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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

आयुर्वेद दिवस : आयुर्वेद आचार्य ने आयुर्वेद बोर्ड और एक आयुर्वेद अनुसंधान शाखा स्थापित करने की मांग उठायी आयुर्वेद दिवस मनाने के लिए प्रधानमंत्री को बधाई देता हूं सकता है :आचार्य मनीष

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चंडीगढ़,सुनीता शास्त्री।कोविड-19 के खिलाफ आयुर्वेदिक औषधियों के प्रभाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को सूचित किया है कि भारत 13 नवंबर को आयुर्वेद फॉर कोविड-19 की थीम पर आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाएगा। मैं इसके लिए प्रधानमंत्री को बधाई देता हूं। यह एक ऐसी पहल है जो कोरोनावायरस के खिलाफ आयुर्वेदिक औषधियों की शक्ति के बारे में दुनिया भर में जागरूकता फैलायेगी। मुझे उम्मीद है कि केंद्र सरकार के समर्थन से, आयुर्वेद अब भारत और यहां तक कि दुनिया भर में कोविड के खिलाफ लड़ाई की अगुआई कर सकता है। आचार्य मनीष ने कहा, जो कि एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक आचार्य हैं, जिन्होंने शुद्धि आयुर्वेद नामक ब्रांड की स्थापना की है, जिसका मुख्यालय जीरकपुर में है और देश भर में जिसके तहत 150 से अधिक आयुर्वेदिक चिकित्सालय संचालित हैं।आचार्य मनीष ने राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस पर भारत में आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार को लेकर अपनी एक इच्छा सूची साझा की है।आचार्य मनीष ने कहा, नीतिगत निर्णय लेने और कार्य योजना पर अमल करने के लिए एक आयुर्वेद बोर्ड की आवश्यकता है। केंद्र सरकार को एक समर्पित अनुसंधान विंग भी स्थापित करना चाहिए, जो भारतीय चिकित्सा शिक्षा परिषद की तुलना में अधिक जीवंत और प्रभावी होना चाहिए। यह शोध कार्य के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षण को बढ़ावा देने वाला होना चाहिए। आयुर्वेदिक उपचार किसी भी अन्य पैथी के समतुल्य होना चाहिए। आयुर्वेदिक चिकित्सकों को योग्य डॉक्टरों के रूप में लिया जाना चाहिए, जबकि अभी ऐसा नहीं है। हालांकि इन्हें अपनी डिग्री लेने के लिए एमबीबीएस से अधिक अध्ययन करना होता है। इस असमानता को दूर किये जाने की जरूरत है। आचार्य मनीष ने बताया कि आयुष की स्वास्थ्य प्रणालियों को बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए साझेदारियां करने और और आयुर्वेद विशेषज्ञों को साथ में लेने की आवश्यकता है। उन्होंने अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए), नई दिल्ली का आह्वान किया है, ताकि गुणवत्ता वाले अनुसंधान को अंजाम देने के लिए एक दीर्घकालिक विजन दस्तावेज तैयार किया जा सके और वैश्विक स्तर की एक अनुसंधान पत्रिका निकाली जा सके।आचार्य मनीष के अनुसार, आयुर्वेद को बढ़ावा देने के मार्ग में कई बाधाएं हैं, लेकिन उन्हें हटाने के लिए आवश्यक प्रयास होने चाहिए, जो कि लंबे समय से गायब हैंआचार्य मनीष ने कहा, ‘दो पुराने और आयुर्वेद-विरोधी चिकित्सा कानूनों में संशोधन करने या उन्हें समाप्त करने की मांग लंबे समय से चली आ रही है, जिस पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया है। ये कानून 1897 का महामारी अधिनियम और 1954 का मैजिक रेमेडी एक्ट है। रोगों का मुकाबला करने में आयुर्वेद की प्रभावशीलता के बारे में बात करते हुए, आचार्य मनीष ने कहा कि आयुर्वेद बीमारियों के मूल कारण पर काम करता है, जिससे कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। इसके अलावा, हर्बल उत्पाद विषाक्त पदार्थों से शरीर को राहत देते हैं और शरीर में नयी ऊर्जा भरने में मदद करते हैं। इस प्रक्रिया से शरीर को किसी भी बीमारी से लडऩे में सहूलियत होती है।मानवता की भलाई के लिए इय आयुर्वेद दिवस पर मैं केंद्र सरकार से अपील करता हूं कि आयुर्वेद के सदियों पुराने कई रहस्यों से परदा हटाने में हमारी मदद करे, ‘ आचार्य मनीष ने कहा।