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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

सूफी कविता और बेजुबान पशु पक्षियों पर कविता सुना का समां बांधा

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लिटरेरी ज़ोन मासिक काव्य गोष्ठी सीनियर सिटीजन काऊंसिल पंचकूला के तत्वावधान में गूगल मीट पर आयोजित की गई जिसमें चौबीस वरिष्ठ नागरिकों ने शिरकत की। सबसे पहले सचिव नीरू मित्तल ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। काऊंसिल प्रधान आर. पी. मल्होत्रा ने सभी को प्रोत्साहित करते हुए लिटरेरी जोन की प्रशंसा की और सभी को करोना से बचने के लिए हिदायत दी। मंच का संचालन उषा गर्ग और नीरू मित्तल ने किया।

उषा गर्ग ने “बेजुबान पशु-पक्षियों की दुहाई”, नीरू मित्तल ने “सूफी कविता” परमात्मा के प्रेम का उपहार “, और सुप्रसिद्ध शायर अशोक भंडारी नादिर ने” नज़र. नज़र से चुरा रहे “गज़ल से समय बांध दिया। अचला डिंगले – -” मैं नदी हूँ “,  मोहिनी सचदेवा” करोना से मेरी जंग”  रेणु अब्बी “संतोष करो अहम छोड़ो” सुषमा राजपाल” जन्मदिन पर तोहफा”, विजय सचदेवा “सुनहरे पल”,कमलेश गेरा ” करोना काल में जीवन के रंग”, मोहिनी मदान ” विवाह एक महोत्सव “, सुमन आहूजा ” अंत में हम ही होंगे” और उषा कुमार ने” प्रकृति से मिलन” में सारी पृथ्वी को हरा लहंगा पहना दिया।सुदेश सूद” खुशी की तालाश”आदि कविताओं ने वाह वाही लूटी। सुशील चोपड़ा जी ने कोरोना से जूझते हुए भी गोष्ठी में हिस्सा लिया।
उषा गर्ग ने प्रत्येक प्रतिभागी के स्वागत स्वरचित कविता की पंक्ति से किया। नीरू मित्तल ने सभी सदस्यों की कविताओं की समीक्षा की और सभी का धन्यवाद किया। मल्होत्रा जी से गोष्ठी की सफलता के लिए सब सदस्यों का आभार व्यक्त किया।यह गोष्ठी प्रत्येक माह आयोजित की जाती है।