पंचकूला 23 नवंबर- हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चन्द्र मोहन ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और जजपा सरकार भ्रष्टाचार के दलदल में आकंठ डूबी हुई है और बिन पर्ची-बिन खर्ची वाली सरकार का असली चेहरा लोगों के सामने बेनकाब हो गया है।
उन्होंने मांग कि है कि हरियाणा लोक सेवा आयोग और हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग में फैले भ्रष्टाचार की जांच उच्च न्यायालय के किसी सेवारत न्यायाधीश से जांच करवाई जाए ताकि इस सरकार की उन कारगुज़ारियों को उजागर किया जा सके कि किस प्रकार से प्रदेश के लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ करते हुए उन्हें धोखा देकर यह सरकार इमानदारी की ब्रॉन्डिंग का लेबल लगा कर बनाई गई थी।
चन्द्र मोहन ने कहा कि हरियाणा सरकार ने अपने आकाओं के इशारों पर अपने चहेतों को नौकरियां दिलवाने के नाम पर किस प्रकार से फर्जीवाड़ा किया गया है। यह सब धीरे-धीरे उजागर हो रहा है। आज भी अनेक विभागो में अधिकारियो की नियुक्ति आर एस एस के मुख्यालय के इशारे पर होती हो रही हैं और आर एस एस के आदेशों के अनुसार ही भर्ती के नियमों में बार बार संशोधन करके हरियाणा के युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि हरियाणा लोक सेवा आयोग के उप सचिव अनिल नागर के रंगे हाथों पकड़े जाने पर सरकार का पारदर्शिता का आवरण फट गया है। इसीलिए इस मामले में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की चुप्पी इशारों-इशारों में बहुत कुछ कहने के लिए विवश और लाचार है। उन्होंने कहा कि हर रोज हरियाणा लोक सेवा आयोग और हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के कारनामों से भृष्टाचार की नई नई परते खुल रही है और प्रदेश के नेतृत्व पर ऊंगली उठनी शुरू हो गई हैं। इस लिए मुख्यमंत्री को प्रदेश की जनता के सामने आ कर अपने चहेतों के लिए माफी मांगनी चाहिए और इसके साथ ही उन युवाओं से भी माफी मांगनी चाहिए जिनका भविष्य पारदर्शिता और पर्ची और खर्ची के नाम पर अंधकारमय हो गया है अब उनके नुकसान की भरपाई कौन करेगा।
चन्द्र मोहन ने कहा कि नौकरियों में हुई बंदरबांट का ही परिणाम है कि हरियाणा प्रदेश, बेरोजगारी के मामले देश में पहले स्थान पर पहुंच गया है , इसने तो बिहार जैसे राज्यों को भी पीछे छोड़ दिया है और यह मनोहर लाल खट्टर सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है। इस भयावह स्थिति के लिए खट्टर सरकार जिम्मेदार है । उन्होंने मांग कि है कि अगर मुख्यमंत्री में जरा सी भी नैतिकता बची है तो हरियाणा लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष समेत सभी का त्याग पत्र लेकर अनिल नागर के कार्यकाल सहित पिछले 7 सालों में हुईं सब नियुक्तियों की जांच करवाई जाए ताकि इस षड्यंत्र का पर्दाफाश हो सके ।
उन्होंने कहा कि चौकसी विभाग द्वारा अभी तक अनिल नागर और उसकी टीम के सदस्य अश्विनी शर्मा और नवीन से लगभग 3.25 करोड़ रुपये से अधिक नगद राशि बरामद की जा चुकी है और अभी अनेकों चेहरे बेनकाब होने बाकी हैं और यह खुलासा पारदर्शी तरीके से उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश से जांच कराने के बाद ही हो सकता है अन्यथा सरकार इस घोटाले को दबाने का हर सम्भव प्रयास करेगी और सच्चाई पर पर्दा डालने का हर संभव प्रयास किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस मामले की न्यायिक जांच कराने के लिए राज्यपाल को एक ज्ञापन भी सौंपा जायेगा ताकि युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ होने से बचाया जा सके।
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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020