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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

कभी खतरे में पड़ गई थी इस सिंगर की जान, देर रात म्यूजिक कॉम्पिटीशन से लौटते वक्त अचानक हो गया था एक खतरनाक जानवर से सामना

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मुंबई। बॉलीवुड की पॉपुलर प्लेबैक सिंगर श्रेया घोषाल 35 साल की हो गई हैं। 12 मार्च 1984 को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में एक ब्राह्मण फैमिली में जन्मी श्रेया को फिल्म इंडस्ट्री में ‘मेलोडी क्वीन’ के नाम से भी जाना जाता है। श्रेया घोषाल की म्यूजिकल जर्नी राजस्थान के रावतभाटा से शुरू हुई, जहां उनके पिता विश्वजीत घोषाल न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे। एक बार रात को म्यूजिक कॉम्पिटीशन से लौटते वक्त श्रेया का सामना शेर से हो गया था, जो उनसे महज 50 मीटर दूर था। मुकंदरा घाटी में श्रेया के सामने आ गया था शेर…

– श्रेया की पहली गुरु उनकी मां शर्मिष्ठा घोषाल थीं, जो खुद एक सिंगर हैं। वे आठवीं कक्षा तक रावतभाटा के एटॉमिक एनर्जी केन्द्रीय विद्यालय में पढ़ीं, जहां के संगीत शिक्षक जयवर्द्धन भटनागर के घर जाकर वो गाना सीखती थीं।
– श्रेया के म्यूजिक टीचर जयवर्द्धन भटनागर के मुताबिक, "कोटा में एक म्यूजिक कॉम्पिटीशन खत्म होने पर रात करीब 11 बजे श्रेया घोषाल को स्कूटर के पीछे बैठा कर मैं रावतभाटा लौट रहा था। हम मुकंदरा घाटी के जंगलों से गुजर रहे थे तभी अचानक हमसे आगे चल रही एक जीप रुक गई। जीप वालों ने इशारा किया कि 50 मीटर की दूरी पर टाइगर खड़ा है। हमारे होश फाख्ता हो गए। बाद में टाइगर जब सड़क से नीचे उतर गया, तब हम चले।"

6 साल की उम्र से गा रही हैं श्रेया…
जयवर्धन के मुताबिक, ‘श्रेया छोटी साइकिल पर घर आती थी और पीछे-पीछे उसकी माताजी।’ श्रेया घोषाल ने 6 साल की उम्र में रावतभाटा क्लब में अपना पहला स्टेज शो किया। श्रेया घोषाल के पिताजी का बाद में मुंबई स्थित भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में ट्रांसफर हो गया। श्रेया ने मुंबई में आगे की पढ़ाई जारी रखने के साथ ही यहां कल्याण जी (कल्याण जी आनंद जी जोड़ी वाले) से ट्रेनिंग ली और 16 साल की उम्र में फिल्म ‘देवदास’ से करियर शुरू किया।

भंसाली की मां लीला की खोज हैं श्रेया…
श्रेया घोषाल को पहला ब्रेक बेशक संजय लीला भंसाली ने फिल्म ‘देवदास (2002) में दिया, लेकिन यह खोज उनकी नहीं, उनकी मां लीला की थी। लीला भंसाली जीटीवी का ‘सारेगामा’ कार्यक्रम देख रही थीं तो उन्होंने फोन कर के संजय को बुलवाया। जब संजय ने देखा तो उन्हें लगा कि श्रेया की आवाज पारो की मासूम आवाज को सूट करेगी। बाद में जब फिल्म के गीतों की रिकॉर्डिंग शुरू हुई तो वे श्रेया घोषाल का नाम भूल चुके थे। श्रेया को ढुंढवाने में उन्हें काफी वक्त लग गया।

किताब ले कर स्टूडियो जाती थीं श्रेया…
जब 16 साल की श्रेया ने संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘देवदास’ के लिए अपना पहला गीत ‘बैरी पिया’ रिकॉर्ड कराया, तब उनकी हायर सेकेंडरी की परीक्षा नजदीक थी। ऐसे में वे स्टूडियो में अपनी किताबें ले कर आया करती थीं। श्रेया के मुताबिक, "मुझसे कहा गया कि फाइनल रिकॉर्डिंग से पहले एक अंतिम रिहर्सल कर लेते हैं। मैंने आंखें बंद की और बिना रुके पूरा गाना गा दिया। आंखें खोलीं तो स्टूडियो में हलचल थी। संजय लीला भंसाली ने कहा- ‘रिकॉर्डिंग हो चुकी है।’

पहली फिल्म में मिले 3 अवॉर्ड…
‘देवदास’ में श्रेया ने पांच गाने गाए और इस पहली फिल्म में ही उन्हें तीन अवॉर्ड मिले। गीत ‘डोला रे डोला’ के लिए जहां सर्वश्रेष्ठ गायिका का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला वहीं एक अन्य गीत ‘बैरी पिया…’ के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया गया। इसके अलावा इस डेब्यू फिल्म के लिए उन्हें ‘फिल्मफेयर आर डी बर्मन अवार्ड फॉर न्यू म्यूजिक टैलेन्ट’ भी मिला।

चार नेशनल फिल्म अवॉर्ड…
श्रेया घोषाल को फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ गायन के लिए अब तक चार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और छह फिल्मफेयर पुरस्कार मिल चुके हैं। इसके अलावा दक्षिण भाषाई फिल्मों के लिए भी उन्हें नौ फिल्मफेयर पुरस्कार मिल चुके हैं। श्रेया घोषाल के जिन चर्चित गीतों के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार मिले उनमें फिल्म ‘जिस्म’ का ‘जादू है नशा है’…, मणिरत्नम की फिल्म ‘गुरु’ का ‘बरसो रे…’, ‘सिंह इज किंग’ का ‘तेरी ओर’ और बाजीराव मस्तानी का गीत ‘दीवानी मस्तानी’ शामिल हैं। इरशाद कामिल का लिखा गीत "मनवा लागे…' तो रिलीज होने के बाद यू-ट्यूब पर 21 घंटों में 10 लाख और 48 घंटों में 20 लाख लोगों ने सुना था।

2015 में श्रेया ने की चाइल्डहुड फ्रेंड से शादी…
श्रेया ने फरवरी, 2015 में शिलादित्य मुखोपाध्याय से शादी की। श्रेया और शिलादित्य दोनों बचपन के दोस्त हैं। शिलादित्य टेक सेवी हैं और Hipcask.com वेबसाइट के फाउंडर भी हैं।

अमेरिका में श्रेया घोषाल डे…
वैसे तो श्रेया घोषाल की उपलब्धियां किसी से छिपी नहीं हैं, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि अमेरिका में एक दिन का नाम ही उनके नाम पर रख दिया गया है। अमेरिका के ऑहियो स्टेट के गवर्नर ने 26 जून श्रेया को समर्पित करते हुए इसे 'श्रेया घोषाल डे' के नाम से मनाने का एलान किया था। 2010 में पहली बार यह दिन मनाया गया। इस दिन अधिकतर रेडियो स्टेशन पर श्रेया के गाने बजाए गए और सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर उनके ज्यादा से ज्यादा फोटो अपलोड किए गए। यहां हर साल इस दिन कुछ ऐसा ही नजारा होता है।

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