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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर विशेष

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प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर विशेष

प्राकृतिक जीवन एवं संयमित जीवन शैली से रोगों से बचा जा सकता हैः- देवराज त्यागी, सचिव गांधी स्मारक निधि

18/11/22 को गांधी स्मारक निधि, चण्डीगढ़ की ओर से पंचम प्राकृतिक चिकित्सा दिवस (नैचुरोपैथी डे) धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर गांधी स्मारक निधि, चण्डीगढ़:- गांधी स्मारक भवन चंडीगढ़ से बोटेनिकल गार्डन तक एक साईकिल रैली निकाली गई जिसका नेतृत्व गांधी स्मारक निधि, चण्डीगढ़ के सचिव देवराज त्यागी ने किया। इसमें कुल 100 से ज्यादा नैचुरोपैथी प्रेमियों ने किया। चिकित्सा के प्रति लोगों को जागरूक किया। कार्यक्रम का विषय ‘‘नैचुरोपैथी एक समग्र आर्युविज्ञान’’ रहा।
प्राकृतिक चिकित्सक डाॅ. एम. पी. डोगरा, अध्यक्ष प्राकृतिक चिकित्सा समिति, चंडीगढ ने बताया कि 90% से 95% रोग तो जीवनशैली में बिगाड़ की वजह से उत्पन्न हो रहे हैं। हम प्रकृति से जितना दूर जा रहे हैं उतना ही हम रोगों से घिरते जा रहे हैं। प्राकृतिक चिकित्सा कहती है कि यदि हम प्रकृति के अनुसार चलें तो हम रोगी होंगे ही नहीं, एवं हमें दवाईंयाँ लेने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। मौसमी फल एवं सब्जियों का सेवन करें, मोटे अनाज को अपने खान-पान में शामिल करें, भूख अनुसार उचित मात्रा में खाएं, जल्दी सोएं और जल्दी उठें एवं योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। ऐसा करके हम स्वस्थ एवं निरोगी काया पा सकते हैं।
डाॅ. देवराज त्यागी, सचिव गांधी स्मारक निधि, चण्डीगढ़ ने बताया कि गांधी स्मारक भवन में एक आउटडोर प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र पिछले 15 वर्षों से चल रहा है तथा अब तक हज़ारों रोगी लाभ उठा चुके हैं। हम प्राकृतिक जीवन और संयमित जीवनशैली से इन रोगों से बच सकते हैं। सरकार ने 18 नवम्बर को प्राकृतिक चिकित्सा दिवस घोषित किया है जो कि प्राकृतिक चिकित्सा के प्रचार-प्रसार की ओर एक सकारात्मक कदम है तथा साथ ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को यह सच्ची श्रद्धांजलि है।
डाॅ. रमेश कुमार ने नैचरोपैथी की उपयोगिता के बारे में बताते हुए कहा कि यह पद्वति सरल सस्ती और टिकाऊ है और आज कल जैसे-जैसे हम दवाईयांे को खा-खाकर बीमार से बीमार होते जा रहें है तथा इन सबसे बचने के लिये एक ही सरल तरीका है कि हम नैचर की शरण में आये और उसके अनुसार ही जीवन यापन करे।
प्राकृतिक चिकित्सा समिति की ब्रांड एम्बैसडर डाॅ. कमलजीत ने बताया कि अगर हमें अपने डाक्टर आप बनना है तो शरीर को समझना होगा, इसकी भाषा को समझना होगा। कोई भी विकार आने पहले से पहले सिगनल देता है जैसे जुकाम, उल्टी, दस्त, बुखार, खांसी इत्यादि का होना, यह सब मित्र रोग है। इनका इलाज न करके इन का सहयोग, उपवास करके करें ताकि हमारी जीवनी शक्ति जो पाचन में लगती है, वह बच जाये और हमारे शरीर को साफ सुथरा करें क्योकि इन रोगों से शरीर का कूड़ा कचरा ही तो निकलता है। शरीर के विकार निकलने के बाद शरीर स्वास्थ हो जाता है। इस अवसर पर उपस्थित नैचुरोपैथी प्रेमियों में औषधीय पौधे भी वितरित किए।
कार्यक्रम में डाॅ रमन शर्मा, डाॅ. भूपेन्द्र शर्मा, ईश्वर अग्रवाल, योगेश बहल, प्रभूनाथ साही, आनन्द द राव, अनिता मलिक, प्रवीन बाला, रमेश कुमार, विक्की, खेमराज गर्ग, मुकेश अग्रवाल, बेद कुमार अरोड़ा, निधि अम्बाला से, इत्यादि लोगों ने भाग लिया।