Mirror 365 - NEWS THAT MATTERS

Dear Friends, Mirror365 launches new logo animation for its web identity. Please view, LIKE and share. Best Regards www.mirror365.com

Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

ओजस हॉस्पिटल में दुर्लभ हार्ट वॉल्व सर्जरी की

0
383

चंडीगढ़, सुनीता शास्त्री। ओजस हॉस्पिटल, पंचकूला में एक 40 वर्षीय महिला के हार्ट की वॉल्व सर्जरी सफलतापूर्वक की गई। महिला मरीज माइट्रल वॉल्व स्टेनोसिस से पीडि़त थी। रोगी को एक मैकेनिकल वॉल्व के साथ माइट्रल वॉल्व रिप्लेसमेंट की जरूरत थी। वह 5-10 साल के लिए अपनी सिस्टेमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (एसएलई) बीमारी के लिए स्टेरॉयड आदि के साथ अपना इलाज करवा रही थी।ऑटोइम्यून बीमारी एसएलई से पीडि़त रोगी में हार्ट सर्जरी बहुत कम होती है। एसएलई में हार्ट कोरोनरी आर्टिरी रोग, वाल्वुलर हार्ट रोग या यहां तक कि पेरिकार्डियम से प्रभावित हो सकता है। बाएं तरफ का हार्ट वॉल्व इसमें काफी अधिक शामिल होते हैंं।1970 से 2014 तक इस प्रकार के रोगियों में माइट्रल वॉल्व रिप्लेसमेंट के लिए करीब 20 ही ऐसे मामले दर्ज किए गए हैं। इस प्रकार यह दुनिया में 21वां मामला बन गया।डॉ.वीरेंद्र सरवाल, डायरेक्टर, डिपार्टमेंट ऑफ कार्डियोथोरेसिस एंड वस्कुर्लर सर्जरी, ओजस, जिन्होंने ये सर्जरी की है, ने कहा कि इस प्रकार की में तीन तरह से काफी अधिक जोखिम दर रहती है, जैसे कि सर्जरी के बाद संक्रमण की काफी अधिक दर, हायपर कॉगेबल स्टेट जो कि हार्ट लंग मशीन पर सर्जरी के दौरान क्लॉटिंग का कारण बन सकती है या सर्जरी के तुरंत बाद वॉल्व में क्लॉटिंग का कारण बन सकती है या फिर बार-बार रेनाल इम्पेयरमेंट की जरूरत पड़ सकती है।डॉ.सरवाल ने आगे कहा कि महिला की एंजियोग्राफी की गई थी, जो सामान्य थी। सर्जरी को स्टैंडर्ड हार्ट लंग मशीन का उपयोग करके किया गया था, जो हमेशा क्लॉटिंग के 450 सेकंड से अधिक समय तक सक्रिय रहती है। दूसरा जोखिम नेफ्रोपैथी का है जो आम तौर पर इन रोगियों को होता है। डॉ. सरवाल ने कहा, माइट्रल वॉल्व रिप्लेसमेंट रोगियों के साथ पोस्ट-ऑपरेटिव अवधि में एक और चुनौती उचित एंटीकोआग्यूलेशन को बनाए रखना है जो वॉल्व के सुचारू संचालन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।उन्होंने कहा कि इसलिए ऑपरेशन के पहले छह घंटों के भीतर ही वॉल्व में क्लॉटिंग यानि खून का थक्का बनने से रोकने के लिए ब्लड थिनर हेपरिन शुरू कर दिया जाता है। सभी रोगियों में आईएनआर को 3-4 के बीच बनाए रखा जाता है। सख्त एसेप्सिस भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस मरीज की पूरी जांच की गई कि क्या एसएलई बीमारी सक्रिय है या नहीं और यह पुष्टि होने के बाद कि वह सक्रिय नहीं है, वह सभी वॉल्वों को लेकर एक मैकेनिकल वॉल्व के साथ माइट्रल वॉल्व रिप्लेसमेंट के लिए संचालित किया गया था। उसने सर्जरी के बाद अच्छा रिस्पांस दिया और काफी ध्यान से की गई देखभाल के बाद उन्हें सर्जरी के 8वें दिन अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।