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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

अंडादानी कैंसर: कानाफूसी वाली बीमारी

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अंडादानी कैंसर के बारे में जागरूकता तथा इलाज के दौरान और बाद में आने वाली परेशानियों का सामना करने में मदद के लिए सामान्य जानकारी पुस्तिका
भारत में अंडादानी कैंसर स्तन कैंसर और सर्विक्स कैंसर के बाद पाया जाने वाला तीसरा बड़ा कैंसर है। पिछले कुछ दशकों में अंडादानी कैंसर के मामलों में लगातार वृद्धि हुई है। यह 18 साल की लड़कियों से लेकर 80 साल की औरतों में पाया जाता है। इस कैंसर के लिए कोई स्क्रीनिंग टेस्ट नहीं है। इसलिए मरीज को इसके लक्षणों के बारे में जानकारी होना आवश्यक हो जाता है, ताकि मरीज जल्दी से डॉक्टर के पास जांच के लिए पहुँच सके।
इसके बारे में खास बात यह है कि इसके लक्षण सामान्य तौर पर किसी भी महिला में पाये जा सकते हैं किन्तुकैंसर के मरीज में यह गंभीर और लंबे समय तक रहते हैं। यह कहा जाता है कि यह कैंसर अपने होने के बारे में कानाफूसी की तरह बहुत धीरे से बताता है इसलिए हमें सतर्क रेह कर ध्यान से इसे सूनना होता है।इसके विभिन्न लक्षण जैसे कि भूख कम लगना या पेट भरा-भरा महसूस होना पेशाब ज़्यादा आना,पेडू या पेट में दर्द,गैस होना आदि है। इसके इलावा कैंसर के इलाज के दौरान आने वाली परेशानियाँ जैसे कि भूख न लगना, कब्जियत, संक्रमण आदि के प्रबंधन के बारे में भी मरीज के मन में सवाल रहते हैं। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए अंडादानी कैंसर के बारे में सामान्य जानकारी पुस्तिका लिखी गयी है। इसमें अंडादानी कैंसर के कुछ कारणों और सुरक्षात्मक कारकों के बारे में भी बताया गया है।सरकार तथा NGO’s द्वारा कैंसर के मरीजों के लिए दी जाने वाली वित्तीय सहायता, इलाज के बाद अपना ध्यान कैसे रखना है, अंडादानी कैंसर से जुड़े तथ्यों और इलाज खत्म होने के बाद डॉक्टर द्वारा जांच के लिए बुलाने पर नियमित तौर पर जाने की आवशयकता पर रोशनी डाली गयी है। यह पुस्तिका पी. जी. आई, चंडीगढ़ की वैबसाइट www.pgimer.edu.in पर उपलब्ध है।
यह पुस्तिका डॉ. जानवी, रिसर्च स्कॉलर, सामुदायिक चिकित्सा तथा जनस्वास्थ्य विद्यालय के द्वारा अपने शोध कार्य के अंतर्गत लिखी है। यह पुस्तिका डॉ अमरजीत सिंह, प्रमुख एवं प्रोफेसर, सामुदायिक चिकित्सा तथा जनस्वास्थ्य विद्यालय, डॉ भावना राय, प्रोफेसर, रेडियोथिरेपी एवं ओंकोलोजी विभाग, डॉ वनिता सूरी, प्रमुख एवं प्रोफेसर, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की विशेषज्ञता और दिशा निर्देश में लिखी गयी है।