साहित्य धरा पर प्रकटने को प्राय: शब्दों को गुज़रना पड़ता है, प्रसूता की भांति प्रसव वेदना से…
संवाद साहित्य मंच, चण्डीगढ़ द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बौद्धिक संकटता पर परिचर्चा आयोजित
चण्डीगढ़ : आज संवाद साहित्य मंच, चण्डीगढ़ की ओर से साहित्यकार हरेंदर सिन्हा के आवास पर प्रगतिशील लेखक संघ, उत्तर भारत से पधारे डाॅ रवीन्द्र नाथ राय, पूर्व वरिष्ठ शिक्षाविद्, लेखक एवं समालोचक और बिहार से रंगकर्मी एवं वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्र कुमार से ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बौद्धिक संकटता” पर परिचर्चा रखी गयी। परिचर्चा में संवाद साहित्य मंच के अध्यक्ष प्रेम विज एवं वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य कुल संस्था चंडीगढ़ के अध्यक्ष कृष्ण कुमार शारदा विशेष तौर पर उपस्थित रहे। कवि एवं साहित्य विश्लेषक डा. अनीश गर्ग ने परिचर्चा का संचालन किया। वरिष्ठ साहित्यकार प्रेम विज ने परिचर्चा के प्रारंभ में कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों पहलुओं का विश्लेषण करने के बाद इतना तो समझ आता है कि मानव की अपनी बौद्धिक रचना शक्ति पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। डा. अनीश गर्ग ने अपनी कविता की पंक्तियां, “साहित्य धरा पर प्रकटने को प्राय: शब्दों को गुज़रना पड़ता है..प्रसूता की भांति प्रसव वेदना से” के हवाले से पूछा कि क्या यह संभव नहीं कि साहित्यकार की मौलिक रचना बिल्कुल वैसी होती है जैसे एक मां प्राकृतिक तरीके से बच्चे को जन्म देती है परंतु आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का मतलब आईवीएफ तकनीक या टेस्ट ट्यूब के द्वारा रचना को जन्म देना। इस पर डा. रविन्द्र नाथ राय ने कहा,”निसंदेह हम विज्ञान के पक्षधर हैं और डिजिटल क्रांति के हर नये स्वरूप का अभिनंदन करते हैं परंतु इस सत्य को नकारा नहीं जा सकता कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बहुत सारे मानवीय मस्तिष्कों ने मिलकर आविष्कार किया है। जिस प्रकार रोबोट से काम लेने पर व्यक्ति परिश्रम करना बंद कर देगा और आलस्य से की ओर अग्रसर हो जाएगा। इसी तरह इस तकनीक से काम लेने पर व्यक्ति की अपनी बौद्धिक क्षमता विश्रमित होते होते निकम्मी हो जाएगी। वरिष्ठ साहित्यकार सत्येंद्र कुमार ने जिस तरह मोबाइल आने पर एक ही घर के सभी सदस्य पृथक होकर रह गए हैं उसी तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आते ही आप अपनी बौद्धिकता से पृथक हो जाएंगे। इस परिचर्चा में कवियत्री एवं लेखिका विमल गुगलानी, हरेन्द्र सिन्हा, सोमेश गुप्ता, सुभाष भास्कर इत्यादि ने अपने विचार व्यक्त किए। परिचर्चा उपरांत बिहार और यूपी से आए इन वरिष्ठ साहित्यकारों का शॉल देकर सम्मान किया गया।