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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

2004 में पहली बार एसएमएस-फोन कॉल से प्रचार का ट्रेंड, कांग्रेस की पहली गठबंधन सरकार बनी

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भास्कर न्यूज नेटवर्क.सितंबर-अक्टूबर में 1999 के लोकसभा चुनाव हुए थे। इस लिहाज से 2004 में लोकसभा चुनाव सितंबर-अक्टूबर में होने थे। लेकिन जानकारों का मानना है कि भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के रणनीतिकारों ने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को निर्धारित समय से 5 महीने पहले ही चुनाव कराने की सलाह दी। उन्हें समझाया कि ‘फील गुड फैक्टर’ और ‘इंडिया शाइनिंग’ अभियान की मदद से राजग सत्ता विरोधी लहर को बेअसर कर बहुमत प्राप्त कर लेगा। इसीलिए पांच माह पूर्व चुनाव हुए। 20 अप्रैल से 10 मई 2004 के बीच 4 चरणों में चुनाव हुए।

2004 में कांग्रेस की अगुवाई में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) बना और पहली बार कांग्रेस की अगुवाई (पीएम) में गठबंधन सरकार बनी। इसमें 15 से ज्यादा दल शामिल थे। हालांकि बाद में कई दल हटे और नए दल शामिल हुए। यह चुनाव वाजपेयी और सोनिया गांधी के व्यक्तित्वों के बीच हुआ। चुनाव प्रचार में राजग ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल को भी मुख्य मुद्दा बनाया। वहीं विपक्षी दलों ने सूखे से निपटने में सरकार की नाकामी, किसानों की आत्महत्या, महंगाई और 2002 के गुजरात दंगों को राजग के खिलाफ मुद्दा बनाया।

सोनिया का प्रधानमंत्री बनने से इनकार

अधिकांश क्षेत्रीय दल भाजपा के साथ राजग में शामिल थे। हालांकि द्रमुक और रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी राजग से अलग हो गई। वहीं, कांग्रेस की अगुवाई में भी राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी मोर्चा बनाने की कोशिश हुईलेकिन यह हो न सका। हालांकि कुछ राज्यों में कांग्रेस और क्षेत्रीय पार्टियों में चुनावी तालमेल हुआ। कांग्रेस अपने सहयोगी दलों तथा वाम मोर्चा, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बाहरी समर्थन के साथ सरकार बनाने में कामयाब हुई। चुनाव पूर्व कांग्रेस की ओर से सोनिया गांधी को ही प्रधानमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा था, चुनाव नतीजों के बाद राष्ट्रपति ने भी सोनिया को ही सरकार बनाने का न्योता दिया लेकिन अप्रत्याशित रूप से सोनिया ने प्रधानमंत्री बनने से इनकार कर सभी को हैरान कर दिया। उन्होंने इस पद के लिए डॉ. मनमोहन सिंह का नाम प्रस्तावित किया और राष्ट्रपति कलाम ने डॉ. सिंह को शपथ दिलाई।

राहुल गांधी पहली बार बने सांसद

  • पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी आत्मकथा ‘द कोअलिशन ईयर्स 1996-2012’ में लिखा है, ‘गुजरात में 2002 में हुए दंगे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार पर संभवत: सबसे बड़ा धब्बा थे और इसके कारण ही 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा था।’
  • 2004 के चुनावों में एसएमएस से चुनाव प्रचार ने जोर पकड़ा था। बीजेपी ने इसका बहुत उपयोग किया। उस दौरान लोगों को ‘खेलेंगे अब लंबी पारी, सौरव, सचिन और अटल बिहारी’ जैसे रोचक एसएमएस मिले। खास बात यह थी कि इनमें बीजेपी का सीधे तौर पर नाम नहीं होता था। दूसरी तरफ चुनाव आयोग ने भी लोगों में वोट डालने के प्रति जागरूकता लाने के लिए एसएमएस भेजे। इसके साथ ही लैंडलाइन फोन पर अटलजी को वोट देने की अपील वाले कॉल आते थे।
  • कांग्रेस के अजय माकन ने वोटर्स से बात करने के लिए वेबसाइट लॉन्च की।
  • 2004 के चुनावों में गोविंदा, विनोद खन्ना, धर्मेंद्र और सुनील दत्त जैसे फिल्मी सितारे भी खड़े हुए और चुनाव में जीते।
  • राहुल गांधी ने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते। सीट थी अमेठी।
  • कांग्रेस और सहयोगी दलों को 218 सीटें प्राप्त हुईं, जबकि भाजपा नीत राजग को महज 181 सीटें मिलीं। वहीं राज्य स्तरीय दलों को 159 सीटें मिलीं थी।

वर्ष 2004 के चुनाव की स्थिति

सीटें 543
मतदाता 67.15 करोड़
मतदान प्रतिशत 58.07
प्रत्याशी 5,435
कांग्रेस 145
भाजपा 138

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