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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

कवियों ने कविताओं से चलाए व्यंग के तीर

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नेताजी की जबसे छूटी है कुर्सी,तब से नींद भी है उनसे रूठी

चंडीगढ़: संवाद साहित्य मंच के तत्वाधान में आयोजित हास्य व्यंग कवि सम्मेलन में पंद्रह कवियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जालंधर के वरिष्ठ साहित्यकार एवम् व्यंग्यकार सुरेश सेठ थे। उन्हों कहा कि हास्य जहां हमें गुदगुदाता है वहीं, व्यंग हमें सोचने के लिए मजबूर करता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुल्लू के चर्चित कवि गणेश गनी ने कहा कि व्यंग एक महत्वपूर्ण विधा है इसमें एक गहरा अर्थ छुपा होता है और यह बड़ी गंभीर कविताएं होती हैं।

डॉ सरिता मेहता ने अपनी कविता “आज घुटनों ने देखो कैसी बगावत की है” से घुटनों की विवशता का बखान किया। कविवर प्रेम विज ने अपनी कविता “नेता और कुर्सी” में नेताजी द्वारा सपनों में सिर्फ कुर्सी देख कर राजनीति पर करारा व्यंग करते हुए कहा ‘नेताजी की जबसे छूटी है कुर्सी,तब से नींद भी है उनसे रूठी’ किया। कवि डॉ विनोद शर्मा ने “कुछ लोग दिमाग के कर बंद कपाट” कविता में इंसान के कठपुतली बन जाने पर व्यंग किया। कवियत्री नीरू मित्तल ‘नीर’ ने अपनी कविता में अखबार को अपनी सौतन बताते हुए हास्य के रंग बिखेरे।

इस गोष्ठी में दीपक खेत्रपाल, सुभाष रस्तोगी, अनीश गर्ग, बी के गुप्ता,चमन लाल चमन, अश्वनी भीम, हरेंद्र सिन्हा, विजय कपूर और अशोक नादिर ने अपनी कविताओं के माध्यम से हास्य व्यंग की फुहारें छोड़ीं और सबको हंसी से लोटपोट कर दिया।