Mirror 365 - NEWS THAT MATTERS

Dear Friends, Mirror365 launches new logo animation for its web identity. Please view, LIKE and share. Best Regards www.mirror365.com

Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में नूरा ने जीता सिल्वर

0
243

स्पोर्ट्स रिपोर्टर | लुधियाना

शहर के नूरा सिंह ने फिनलैंड में हुई वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेकर सिल्वर मेडल जीता है। प्रतियोगिता 6 से 10 नवंबर तक करवाई गई। इसमें 41 साल की नूरा सिंह ने 76 किलोभार कैटेगरी में हिस्सा लेकर 500 किलोभार उठाकर सिल्वर मेडल जीता है। इसमें नूरा सिंह ने 190 किलो की स्क्वैट, 100 किलो की बैंच प्रेस, 210 किलो की डैड लिफ्ट लगाई। इसमें देशभर से 550 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। नूरा इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले में पंजाब से अकेले खिलाड़ी हैं, जबकि देशभर से दो खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया दूसरे खिलाड़ी दलजीत दिल्ली से हैं। वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेने के लिए इंडियन पावर लिफ्टिंग कांग्रेस की ओर से होशियारपुर के गांव नदाला में ट्रायल करवाए गए थे। इसमें पूरे नॉर्थ से 200 खिलाड़ियों ने भाग लेकर दमखम दिखाया था।

कीनिया की हॉकी लीग में जरखड़ एकेडमी के खिलाड़ियों को मिलेगा खेलने का मौका

कीनिया के ओलिंपियन अवतार सिंह पहुंचे जरखड़ एकेडमी, दिया प्रस्ताव

सिटी रिपोर्टर | लुधियाना

कीनिया की ओर से चार ओलिंपिक खेलने वाले पूर्व हॉकी ओलिंपियन अवतार सिंह कीनिया श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व के मौके पर परिवार समेत जरखड़ स्टेडियम देखने पहुंचे। इस मौके पर उन्होंने जरखड़ हॉकी एकेडमी के बच्चों को हॉकी की बारीकियों के बारे में बताया। इस मौके पर ओलिंपियन अवतार सिंह ने बताया कि जरखड़ हॉकी एकेडमी के बच्चे हॉकी में काफी हुनरमंद है। यह अच्छे खिलाड़ी बनकर देश की सेवा कर सकते हैं। उन्होंने कीनिया में हॉकी के क्षेत्र में पंजाबियों की पहचान के बारे में बताया कि उनकी सिख कम्युनिटी हॉकी क्लब ने कीनिया को करीब 26 सिख हॉकी ओलिंपियन दिए, जोकि पंजाबियों के लिए गर्व की बात है।

उन्होंने बताया कि पहले विश्व हॉकी कप 1971 में कीनिया की टीम की ओर से 11 सिख खिलाड़ी खेले थे। 70वें-80वें दशक में कीनिया में सिख और पंजाबी खिलाड़ियों की सरदारी थी, परंतु जब से कीनिया हॉकी की बागडोर वहां के मूल निवासियों के पास आई तो वहां की हॉकी का स्तर कम होना शुरू हो गया। परंतु सिख कम्युनिटी हॉकी क्लब ने दोबारा हॉकी की बेहतरी के लिए अपने य| शुरू किए। सिख कम्युनिटी हॉकी क्लब ने कीनिया की राजधानी नैरोबी में अपना एस्ट्रोटर्फ हॉकी मैदान स्थापित किया है। अब राष्ट्रीय स्तरीय हॉकी लीग शुरू होने जा रही है। इसमें कीनिया के अलावा विदेशी मूल के खिलाड़ी खेलेंगे। उन्होंने जरखड़ एकेडमी के कुछ खिलाड़ियों का कीनिया हॉकी लीग के लिए चयन होना है, जोकि अगले साल कीनिया की हॉकी लीग में खेलेंगे। इसके अलावा उन्होंने जरखड़ एकेडमी को कीनिया की हॉकी से आपसी तालमेल बनाने का प्रस्ताव देकर कहा कि अगर जरखड़ एकेडमी कीनिया आएगी तो उनका खर्च सिख कम्युनिटी हॉकी क्लब कीनिया करेगी। इसके अलावा कीनिया की हाकी टीम भी पंजाब में आकर जरखड़ हाकी अकादमी और अन्य अकादमियों से दोस्ताना मैच खेलेगी। इस मौके पर ओलिंपियन अवतार सिंह, जगरूप सिंह जरखड़, कोच गुरसतिंदर सिंह, हरबंस सिंह मौजूद रहे।

41 साल की उम्र में उठाया 500 किलोभार, पंजाब से हिस्सा लेने वाले अकेले खिलाड़ी

जरखड़ अकादमी में पहुंचे कीनिया के ओलंपियन अवतार सिंह व खिलाड़ी।

नूरा सिंह के कोच गुरप्रीत सिंह सोनी ने बताया कि वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने के बाद अब उसका सेलेक्शन सीनियर मास्ट वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए हुआ है, जोकि जून-जुलाई में यूके में करवाई जाएगी। इसके लिए उसने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। सोनी ने बताया कि गिल रोड स्थित कलसियां रोड पर उनका पावर लिफ्टिंग सेंटर है, जिसे अब यूअर जिम के नाम खोला जा रहा है। नूरा उनके पास ही प्रैक्टिस कर रहा है। वह पिछले पांच साल से लड़के-लड़कियों को पावर लिफ्टिंग की फ्री ट्रेनिंग दे रहे हैं। उनके पास 25 के करीब खिलाड़ी ट्रेनिंग ले रहे हैं, जोकि खेलों में भाग लेते है।

वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में भाग लेते नूरा सिंह। कोच गुरप्रीत सिंह सोनी ने उन्हें सम्मानित किया।

18 साल बाद लिया खेलों में हिस्सा : कोच गुरप्रीत सिंह ने बताया कि नूरा सिंह ने 18 साल बाद खेलों में हिस्सा लिया है। इससे पहले वह कॉलेज के समय से ही पावर लिफ्टिंग में नेशनल स्तर पर कई मेडल हासिल कर चुका है। कारोबार सेट न होने के कारण पावर लिफ्टिंग छोड़नी पड़ी, लेकिन अब दोबारा से खेल के प्रति जागे जनून और लक्ष्य को पूरा करने के लिए दोबारा मैदान में वापसी की है।

ईशमीत अब तक खेल चुके 20 टूर्नामेंट, स्कूल टीम में भी कैप्टन

नेशनल टूर्नामेंट की तैयारियों में जुटे ऑल राउंडर ईशमीत बहा रहे पसीना

स्पोर्ट्स रिपोर्टर | लुधियाना

शास्त्री नगर स्थित बीसीएम स्कूल में 7वीं के स्टूडेंट इश्मीत सिंह नेशनल क्रिकेट टूर्नामेंट में बेहतरीन खेल दिखाने के लिए खूब पसीना बहा रहे हैं। वे चार साल से कोच रोबिन लॉरेंस से ट्रेनिंग ले रहे हैं। कुछ दिनों में नेशनल टूर्नामेंट के लिए कैंप लगेगा। कोच रोबिन ने बताया कि 12 साल के इश्मीत ऑल राउंडर हैं। बीसीएम स्कूल अंडर-14 की टीम के कैप्टन भी हैं। वह 4 साल में करीब 20 टूर्नामेंट में हिस्सा लेकर बॉलिंग-बैटिंग में कमाल का प्रदर्शन कर चुके हैं। यही नहीं दो साल से स्कूल डिस्ट्रिक्ट और स्कूल स्टेट में भी हिस्सा ले रहा हैं। रोबिन ने बताया कि पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड (पीएसईबी) की ओर से बीसीएम स्कूल में जोनल क्रिकेट टूर्नामेंट करवाया गया। इसमें इश्मीत कैप्टन थे। गिल जोन की ओर से खेल बीसीएम दुगरी को हराकर 8 विकेट से मैच जीता। डिस्ट्रिक्ट में भी कप्तानी करते हुए तीन मैच खेलते हुए 142 रन बनाए। फाइनल में लुधियाना जोन-2 की ओर से खेलते हुए राड़ा साहिब को हराया। इसके बाद स्टेट में खेलते हुए भी कप्तान रहा, जोकि बठिंडा में 24 से 30 सितंबर को हुई। परंतु इसमें वह मोहाली से क्वार्टर फाइनल में हार गए। इसमें उसने तीन मैच में 90 रन बनाए और चार विकेट लिए।

क्रिकेटर इश्मीत सिंह कोच रोबिन लॉरेंस के साथ।

विराट कोहली को मानते हैं आइडल : इशमीत सिंह को शुरू से ही क्रिकेट का इतना क्रेज रहा है कि वह विराट कोहली को अपना आइडल मानते हुए आगे बढ़ रहा है। वह भी अपने आप को विराट कोहली की तरह बनाना चाहते हैं और इंडिया टीम में खेलने का सपना है। इश्मीत की क्रिकेट के प्रति लगन और उसके सपने को पूरा करने के लिए उसके पिता परमिंदर सिंह पूरा सहयोग कर रहे हैं। इश्मीत ने बताया कि हाल ही में जीआरडी एकेडमी में एलडीसीए की ओर से करवाए गए अंडर-14 क्रिकेट मुकाबले में हिस्सा ले चुके हैं।

 

राजाओं की “लड़ाई’ में प्रजा की “पिसाई’!

जहां तक महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम का विषय है, हम और आप पिछले दो हफ्तों से एक पॉलिटिकल ड्रामा देख रहे हैं। हर दिन एक नया दृश्य, एक नए उत्साह से होते हुए निराशा की ओर बढ़ जाता है। बेशक, मैं यह अनुमान नहीं लगा सकता कि क्या होगा, लेकिन मैं विश्वास से कह सकता हूं कि यह आम लोगों को किसी न किसी रूप में प्रभावित कर रहा है, हालांकि प्रभाव कितना होगा, यह आंकना मुश्किल है। मुझे अपनी इस बात के समर्थन में एक उदाहरण उपयुक्त लगता है।

देश में लगभग हर शहर में, कम से कम बड़े शहरों में हर रोज जगह-जगह से कचरा जमा किया जाता है, लेकिन पुणे के यरवदा, वडगांवशेरी, विमान नगर, शास्त्री नगर, कल्याणी नगर और खराड़ी के निवासी जमा कचरे से जूझ रहे हैं, क्योंकि यहां पर कचरा एक सप्ताह में तीन बार, यानी हर एक वैकल्पिक दिन पर उठाया जाता है। जब यहां के निवासियों ने कचरा जमा में इस पचास प्रतिशत की कटौती के बारे में सवाल किया तो, उन्हें बताया गया कि यह इसलिए किया गया है क्योंकि यरवदा स्थित कचरा प्रसंस्करण इकाई में निर्माण कार्य चल रहा है जिससे उसकी क्षमता बढ़ जाएगी। वर्तमान में यह यूनिट 100 टन गीले और 100 टन सूखे कचरे की प्रोसेसिंग करने में सक्षम है। लोग इस बात से खुश थे कि उनका इलाका जल्द ही कचरा मुक्त हो जाएगा और वे खुद ही इमारतों में अपनी पार्किंग की जगह पर कचरा जमा करके रखने लगे।

हालांकि, बाद में यह पता चला है कि यह प्रोजेक्ट तो दो स्थानीय नगरसेवकों की श्रेय की आपसी लड़ाई में छह महीने पहले ही अधर में लटक गया है। संयोग से यह लड़ाई, उसी शिवसेना और भाजपा के नगरसेवकों के बीच हो रही है जो राज्य में सरकार बनाने के लिए आमने-सामने खड़े हैं।

और यहां पर एक कहानी के भीतर दूसरी कहानी है! यहां के वार्ड नं 6 से शिवसेना के संजय भोसले नगरसेवक पद पर निर्वाचित हुए थे। उन्होंने एक योजना स्वीकृत करवाई और इसके तहत कचरे के निपटान के लिए मौजूदा संग्रहण सुविधा को एक बहुमंजिला इमारत में बदलने के लिए फंड खर्च करने को मंजूरी दे दी गई। कचरा जमा करने वाले वाहनों के लिए पर्याप्त पार्किंग स्थान प्रदान करने के अलावा, उनकी योजना में कई प्रवेश और निर्गम द्वारों का निर्माण भी शामिल है ताकि मौजूदा व्यस्ततम नागर रोड के सिंगल गेट पर ट्रैफिक के दबाव को कम किया जा सके, जो कि एक स्टेट हाइवे भी है। इस काम को पूरा करने के लिए स्वीकृत धनराशि 2.5 करोड़ रुपए थी।

लेकिन यहां पेंच फंसाया, भाजपा के योगेश मुलिक ने, जो उस समय पुणे नगर निगम (पीएमसी) के अध्यक्ष भी थे। मुलिक ने भोसले की इस योजना पर आपत्ति जताई क्योंकि जिस यूनिट को बढ़ाने के लिए वे काम कर रहे थे वह उनके वार्ड (वार्ड नंबर 5) के अधिकार क्षेत्र में आती थी। वे नहीं चाहते थे कि इस यूनिट को बड़ा करने का श्रेय भोसले के खाते में जाए और इसलिए मुलिक ने घोषणा की दी कि वे अपने वार्ड के लिए आवंटित फंड से इस काम को पूरा करेंगे। उनका तर्क था कि चूंकि यह यूनिट उनके इलाके (वडगांवशेरी और कल्याणी नगर) में है और भोसले को कोई अधिकार नहीं है कि वे इस प्रोजेक्ट को अपने हाथ में लें।

इस प्रोजेक्ट को हथियाने की लड़ाई में आगे यह हुआ कि भोसले ने आखिरकार अपने हाथ खींच लिए और कचरा यूनिट के लिए चल रहा काम ठप पड़ गया। तब तक इस काम पर करीब डेढ़ करोड़ रुपए खर्च हो चुके है और भोसले ने कहा कि अब मेरे पास और पैसा नहीं है। उधर, मुलिक के प्रस्ताव को मंजूरी मिलना और फंड आवंटन होना बाकी है। अब आगे नई परेशानी खड़ी हो गई। इस काम के लंबित होने के बाद मौजूदा यूनिट ने काम करना बंद कर दिया और अब वार्ड कार्यालय को प्रोसेसिंग के लिए कचरा कहीं और भेजना पड़ता है। इससे समय के साथ कचरे को ढोने में खर्च भी ज्यादा लग रहा है। और अंतत: नतीजा यह हो रहा है कि अब सड़कों पर कचरे के ढेर लगते जा रहे हैं। ठोस कचरा प्रबंधन विभाग ने भी स्वीकार किया है कि अब रोज कचरा उठाना संभव नहीं है।

इस गतिरोध के बीच, सरकारी अधिकारियों को जमीनी स्तर पर एक बड़ी द्वेषपूर्ण समस्या से जूझ रहे हैं- बेचारे आम लोग अधूरे पड़े काम से पीड़ित हैं, और उनके चुने नेतागण यह इनकार करने में व्यस्त हैं कि उनके बीच कोई मतभेद हैं।

फंडा यह है कि जब घर, दफ्तर, उद्योग, राज्य, देश के जिम्मेदार लोगों में कोई मतभेद होता है और वे सार्वजनिक रूप से इसे प्रदर्शित या प्रसारित करते हैं, तो आखिर में पीड़ा उन्हीं लोगों को भोगनी पड़ती है जो उनकी ओर उम्मीद भरी नजरों से देखते हैं या उन पर निर्भर होते हैं।

मैनेजमेंट फंडा एन. रघुरामन की आवाज में मोबाइल पर सुनने के लिए 9190000071 पर मिस्ड कॉल करें

एन. रघुरामन

मैनेजमेंट गुरु

[email protected]