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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

सीएमई के दौरान डॉक्टरों ने आर्थोस्कोपी पर चर्चा की

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सीएमई के दौरान डॉक्टरों ने आर्थोस्कोपी पर चर्चा की
पंचकुला : आज एक सीएमई के दौरान, डॉक्टरों ने आर्थोस्कोपी और हृदय उपचार में सर्जिकल प्रबंधन में हाल के विकास पर चर्चा की।
सीएमई को संबोधित करते हुए पारस हेल्थ, पंचकुला में स्पोर्ट्स मेडिसिन, ऑर्थोपेडिक, ज्वाइंट रिप्लेसमेंट और ट्रॉमा के चेयरमैन डॉ. रवि गुप्ता ने कहा कि आर्थ्रोस्कोपी एक मिनिमल इनवेसिव सर्जिकल प्रोसीजर है जहां जॉइंट की समस्याओं का इलाज की-होल सर्जरी द्वारा किया जाता है। मिनिमल इनवेसिव सर्जिकल प्रोसीजर के कारण, रोगी उसी दिन आपरैटड जॉइंट को हिलाना शुरू कर देता है और किसी प्लास्टर की आवश्यकता नहीं होती है।
हम सभी जॉइंट के लिए इस सर्जरी की सलाह देते हैं, मुख्य रूप से खेल से संबंधित चोटों या घुटने, कंधे, कोहनी, कलाई, कूल्हे और टखने के जोड़ों में किसी अन्य चोट के लिए।
डॉ. रवि गुप्ता ने बताया कि प्रोसीजर के दौरान, डॉक्टर कई छोटे की-होल कट्स के माध्यम से यह देखने के लिए कि जॉइंट में कितनी डैमेज हुई है, जॉइंट में आर्थोस्कोप नामक एक उपकरण डालते हैं। वे एक ही की-होल कट के माध्यम से एक ही सर्जरी के दौरान डैमेज की रिपेयर करते हैं।
हाल ही में डॉ. गुप्ता ने कनाडा के एक 35 वर्षीय खिलाड़ी का एल्बो आर्थ्रोस्कोपी के जरिए इलाज किया।
सर्जरी के अगले ही दिन मरीज अपनी कोहनी को बिना किसी अकड़न के आसानी से हिलाने में सक्षम हो गया। उन्होंने बताया कि पारस हेल्थ पंचकुला में सभी जॉइंट की आर्थोस्कोपी की जा रही है।
सीटीवीएस के डायरेक्टर और मुख्य सलाहकार डॉ. राणा संदीप सिंह ने स्ट्रक्चर हार्ट
डिजीज के सर्जिकल प्रबंधन में वर्तमान रुझानों के बारे में बात की। डॉ. अमित बंसल, सीनियर कंसल्टेंट जनरल और मिनिमम एक्सेस सर्जरी ने सीएमई के दौरान हर्निया प्रबंधन में बदलते रुझानों के बारे में बात की।