खेल डेस्क. भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने गुरुवार को कहा कि दुनिया भर में टेस्ट क्रिकेट इंग्लैंड में बनी ड्यूक बॉल से खेलाजानाचाहिए। उन्होंने भारत में इस्तेमाल हो रहे एसजी बॉल की खराब गुणवत्ता पर नाराजगी जताई। कोहली ने कहा, “पांच ओवर में बॉल का घिस जाना ठीक नहीं है। एसजी बॉल पहले इस्तेमाल के लिए ठीक था, लेकिन पता नहीं क्यों अब इसकी गुणवत्ता में गिरावट आई है।”
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कोहली ने कहा, “मेरा मानना है कि ड्यूक बॉल टेस्ट के लिए सबसे उपयुक्त है। मैं दुनियाभर में इसके इस्तेमाल की सिफारिश करूंगा। ड्यूक बॉल की सीम कड़ी और सीधी होती है, जिससे बॉल में निरंतरता बनी रहती है।”
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एसजी बॉल हाथों से बनाई जाती है और स्पिनरों के लिए ज्यादा मुफीद होती है। शुरुआती 10 से 20 ओवर तक ही इसमें नेचुरल स्विंग होता है। गेंद की चमक भी जल्द ही चली जाती है। हालांकि, सीम के मामले में यह बेहतर है। 80-90 ओवर तक मजबूत रहती है।
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ड्यूक बॉल भी एसजी की तरह हाथों से बनाई जातीहै। इसकी नेचुरल स्विंग 50 से 60 ओवर तक रहती है। सीम सीधी होती है, जिससे यह तेज गेंदबाजों के लिए मुफीद बन जाती है। इस बॉल में 20 से 30 ओवर के बाद ही रिवर्स स्विंग मिलनीशुरू हो जातीहै। यह रंग में एसजी और कूकाबुरा से ज्यादा गहरीहोतीहै।
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ऑस्ट्रेलिया में बनाई जाने वाली कूकाबुरा बॉल हाथ की जगह मशीन से बनाई जाती है। यह 20 से 25 ओवर तक ही नेचुरल स्विंग होतीहै। इसके बाद बल्लेबाजों के लिए सबसे ज्यादा मुफीद हो जाता है। स्पिनरों के लिए अन्य बॉल की तुलना में कम मददगार होती है।
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बॉल के इस्तेमाल को लेकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के कोई खास दिशा-निर्देश नहीं हैं। सभी देश अपनीकंडीशन के लिहाज से बॉल का इस्तेमाल करते हैं। भारत में एसजी, इंग्लैंड और वेस्टइंडीज में ड्यूक, जबकि अन्य देशों में कूकाबुरा बॉल का इस्तेमाल किया जाता है।
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राजकोट टेस्ट के बाद अश्विन ने भी एसजी बॉल के प्रति नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा था, “मैं एसजी की तुलना में कूकाबुरा से गेंदबाजी करते हुए बेहतर महसूस करता हूं। ड्यूक भी अच्छीहै, लेकिन एसजी बॉल की गुणवत्ता गिरी है। वह पहले की तरह नहीं रही।”
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कोहली से जब अश्विन के इस बयान का समर्थन किया और कहा, “मैं उनसे पूरी तरह समहत हूं। ड्यूक बॉल अभी भी बेहतर गुणवत्ता में आती है और कूकाबुरा भी अच्छी होती है। कूकाबूरा की सीम सपाट हो जाती है।”