जीएसटी में दिन प्रतिदिन हो रहे बदलाव , जीएसटी में कठिन अनुपालन एवं बढ़ती हुई दंडात्मक कार्यवाही से परेशान होकर हो कर प्रमुख व्यापारिक संगठन फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया व्यापार मंडल(फैम) द्वारा भारत सरकार से पुराने जीएसटी के स्थान पर एक नया जीएसटी लाने का आग्रह किया है।
फैम द्वारा आज दिनाक 22 फरवरी 2021 को देश में लगभग 400 जिला मुख्यालय पर जाकर ,माननीय प्रधान मंत्री जी में नाम एक ज्ञापन जिला अधिकारी जिला उपायुक्त को सौपा है और मांग की है कि आत्मनिर्भर भारत के लिए जीएसटी में संरचनात्मक परिवर्तन कर नया संस्करण लाये सरकार।
ज्ञापन में फैम द्वारा उल्लेखित किया गया है कि जुलाई 2017 में देश में सदी के सबसे बड़े टैक्स रिफार्म के रूप में जब जीएसटी को लागू किया गया था, देश ने बड़े उत्साह के साथ नई कर प्रणाली का स्वागत किया था और अपेक्षा की थी कि नयी कर प्रणाली सरल होगी, कर चोरी पर रोकथाम लगेगी एवं बिना किसी रुकावट के इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलेगा इत्यादि इत्यादि। दुर्भाग्य से छोटे व्यापारियों के लिए वर्तमान जीएसटी प्रणाली एक बहुत बड़ी परेशानी बन चुकी है। कर अनुपालन इतना पेचीदा हो चला है कि व्यापारी जीएसटी का अनुपालन में अपना आत्मविश्वास खो बैठा है और एक अनजाने डर के चलते कुछ न कुछ गलती कर बैठता है। यह सर्व विदित सिद्धांत है कि सरल कानून से कर अनुपालन एवं कर संग्रह सदैव ज्यादा होता है।
सरकार ने भी करदाताओं की कठिनाइयों को संज्ञान में लेते हुए ,विगत 42 माह में वर्तमान जीएसटी में 1000 के लगभग बदलाव किए है पर कर चोरी एवं फ़र्ज़ी इनपुट टैक्स क्रेडिट की घटनाएं भी अपने चरम सीमा पर है और दिन प्रतिदिन विभाग इस प्रकार के फ़र्ज़ीकरण की रोकथाम में लगा हुआ है। इस फ़र्ज़ीकरण के चलते ईमानदार व्यापारी दण्डित हो रहे है क्योंकि व्यापारियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट तब तक नहीं मिलता है ,जब तक विक्रेता व्यापारी अपनी विवरणी दाखिल न कर दे अन्यथा उसकी गलती की सजा उस ईमानदार व्यापारी को मिलेगी जो विक्रेता व्यापारी को अपना पूरा जीएसटी भुगतान कर चुका है।
श्री राजेश्वर पैन्यूली , राष्ट्रीय संयोजक एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता,फैम ने कहा कि बैंक में फ्रॉड होना कोई आश्चर्य का विषय नहीं है पर उस फ्रॉड की रकम बैंक अपनी जमाकर्ताओं से नहीं वसूलता है ,जबकि वर्तमान जीएसटी में किसी अन्य व्यक्ति द्वारा की गयी कर में धोखाधड़ी की सजा एक ईमानदार व्यापारी को भुगतनी पड़ती है। वर्तमान जीएसटी में व्यापारी द्वारा की गयी अनजाने मानवीय त्रुटि पर सुधार का अवसर देने के स्थान पर सीधा सीधा दंड एवं पंजीकरण रद्द करने के प्रावधान हैं। कम्पनीज एक्ट में छोटी कंपनियों पर बड़ी कंपनियों के मुकाबले कम एवं सरल अनुपालन है ,इसके ठीक विपरीत जीएसटी में संसाधन से सुसज्जित बड़े उद्योग पतियों में एवं संसाधन रहित छोटे व्यापारी को एक समान अनुपालन करना पड़ता है ,जबकि दोनों की क्षमता एवं इंफ्रास्ट्रक्चर भिन्न भिन्न है।
श्री वी के बंसल , राष्ट्रीय महामंत्री फैम के अनुसार अब यह अति आवश्यक हो गया है कि विगत 42 माह के अनुभव के आधार पर जीएसटी के सभी कानूनों का पुनर्मूल्यांकन कर , संरचनात्मक परिवर्तन कर के जीएसटी का नया संस्करण (version) पुनः लिखा जाए और यही मांग हम इस अनुरोध पत्र के माध्यम से आपसे कर रहे है। श्री बंसल ने कहा कि जीएसटी का नया संस्करण इस प्रकार लिखा जाए जो की कर चोरी रोकने हेतु सक्षम हो, सरकार को ज्यादा राजस्व प्राप्त हो एवं व्यापारी वर्ग शुष्म अनुपालन से अपना कर दायित्व का निर्वाह करने के लिए प्रोत्साहित हो।
श्री सीअच् कृष्णा , चेयरमैन एडवाइजरी कमिटी फैम के अनुसार जीएसटी का नया संस्करण विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए इस प्रकार लिखा जाए कि निवेशकों को यह विश्वास हो जाए कि भारत में कर कानूनों में स्थिरता आएगी और आगामी 5-10.वर्षो तक जीएसटी कानून में कोई मूलभूत परिवर्तन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
श्री बंसल ने जोर देते हुए कहा कि जीएसटी के नये संस्करण लिखने की प्रक्रिया में उद्योग संगठनो के साथ साथ खुदरा व्यापारियों के संगठन की भी भागीदारी हो और एक इतनी प्रगतिशील कर प्रणाली का निर्माण हो कि आपके नेतृत्व में राष्ट्र के विकास की इस राह में राष्ट्र का लघु व्यापारी भी अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर सके एवं एक सरल सहज कर प्रणाली से राष्ट्र निर्माण में अपने कर दायित्व का पूर्ण ईमानदारी से निर्वाहकर सके। फैम द्वारा एक ऐसा प्रेजेंटेशन तैयार किया गया है जिसमे कर चोरी पर रोकथाम लगेगी, सरकार को अधिकतम राजस्व प्राप्त होगा और छोटे व्यापारियों को जीएसटी के अनुपालन में भी कोई भी कठिनाई नहीं होगी।
राजेश्वर पैन्यूली , राष्ट्रीय संयोजक एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता,
फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया व्यापार मंडल(फैम)
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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020