के पीछे मुख्य वजह भीड़ द्वारा किए गए हमले को ही बनाया था।

बहकलकलां गोलीकांड में दो लोगों की मौत हो गई थी। हालांकि एसआईटी ने जांच प्रभावित होने का हवाला देकर किसी भी कार्रवाई की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। जानकारी के मुताबिक एसआईटी ने फरीदकोट के एक पूर्व आॅटो डीलर के सुरक्षाकर्मी से वह बंदूक बरामद की है।

पूर्व एसएसपी चरणजीत शर्मा की जिप्सी पर लोगों द्वारा फायरिंग करने के बयान को जिप्सी चालक ने गलत बताया था। इसी के बाद एसआईटी फरीदकोट में पुलिस अधिकारियों के नजदीकियों की छानबीन करने में जुटी थी। तीन दिन पहले उसने एक कांग्रेसी नेता के नजदीकी एक वकील, फरीदकोट की एक आॅटो एजेंसी में उस समय तैनात सुरक्षा कर्मचारी व मैनेजर से भी पूछताछ की।

एसआईटी के पास सुराग था कि जिप्सी पर गोली आॅटो एजेंसी के सुरक्षाकर्मी व वकील के सहयोग से ही चलाई गई। चार व्यक्तियों को हिरासत में लेने के बाद एसआईटी इन्हें उठाकर कपूरथला ले गई। दो दिन की जांच के बाद गनमैन से बंदूक बरामद कर ली। इस संबंध में संपर्क करने पर एसआईटी के एसएसपी सतिंदर पाल सिंह ने कहा कि बहबल कलां कांड की जांच एक संवेदनशील लेकिन अहम मोड़ पर है।

आईजी परमराज सिंह उमरानंगल का रिमांड तीन दिन बढ़ा :फरीदकोट | कोटकपूरा गोलीकांड में आईजी परमराज उमरानंगल का रिमांड तीन दिन के लिए बढ़ा दिया गया है। शनिवार को फरीदकोट कोर्ट में दोबारा पेश किए जाने पर एसआईटी ने बताया कि कोटकपूरा में प्रदर्शन की वीडियोग्राफी कर रहे कैमरामैन ने बयान दिए हैं कि वहां की गई वीडियोग्राफी की एक काॅपी उसने सीनियर के कहने पर अधिकारियों को दी। उसके बाद कैमरे की वीडियो को पुलिस अफसरों ने नष्ट करवा दिया। बाद में पुलिस ने खुद वीडियो को एडिट कर सीसीटीवी फुटेज दिखाई।

एसआईटी ने कहा कि पहले भी पुलिस अधिकारियों ने 14 अक्टूबर 2015 को गोली चलाने से पहले एसडीएम के आदेश होने की बात कही। जबकि सुबह 7 बजे हुई पुलिस बल प्रयोग की घटना के बाद करीब पौने ग्यारह बजे तक दर्ज प्राथमिकी में इसका कोई जिक्र नहीं है। एसडीएम के जो आदेश पुलिस ने उन्हें दिखाए हैं उन पर आदेश जारी करने के समय का कोई जिक्र नहीं है। संदेह है कि यह आदेश गोली चलाने के बाद खुद को बचाने के लिए पुलिस अधिकारियों ने तैयार करवाए हैं। उस समय परमराज सिंह उमरानंगल ने डीजीपी समेत अन्य अधिकारियों को करीब 30 काॅल किए। इन सभी कालों व सीसीटीवी फुटेज के संबंध में जांच की जानी है। इसके लिए उनके और रिमांड की जरूरत है। जस्टिस एकता उप्पल ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद उमरानंगल का रिमांड तीन दिन के लिए और बढ़ा दिया।

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