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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल समालखा में बाबा गुरबचन सिंह मैमोरियल क्रिकेट टूर्नामैंट का शुभांरम्भ

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चंडीगढ़सुनीता शास्त्री /मोहाली : सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज के आशीर्वाद से बाबा गुरबचन सिंह मैमोरियल 21वें क्रिकेट टूर्नामैंट का शुभारंभ, संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल समालखा ग्राउंड में आज किया गया। इस वर्ष क्रिकेट टूर्नामैंट का मुख्य विषय ‘स्थिर मन, सहज जीवन’ है। यह क्रिकेट टूर्नामैंट आज से 25 अप्रैल, 2021 तक चलेगा। इस प्रतियोगिता में देश के अनेक राज्यों से, जैसे- दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, जम्मू कश्मीर, मध्य प्रदेश इत्यादि से आये हुए युवाआें ने पंजीकरण कराया। जिनमें से 48 टीमें प्रतियोगिता के लिए चयनित हुई; जिनका उत्साह देखते ही बनता है। चंडीगढ़ ब्रांच के संयोजक ने बताया की चंडीगढ़ , मोहाली से भी एक- एक टीम इसमें हिसा ले रही है।क्रिकेट टूर्नामैंट में सम्मिलित होने वाले सभी प्रतिभागियों की कोविड की जाँच भी कराई गई है। इसके अतिरिक्त कोविड-19 के सन्दर्भ में सरकार द्वारा जारी किए गए सभी दिशानिर्देशों का उचित रूप से पालन किया जा रहा है। इस क्रिकेट टूर्नामैंट का आरम्भ बाबा हरदेव सिंह जी द्वारा बाबा गुरबचन सिंह जी की स्मृति में किया गया था। बाबा गुरबचन सिंह जी ने युवाआें की ऊर्जा को नया आयाम देने के लिए उन्हें सदैव ही खेलों के लिए प्रेरित किया ताकि उनकी ऊर्जा को उपयुक्त दिशा देकर; देश एवं समाज का सुंदर निर्माण तथा समुचित विकास किया जा सके।समालखा में आयोजित इस क्रिकेट टूर्नामैंट के अवसर पर संत निरंकारी मण्डल के पदाधिकारी, केन्द्र योजना एंव सलाहकार बोर्ड के सदस्य एवं कार्यकारिणी समिति के सदस्य भी सम्मिलित हुए और भाईया गोबिंद सिंह जी, प्रधान संत निरंकारी मण्डल ने इस क्रिकेट टूर्नामैंट का शुभारंभ ध्वजारोहण करके किया। तथा सुखदेव सिंह जी, चैयरमेन केन्द्र योजना एंव सलाहकार बोर्ड ने शांति प्रतीक के रूप में गुब्बारे आकाश में छोडे़खेलों से हमें अनेक प्रकार की सीख मिलती है और यह हमें जीवन जीने की कला भी सिखाती है। जिस प्रकार एक खिलाड़ी में सच्ची खेल की भावना होती है और वह केवल खेल को ही महत्व देता है। वह स्वयं से खेल में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता है। उसके लिए हार जीत का कोई मूल्य नहीं होता। वह विनम्रता से अपनी असफलता को स्वीकार कर लेता है। जीतने वाले में भी किसी प्रकार का अहम भाव नहीं होता और हारने वाले में किसी प्रकार की कोई द्वेष भावना नहीं होती। यहीं एकजुटता का अद्भुत रूप, प्रेम एवं मिलर्वतन की भावना मिशन हमें सीखाता है।साथ ही इन खेलों का उद्देश्य एकाग्रता और सामुदायिक सामंजस्य की भावना को बढ़ाना एवं शारिरिक व मानसिक रूप में युवाआें को स्वस्थ बनाना है। जिससे कि सभी स्वस्थ रहे और सत्संग, सेवा एंव सुमिरण में सजगता के साथ अपना और अधिक योगदान दे पायें। यही मिशन का प्रयास भी है।