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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

चौ. भजनलाल ने जीवन में जिन उच्च उपलब्धियों को प्राप्त किया वह बड़ी थी

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10,000 रुपए तक प्रति एकड़ व ट्यूबवैल के लिए 50 हजार रुपए का मुआवजा तुरंत प्रदान करके और बाढ़ पीडि़तों की मदद को जुटेरहकर उन्होंने राष्ट्रीय स्तर अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया।

इसके अलावा चौ. भजनलाल ने अपने कार्यकाल में न केवल समाज की36 बिरादरी के कल्याण के लिए अहम फैसले लिए बल्कि लोगों को मूलभूत सुविधाएं देने के लिए बड़े पैमाने पर आधारभूत ढांचे काविस्तार करवाया। तीन बार मुख्यमंत्री रहे चौ. भजनलाल ने अपने कार्यकाल में ऐसे अनेक जन-कल्याणकारी कदम उठाए जो कालांतर मेंमील का पत्थर साबित हुए। जिनमें प्रदेश के पिछड़े वर्गों का आरक्षण 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करवाना, मेवात डेवलपमेंटबोर्ड का गठन करवाना तथा मेवात में आईआईटी इंस्टीट्यूट की स्थापना का प्रावधान करना, रोहतक में पंडित भगवत दयाल शर्मामेडिकल कॉलेज को अपग्रेड करना व पंजाबी भाषा को हरियाणा में दूसरी भाषा का दर्जा दिलाने समेत अनेक ऐसे कार्य हैं, जिन सभी कायहां जिक्र करना संभव नहीं है।

पिताजी की पहचान नम्र स्वभाव के राजनेता के रूप में की जाती रही, मगर वक्त पडऩे पर वे सख्त प्रशासक भी थे। जब 1982 मेंप्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एशियाड-82 भारत में करवाने के लिए सभी प्रदेशों के सामने प्रस्ताव रखा तो उस समय पंजाब के हालातनाजुक थे। आतंकवादियों ने इंदिरा गांधी को धमकी दी थी कि दिल्ली में एशियाड-82 किसी भी कीमत पर नहीं होने देंगे। हरियाणा केरास्ते से ही पंजाब का प्रवेश दिल्ली में होता है। उस समय इंदिरा गांधी ने चौ. भजनलाल को बुलाकर इस समस्या का समाधान पूछा तोपिता जी ने उनको भरोसा दिलाया कि आप चिंता न कीजिए आतंकवादियों का दिल्ली में घुसना तो दूर की बात है ऐसी व्यवस्था कर दूंगाकि आपकी आज्ञा के बिना कोई परिंदा भी पर नहीं मारेगा और पिता जी ने ऐसा कर दिखाया।

चौ. भजनलाल ने जीवन में जिन उच्च उपलब्धियों को प्राप्त किया वह बड़ी थी, परंतु उनके व्यक्तित्व में उससे भी बड़ी बात यह थी कि वेसफलता के सितारों में विचरण करते हुए भी धरातल को कभी नहीं भूलते थे। उनकी यही विशेषता उन्हें जननायक की श्रेणी में स्थापितकरती है। उनके व्यक्तित्व का हर पहलू हमें यही शिक्षा देता है कि अगर व्यक्ति सच्ची लग्न, कठोर श्रम, दृढ़ निश्चय, उच्च साहस, ईमानदारी व पूर्ण समर्पण के साथ आगे बढ़े तो कोई मंजिल ऐसी नहीं है जो चलकर उसके सामने न आए। यही था जीवन के संघर्ष कासार।
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हेमंत किगरं : पूर्व प्रदेश प्रधान ,हरियाणा पंजाबी महासभा
पंचकूला (9915470001)