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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

मिशन मंगल के जरिए पर्दे पर उतारी साइंस और संघर्ष की कहानी, बेहतरीन कहानी और देश भक्ति का पूरा पैकेज है फिल्म

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Dainik Bhaskar

Aug 16, 2019, 07:35 PM IST

बॉलीवुड डेस्क.  मिशन मंगल के तौर पर बड़े दिनों बाद एक संपूर्ण और त्रुटिहीन फिल्म आई है। यह इसरो वैज्ञानिकों की मिशन मंगल योजना पर बेस्ड है। जैसे इसरो वैज्ञानिकों ने 24 सितंबर 2014 को अपने पहले ही प्रयास में सैटेलाइट को मंगल के ऑरबिट में लॉन्‍च करने फतह हासिल की थी, उसी तरह इस फिल्म ने भी बॉलीवुड की स्पेस जॉनर की पहली ही कोशिश में सधी हुई कहानी दी है। फिल्म साइंस, सपना और संघर्ष की मिसाल देने वाली कहानियों के इर्द-गिर्द घूमती है। उन आंडबरों और प्री कंसीव्‍ड नोशन पर प्रहार है, जो इंसान को असीमित छलांग लगाने से रोके रहती हैं। हम हिंदुस्‍तानी अपनी अचीवमेंट को सेलिब्रेट कम करते हैं। यह बॉलीवुड की अचीवमेंट वाली पेशकश है। यह सेलिब्रेशन,हौसला अफजाई की हकदार है।
 

2010 से शुरू होती है कहानी

  1. फिल्‍म की कहानी का आगाज 2010 से होता है। इसरो के नामी साइंटिस्‍ट और मिशन डायरेक्‍टर राकेश धवन और प्रॉजेक्‍ट डायरेक्‍टर तारा शिंदे के साथ मिलकर पीएसएलवी सी-39 नामक मिशन से रॉकट लॉन्‍च करने की कोशिश करते हैं। दुर्भाग्‍य से वह योजना नाकाम साबित होती है। नतीजतन राकेश का ट्रांसफर इसरो के नामुमकिन से माने जाने वाले मार्स प्रोजेक्‍ट पर ट्रांसफर कर दिया जाता है। वह भी नासा से आए रूपर्ट देसाई के सुपविजन में। रूपर्ट की आदत हर बात में नासा की मिसाल देने की रहती है। परिस्थितियां ऐसी रहती है कि राकेश धवन पर भरोसा होने के बावजूद इसरो डायरेक्‍टर को वैसा करना पडता है। राकेश और तारा शिंदे को मार्स प्रोजेक्‍ट के लिए रूपर्ट इरादतन गैर अनुभवी ऐका गांधी, नेहा सिद्दीकी,कृतिका अग्रवाल, वर्षा पिल्‍लई, परमेश्‍वर नायडु और रिटायरमेंट की दहलीज पर खड़े अनंत अयंगर की टीम दी जाती है। शुरुआती बजट 800 करोड़ का होता है, पर वह भी कुछ दूर चलकर आधा यानी 400 करोड़ हो जाता है। ऐका, कृतिका, वर्षा और परमेश्‍वर की निजी जिंदगि‍यों में भी कशमकश है। इन सब चुनौतियों के बावजूद राकेश और तारा कैसे मिशन को अंजाम देते हैं, फिल्‍म उसकी बानगी है।

  2. 400 करोड़ के प्रोजेक्ट को 32 करोड़ में खूबसूरती से समेटा

    यहां गौर करने वाली बात यह है कि हॉलीवुड में स्‍पेस जॉनर की फिल्‍मों का बजट 500 करोड़ से ज्यादा का होता है। मिशन मंगल 32करोड़ में बन गई है। जैसे 400 करोड़ के बजट में इसरो वैज्ञानिकों ने मंगल पर इंडिया का झंडा बुलंद किया था, ठीक वैसे ही 32 करोड़ में डायरेक्‍टर जगन शक्ति, क्रिएटिव प्रोड्युसर आर बाल्‍की, प्रोड्युसर अक्षय कुमार और बाकी कलाकारों की टीम ने इंडिया की ओर से इस जॉनर की पहली और साथ ही बेहतरीन फिल्‍म दी है। उन्‍हें ऐसा करने में बराबर का श्रेय सिनेमैटोग्राफर रवि के चंद्रन, प्रॉडक्‍शन डिजाइनर संदीप शरद रवाडे, पहली बार वीएफएक्‍स में उतरी कंपनी फेमुलस की टीम को भी जाता है। इनकी वजह से यह स्‍पेक्‍टकल फिल्‍म बन गई है।

     

  3. किरदारों बखूबी तरीके से पर्दे पर उतारा गया

    आर बाल्‍की ने डायरेक्‍टर जगनशक्ति की मदद से राकेश, तारा, नेहा, ऐका,कृतिका, वर्षा, परमेश्‍वर और अनंत अयंगर के किरदारों से ख्‍वाब, त्‍याग,समझदारी, प्रगतिवादी सोच की खूबसूरत व्‍याख्‍याएं की हैं। तारा के टीन ऐज बच्‍चों की अपनी शर्तों पर जीने के रवैये से पति सुनील चिंतित रहता है। तारा घर की जिम्‍मेदारियों को पूरा करते हुए समझदारी से परिवार,पेशा और पैशन के बीच प्रेरक तालमेल बनाती है। ऐका का परम मकसद नासा जाना है, किसी भी कीमत पर। वर्षा पर सास की तरफ से घर को चिराग देने का दबाव है। नेहा को अपने सरनेम के चलते कमरा नहीं मिल रहा। परमेश्‍वर नायडू की शादी नहीं हो रही है। उसकी अलग चिंता है। इन दुश्‍वारियों के बीच सब अपने फर्ज से कैसे और क्‍यों पीछे नहीं हटते, वह देखना सुखद और मिसाल के काबिल है। फिल्‍म सैटेलाइट लॉन्चिंग की तकनीकी पक्ष में एक हद तक जाती है। उसमें गहरा उतरने पर उसके जटिल होने के जोखिम थे। वह भी देखने को दर्शक तैयार हैं कि नहीं  वह बहस का विषय है।

     

    बाल्‍की की फिल्‍मों में वैसे भी महिला किरदारों को जो मजबूती दी जाती है,उनसे जिंदगी की गूढ़ बातें सरलता से पेश करने में मदद मिलती है। जीवन दर्शन उभर कर सामने आता है।     
     

  4. अदाकारी के मोर्चे पर भी फिल्‍म ने फतह हासिल किया है। ऐसा कम होता है,जब कोई ऑनसॉम्‍बल कास्‍ट वाली फिल्‍म में सभी कलाकारों ने उम्‍दा काम किया हो। राकेश धवन के रोल में तो अक्षय ने करियर बेस्‍ट दिया है। तारा शिंदा को विद्या बालन ने पूरे ग्रेस के साथ निभाया है। वर्षा बनीं नित्‍या की स्‍क्रीन प्रेजेंस दमदार है। परमेश्‍वर नायडू के किरदार को शरमन जोशी ने अपने अनुभव से अलग छटा प्रदान की है। नेहा सिद्दीकी बनीं कीर्ति कुल्‍हारी और कृतिका अग्रवाल की भूमिका में तापसी पन्‍नू प्रभावी लगी हैं। अनंत अय्यर बने एचजी दत्‍तात्रेय फिल्‍म की खोज हैं। गीत संगीत के लिहाज से भी अमित त्रि‍वेदी,अमिताभ भट्टाचार्य ने सुकून देने और रोमांच के भाव जगाने वाले गाने दिए हैं।
     

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