पानीपत.कांग्रेस के शहर से एकमात्र बड़े नेता बुल्ले शाह के विरोध में पांच बार के विधायक उनके बड़े भाई बलबीर पाल शाह ही उतर आए हैं। 2013 में भूपेंद्र सिंह को मेयर बनाने वाले शाह ने अब उनकी बेटी भाजपा मेयर प्रत्याशी अवनीत को समर्थन दिया है। अवनीत अपने पिता भूपेंद्र सिंह के साथ शाह बिग ब्रदर से आशीर्वाद लेने पहुंच गई। बलबीर पाल शाह ने कौर को न सिर्फ शगुन दिया,ये भी कहा कि नगर निगम को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए भूपेंद्र सिंह जैसे मेयर की ही जरूरत है। इसलिए, जीत हासिल करो और शहर को गंदगी से मुक्त करो। अवनीत कौर शाह से छोटे राणा शाह उर्फ रविंद्र पाल शाह से भी समर्थन मांगने इंसार चौक स्थित उनके घर गईं।
अवनीत कौर को इस तरह से समर्थन देना शाह ब्रदर्स में समझौते की सभी संभावनाओं को खत्म होने वाला बताया जा रहा है। विधानसभा चुनाव 2014 में भी बलबीर पाल शाह ने बुल्ले शाह के खिलाफ चुनाव लड़ रही भाजपा प्रत्याशी रोहिता रेवड़ी को समर्थन दिया था। बुल्ले शाह की ओर से अंशु पाहवा मेयर प्रत्याशी हैं।
अवनीत कौर मेरी बेटी के समान है, घर पर आई तो आशीर्वाद दिया :
अवनीत मेरी बेटी समान है। वह मेरे घर आई तो मैंने उसे अपना आशीर्वाद दिया। मैं एक और बात शहरवासियों को बताना चाहता हूं कि पार्षद प्रत्याशी खुद को कांग्रेसी बता रहे हैं। जबकि उन्हें तो ऐसे ही खड़ा करके कांग्रेसी बता दिया गया। अपने भाई बुल्ले शाह के खिलाफ ही भाजपा मेयर प्रत्याशी को क्यों समर्थन दे रहे हैं, इस सवाल पर बलबीर पाल शाह ने कहा कि वो मेरा भाई कैसे हो सकता है। भाई होता तो कम से कम कभी मेरा हालचाल जानने आता। वह तो नेता बनने के चक्कर में सब भूल गया है। बलबीर शाह अभी हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी के सदस्य हैं।
5 साल पहले हुड्डा-रणदीप के विरोध के बाद भी भूपेंद्र को बनाया था मेयर :
2013 के निगम चुनाव में बलबीर पाल शाह ने ही सरदार भूपेंद्र सिंह को मेयर बनाया था। तब तत्कालीन सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सीनियर कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला सहमत नहीं थे। हुड्डा और शाह में हमेशा तकरार रहती थी, लेकिन शाह की जिद पर हुड्डा को झुकना पड़ा था। इस बार शाह ने कहा कि चूंकि यह पौधा उनका ही लगाया हुआ है इसलिए अवनीत कौर को आशीर्वाद दिया।
सवाल क्या अवनीत की राह होगी आसान :
बड़ा सवाल ये है कि बड़े शाह के समर्थन से अवनीत कौर को कितना फायदा मिलेगा? पांच बार के विधायक बलबीर पाल निश्चित रूप से राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय नहीं हैं, लेकिन अभी भी उनके शहर में बहुत से समर्थक हैं। अगर वह सपोर्ट करते हैं तो अवनीत कौर को इसका फायदा मिलेगा।
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