हरियाणा सरकार लोगों का विश्वास खो बैठी है, सरकार में शामिल विधायक ही सरकार के खिलाफ बोल रहे- सैलजा
मुख्यमंत्री मनोहर लाल तुरंत प्रभाव से इस्तीफा दें- सैलजा
चंडीगढ़, 11 जनवरी-
हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि हरियाणा में जो स्थिति पैदा हुई है, उसके लिए पूरी तरह से भाजपा सरकार जिम्मेदार है। हरियाणा सरकार में शामिल विधायक ही सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं। आज के दिन हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार की जो स्थिति बन गई है, जो कल करनाल के कैमला गांव में हुआ। उससे यह साफ है कि हरियाणा सरकार लोगों का विश्वास खो बैठी है। माननीय मुख्यमंत्री मनोहर लाल को तुरंत प्रभाव से इस्तीफा देना चाहिए।
यह बातें हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने नई दिल्ली स्थित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहीं। इस दौरान उनके साथ हरियाणा कांग्रेस प्रभारी विवेक बंसल भी मौजूद थे।
सबसे पहले प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए हरियाणा कांग्रेस प्रभारी विवेक बंसल ने कहा कि करनाल में रविवार को जो कुछ हुआ उसके लिए भाजपा सरकार जिम्मेदार है। किसान इन कृषि विरोधी काले कानूनों को वापस करवाना चाहते हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी किसानों की भावनाओं को समझें। यह एक जन आंदोलन है। जिस सरकार ने भी जन आंदोलन की अनदेखी की है। जनता ने उस सरकार को उखाड़ फेंका है।
इसके उपरांत प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कुमारी सैलजा ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी ने एक बार नहीं, बार-बार कहा है कि यह कानून वापस नहीं होंगे। यही इनका राजहठ है। जो आज पूरी स्थिति को इस मुकाम पर ले आया है। भाजपा सरकार एक तरफ बातचीत का ढोंग करती है और दूसरी तरफ कहती है कि हम यह कानून वापस नहीं लेंगे। आज जब लाखों किसान इस भीषण ठंड में पिछले 47 दिन से सड़कों पर बैठे हैं। 60 से ज्यादा किसान इस आंदोलन में जान गंवा चुके हैं। लेकिन सरकार फिर भी किसानों की बात नहीं सुन रही है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि मुख्यमंत्री जी को उनके गृह जिले में ही लोगों का विश्वास प्राप्त नहीं है। कल करनाल के कैमला गांव में जो हुआ वह किसी भी लोकतंत्र के लिए सुखद बात नहीं हो सकती है। लेकिन इसका रास्ता तो खुद सरकार ने ही दिखाया है। जब किसान शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली की ओर आ रहे थे तो हरियाणा सरकार द्वारा उन पर लाठियां बरसाई गईं। उन पर वाटर कैनन का इस्तेमाल किया गया। आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया। किसानों को रोकने के लिए सरकार ने सड़कों को खुदवा दिया।
कुमारी सैलजा ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी को इस महापंचायत में किसानों को आने का न्योता देना चाहिए था। महापंचायत का मतलब है कि सभी के लिए निमंत्रण। किसान वहां पर आएं मुख्यमंत्री जी की बात सुनें, उनसे संवाद करें। अगर किसान वहां पर आकर अपनी बात करना चाहते थे तो उनकी बात सुननी चाहिए थी। लेकिन यह नहीं किया गया। पूरे इलाके को छावनी में बदल दिया गया। अब मुख्यमंत्री जी करनाल में जो हुआ उसका ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ना चाह रहे हैं। किसान आंदोलन एक जन आंदोलन है। इस आंदोलन में किसान शामिल हैं। कांग्रेस पार्टी की अपनी एक अलग राह है। कांग्रेस पार्टी का अपना एक अलग राजनीतिक संघर्ष है। कांग्रेस पार्टी का स्टैंड है कि यह तीनों काले कानून वापस होने चाहिए। 15 जनवरी को हरियाणा कांग्रेस इस राजनीतिक संघर्ष के तहत इन कृषि विरोधी काले कानूनों के खिलाफ किसानों के समर्थन में चंडीगढ़ स्थित राजभवन का घेराव करेगी।
कुमारी सैलजा ने कहा कि हरियाणा कृषि बाहुल्य प्रदेश है। मुख्यमंत्री जी को केंद्र सरकार को बताना चाहिए था कि हरियाणा के लोग कृषि कानूनों को बिल्कुल भी मान्यता नहीं दे रहे हैं। हरियाणा के लोगों की भावनाएं इन कानूनों के खिलाफ हैं। केंद्र सरकार इनके बारे में दोबारा सोचे। मुख्यमंत्री जी को हरियाणा के लोगों की भावनाओं को समझते हुए विशेष सत्र बुलाकर तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ रेजुलेशन पास करना चाहिए था।
कुमारी सैलजा ने कहा कि सरकार किसानों की आवाज ना सुनकर लोकतंत्र के साथ छलावा कर रही है और इसी ओर सुप्रीम कोर्ट ने आज इशारा भी किया है। जितनी सहानुभूति सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई है, क्या इस सरकार ने कभी दिखाई? सुप्रीम कोर्ट जब ऐसी बातें कह सकता है तो यह सरकार क्या इतनी पत्थर दिल है कि इसे यह नजर नहीं आ रहा है?