मुंबई। इंडिया में इस वक्त #MeToo मूवमेंट छाया हुआ है। इसके तहत कई बॉलीवुड एक्ट्रेस अब तक अपने साथ हुई ज्यादती को लेकर आवाज उठा चुकी हैं। इस कैम्पेन से जहां बुरी नीयत वालों के चेहरे बेनकाब हो रहे हैं, वहीं ये कैम्पेन एक आंदोलन का रूप लेता जा रहा है। इस मुद्दे पर टीवी के बड़े सितारों रोहिताश गौड़ से लेकर श्रृति झा, दिव्यंका त्रिपाठी, देबिना बनर्जी और शरद मल्होत्रा जैसे एक्टर्स ने भी काफी कुछ कहा है। जानते हैं इस मु्द्दे पर टीवी सितारों की राय।
डर की वजह से लोग बोलने से घबराते हैं : श्रृति झा
इस तरह डरावने और शर्मनाक केसेज के बारे में बात करना काफी कठिन होता है। आप पर विश्वास नहीं किया जाता, काम नहीं मिलने का डर होता है। कई चीजों के नुकसान होने का डर होता है। महिलाएं अनसेफ हैं इसलिए हमारे दोस्त और भाई हमें घर पर ड्रॉप करने की बात करते हैं। हालांकि इससे सबको डरने की जरूरत नहीं है। डर उनको होना चाहिए जिन्होंने कभी गलत किया है। मैं उन सभी महिलाओं की रिसपेक्ट करती हूं, जिन्होंने आवाज उठाई है।
हमें किसी को सही गया गलत जज करने का अधिकार नहीं : रोहिताश गौड
कोई भी अपने अतीत को नहीं भूलता। मुझे इसमें कुछ गलत नहीं लगता अगर कोई अपने पुराने अनुभवों के बारे में बात करना चाहता है। हमें उसे सही या गलत जज करने का अधिकार नहीं है। सभी को अपनी बात रखने की पूरी आजादी है। मुझे लगता है कि मीटू जैसे मूवमेंट तभी सफल होंगे जब इनकी रिपोर्ट तुरंत की जाएगी।
जो आवाज उठा रहे हैं, हमें उनका सपोर्ट करना चाहिए : देबिना
मुझे लगता है कि मीटू मूवमेंट उन सभी महिलाओं के पक्ष में काम करेगा जो इस तरह के हेरेसमेंट की शिकार होती हैं। यह कैंपेन महिलाओं को स्ट्रेंथ दे रहा है ताकि वे अन्याय के खिलाफ आवाज उठा सकें। जो लोग ऐसा कह रहे हैं कि इतने दिनों बाद क्यों आवाज उठाई जा रही है उनको समझना चाहिए कि जब इंसीडेंट होता है तब उसके बारे में बोलना इतना आसान नहीं होता है। जो दूसरे के साथ हो रहा है वो कभी हमारे या किसी हमारे किसी करीबी के साथ हो सकता है। इसलिए जो लोग आवाज उठा रहे हैं, हमें उनको प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि दोषी को सजा मिल सके। मैं मीटू मूवमेंट को पूरी तरह सपोर्ट करती हूं।
महिलाओं को अपनी आवाज नहीं दबाना चाहिए : विवेक दहिया
इस तरह की खबरें आना बहुत ही घटिया बात है। महिलाओं को अपनी आवाज को दशकों तक दबाकर नहीं रखना चाहिए। अब समय बदल गया है। एक आवाज दूसरों को भी स्ट्रेंथ देती है। देश ऐसी महिलाओं के साथ खड़ा है जो कि ऐसे क्राइम के खिलाफ आवाज उठाती हैं। हमें सोशल मीडिया को धन्यवाद देना चाहिए।
सेक्शुअली हैरेस करने पर तुरंत एक्शन होना चाहिए : शरद मल्होत्रा
अगर किसी को सेक्सुअली हेरेस किया जाता है तो तुरंत एक्शन लेना चाहिए। महीनों और सालों तक इंतजार नहीं करना चाहिए। प्लीज, न्याय के लिए आवाज उठाइए। इसको टालना नहीं चाहिए। क्योंकि हर चीज का असर समय पर होता है। समय का बड़ा महत्व है।
हर केस सच नहीं होता, लेकिन MeToo से ऐसे मामले कम होंगे : पूजा बनर्जी
मुझे लगता है कि यह मूवमेंट अच्छा है। यह फैक्ट है कि एंटरटेनमेंट फील्ड में महिलाएं इमेज और करियर बर्बाद होने के डर से कुछ नहीं कहती हैं। लेकिन ये भी सच है कि मीटू जैसे मूवमेंट अच्छाई और बुराई अपने साथ लेकर आते हैं। हर केस सच नहीं हो सकता लेकिन, मुझे विश्वास है कि मीटू मूवमेंट से ऐसे केसों में कमी आएगी।
तनुश्री और विंटा की तरह बोलने के लिए गट्स चाहिए : रसलान सईद
किसी भी तरह का सेक्सुअल हैरेसमेंट कभी नहीं भरने वाला जख्म दे देता है। मैं महसूस कर सकता हूं कि इन महिलाओं ने उस वक्त कैसा फील किया होगा। मैंने कई बार आदमियों को पब्लिकली महिलाओं को बिना किसी शर्म के बुरी नजरों से देखते हुए देखा है। तनुश्री और विंटा की तरह बोलने के लिए गट्स चाहिए। इंवेस्टीगेशन होना चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए।
कोई गलत कर रहा है तो हमें खुद आवाज उठानी होगी : दिव्यंका त्रिपाठी
यह अच्छी बात है कि महिलाएं अन्याय के खिलाफ आवाज उठा रही हैं। अगर हमारे साथ कुछ गलत हो रहा है, कोई गलत तरीके से अप्रोच कर रहा है तो बहनों को बताने की जगह हमें आवाज उठाना होगा। अपराध को छुपाना नहीं चाहिए। जो लोग गलत कर रहे हैं, उन्हें सजा मिलनी ही चाहिए।
शॉर्टकट अपनाने वालों के लिए अब रिस्की होगी डगर : आकाशदीप सहगल
मुझे लगता है कि मीटू मूवमेंट एक अच्छा प्रयास है। यह बॉलीवुड का क्लीन अप मूवमेंट है। इससे महिलाओं को सपोर्ट मिल रहा है। इसका रिजल्ट यह होगा कि लोग सिर्फ टैलेंट के दम पर ही सर्वाइव कर सकेंगे। जो लोग शॉटकर्ट अपनाते हैं, उनके लिए यह रिस्की होगा। मैं इसका पूरा सपोर्ट करता हूं।
पीड़ित अपने साथ हुई ज्यादती के खिलाफ बोलने के लिए आजाद : रोमित राज
अगर पीड़ित सच बोल रहा या रही है तो वो जब भी कंफर्टेबल फील करे बोल सकती है। देरी इसलिए भी हो सकती है क्योंकि हो सकता है कि वो डिप्रेशन में हो, वो भावनात्मक रूप से कमजोर हो चुकी हो। ये सब बताने के लिए हिम्मत की काफी जरूरत होती है। लेकिन कम्प्लेन फाइल करना बहुत जरूरी है, तभी न्याय मिल सकता है।
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