चंडीगढ़ सुनीता शास्त्री। लुधियाना, एक अध्ययन के अनुसार पारंपरिक क्लासरूम सेट-अप को छोडक़र ऑनलाइन ट्यूटरिंग अपनाने वाले शिक्षकों द्वारा साइन-अप करने के 8 सप्ताह में उन्होंने अपने शिक्षण व्यवसाय में औसतन 4 गुना बढ़ोतरी देखी है। टीचमिंट द्वारा इक_ा किए गए आंकड़ों के मुताबिक व्यक्तिगत शिक्षक की बात की जाए तो उनके स्टूडेंट एनरोलमेंट में 200 प्रतिशत से लेकर 1000 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो रही है, कुछ शिक्षक तो अब अपनी क्लासरूम में 1600 से ज़्यादा स्टूडेंट्स जोड़ रहे हैं इन चीज़ों से यह स्पष्ट होता है कि शिक्षक डिजिटल प्लेटफॉर्म अपना कर कितनी ज़्यादा कमाई कर सकते हैं।इस बढ़ोतरी का अच्छी तरह से विश्लेषण करने के बाद कुछ ख़ास कारण सामने आए हैं जिनकी वजह से शिक्षक डिजिटल प्लेटफॉर्म अपना रहे हैं। इनमें से पहला कारण यह है कि शिक्षक अब आसानी से कंटेंट डिलीवरी, स्टूडेंट को व्यस्त रखना और प्रशासनिक वर्कफ़्लो सहित अपने पूरे शिक्षण व्यसाय को डिजिटल रूप देने में सक्षम है। एक डिजिटल उपस्थिति का मतलब यह भी है कि ट्यूटर अब अपनी दुनिया के किसी भी कोने से क्लास ले सकते हैं और अब वे किसी एक स्थान से बंधे हुए नहीं हैं। इस अपूर्व बढ़ोतरी के पीछे और एक कारण है वह यह है कि शिक्षकों को डिजिटल क्लासरूम बनाने में लगने वाला नाम मात्र का समय और संसाधन की दक्षता जैसी सुविधाएँ पहले कभी नहीं मिली थीए जिससे कि ट्यूटर्स इतने सारे स्टूडेंट को एक साथ पढ़ा सकते हैं।टीचमिंट के सह-संस्थापक मिहिर गुप्ता ने बताया कि, आमने-सामने पढ़ाने वाले ट्यूटर की नीति भारतीय शिक्षा क्षेत्र का मुख्य आधार है, जिससे कि यह कंटेंट आधारित सेल्फ.लर्निंग मॉडल के उलट ट्यूटर सेवाओं का डिजिटलीकरण करने को और ज़्यादा मजबूत बनाता है। हालांकि, शिक्षण का यह रूप पारंपरिक रूप से काफी लागत वाला है और इसे बढ़ाना मुश्किल है। डिजिटलीकरण ने सारी सीमाओं को तोड़ दिया है और शिक्षकों के लिए बिना कोई पूंजी निवेश किए भौतिक और भौगोलिक सीमाओं से परे अनगिनत अवसर के दरवाज़े खोल दिए हैं।
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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020